गांव वालों ने अपने खर्च पर बना दिया पुल

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मन में अगर कुछ करने का जज़्बा है तो मदद के बिना भी समस्या का हल ढूंढ़ा जा सकता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है सीतापुर के ग्रामीणों ने जिन्होंने बिना किसी सरकारी मदद के ही गोन नदी पर 70 मीटर लंबा लकड़ी का पुल बनाकर अपने जीवन की राह आसान कर ली है।ग्रामीणों की इस पहल के बाद प्रशासन ने भी इस समस्या की सुधि ली है।

प्रशासन के अधिकारियों ने कभी सुधि ली

खुद जिलाधिकारी ने इस पुल का निरीक्षण कर ग्रामीणों की इस पहल की सराहना की। सीतापुर में हाइवे पर बसा है कमलापुर कस्बा। कमलापुर से तकरीबन 9 किलोमीटर दूर दुल्लापुर गांव के पास में बहने वाली गोन नदी पर पुल न होने के कारण हज़ारो लोगों को आवागमन में भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता था। बीच रास्ते में नदी होने के कारण लोगों को लंबा चक्कर काटकर ब्लॉक और जिला मुख्यालय पहुचना पड़ता था। लेकिन आजादी के सत्तर साल बीत जाने के बावजूद ग्रामीणों की इस परेशानी की ओर न तो जनप्रतिनिधियों ने ध्यान दिया और न ही प्रशासन के अधिकारियों ने कभी सुधि ली।

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लिहाजा गांव वालों ने खुद ही अस्थायी पुल बनाने का फैसला कर डाला ताकि रोजमर्रा के कामो और खेती के लिए आने वाली अड़चनों को दूर किया जा सके। बिना किसी तकनीकी और आर्थिक सरकारी मदद के सामूहिकता की मिसाल पेश करते हुए ग्रामीणों ने गोन नदी पर 70 मीटर का लकड़ी का पुल बांस बल्लियों से ही तैयार कर दिया जिसे अब आम लोगों के आवागमन के लिए शुरू कर दिया गया है। इस पुल के बनने से पहले या तो गांव वालों को नदी पार कर गांव तक आना-जाना पड़ता था या फिर कमलापुर तक पहुंचने के लिए घूम कर जाना पड़ता था।

ग्रामीणों के अनूठे प्रयासों की सराहना की

अब इस पुल के बन जाने से लोगों को आवागमन में बड़ी राहत मिलेगी। यहां तक कि जिला मुख्यालय पहुंचने में अब उन्हें करीब 15 किलोमीटर का कम सफर तय करना पड़ेगा। साथ ही लगभग एक दर्जन गांव के लोगो को इसका लाभ मिलेगा। जिलाधिकारी ने भी ग्रामीणों द्वारा बनाये गए इन लकड़ी के पुल की जानकारी मिलने पर स्वयं पुल का निरीक्षण किया और ग्रामीणों के अनूठे प्रयासों की सराहना की।

आवागमन की समस्या का अस्थायी समाधान ढूंढा जा सकता है

डीएम ने लोगो की आवश्यकता के मद्देनजर यहां स्थायी पुल और एप्रोच रोड बनाने के लिये शासन को प्रस्ताव भेजने की बात कही है। करीब ढाई माह की कड़ी मेहनत के जरिये ग्रामीणों ने इस लकडी के पुल का निर्माण करके जहां एक ओर अपनी आवागमन की समस्या का हल खोज निकाला है वहीं लोगों को भी यह प्रेरणा दी है कि बिना सरकारी मदद के भी आपसी प्रयासों से बड़ी से बड़ी समस्या का हल निकाला जा सकता है। अगर दूसरे जरूरतमन्द लोग भी इस गांव के लोगो के प्रयासों का अनुसरण करें तो दूसरे पिछड़े इलाकों में भी आवागमन की समस्या का अस्थायी समाधान ढूंढा जा सकता है।

(साभार-न्यूज18)

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