कहीं भारतीय एटीएम मशीनें न चढ़ जायें हैकरों के हत्थे?

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ब्रिटेन सहित जिन 90 से अधिक देशों के कंप्यूटरों पर सबसे बड़ा साइबर हमला हुआ है उसके पीछे कंप्यूटरों को अपडेट नहीं किया जाना है। इससे हैकरों को हमले का बड़ा मौका मिल गया है। जिन कंप्यूटरों पर हमला हुआ है वे अधिकतर विंडोज एक्सपी पर काम करते हैं जिसे माइक्रोसाफ्ट ने अपडेट करना बंद कर दिया है।

आपको याद होगा कि माइक्रोसॉफ्ट ने दो साल पहले अपने बेहद लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम माइक्रोसॉफ्ट विंडोज एक्सपी से सपोर्ट को खत्म कर दिया है। इसका परिणाम यह हुआ है कि इस सॉफ्टवेयर के लिए अब नए सिक्योरिटी फीचर्स, सॉफ्टवेयर अपडेट और बग फिक्सेज जारी नहीं हो रहे हैं और इसी में हैकरों को सेंध लगाने का मौका मिल गया है।

इस बारे में माइक्रोसॉफ्ट लोगों और कारोबारियों को लगातार आगाह कर रहा था। फिर भी विश्व के अधिकांश कंप्यूटर इसी पर काम कर रहे थे। हालांकि माइक्रोसॉफ्ट की इस कवायद का मकसद लोगों को विंडोज के नए संस्करणों की ओर ले जाना है। पर अधिकांश कंप्यूटरों ने अबतक विंडोज एक्सपी को छोड़ा नहीं है।

आपको बता दें कि विंडोज एक्सपी की बिक्री अक्टूबर 2001 में शुरू हुई थी और इसे ग्राहकों ने काफी पसंद किया। बाजार शोध फर्म नेट एप्लीकेशंस के आंकड़ों के मुताबिक अगस्त 2012 तक ये माइक्रोसॉफ्ट का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला आॅपरेटिंग सिस्टम था। हालांकि इसके बाद विंडोज-7 आगे निकल गया।

मजे की बात यह कि ये सॉफ्टवेयर आज भी कई सरकारी संस्थानों में काफी लोकप्रिय है और कुछ अध्ययनों से पता चला है कि दुनिया की ज्यादातर कैश मशीनों में आज भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। खासकर भारतीय एटीएम मशीनों में अब भी इसी साफ्टवेयर का ही इस्तेमाल हो रहा है। इससे यह संभावना बराबर जताई जा रही है कि कहीं एक साथ भारत के बड़े हिस्से में एटीएम मशीनों से हैकर पैसे न निकाल लें।

सिक्योरिटी विशेषज्ञों ने उसी समय कहा था कि  लोग एक्सपी का इस्तेमाल फौरन बंद कर दें। ऐसा इसलिए है क्योंकि डर था कि एक बार सिक्योरिटी अपडेट बंद होने के बाद अगर लोग फिर भी एक्सपी का इस्तेमाल करते हैं तो हाईटेक चोर उनके सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यही आज हुआ।

विंडोज-7 और विंडोज-8 में कई ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है ताकि साइबर हमलावरों से आॅपरेटिंग सिस्टम की आंतरिक कार्यप्रणाली छिपी रहे।

ऐसे में अगर कोई एक्सपी का ही इस्तेमाल करता है तो इस बात की आशंका अधिक है कि विंडोज-7 या विंडोज-8 के मुकाबले उसके पीसी पर आसानी से हमला हो जाए।आज जो हमला हुआ उसके बारे में यह बार बार बताया जा रहा है कि साइबर क्रिमनल ने विंडोज यूजर्स तक पहुंचने के लिए एडोब या आॅरेकल के जावा जैसे प्रोग्राम में बग का इस्तेमाल किया है।

अब भारत में सबसे बड़ा खतरा सरकारी बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर मंडरा रहा है। अभी भी समय है कि वे अपने सिस्टम को अपडेट कर लें। अनेक मीडिया संस्थानों में भी विंडोज एक्सपी का ही इस्तेमाल हो रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि भारत में सरकारी बैंकों में 40 से 70 फीसदी कंप्यूटर विंडोज एक्सपी पर ही चलाए जा रहे हैं।

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अब देखना यह दिलचस्प होगा कि 34,115 सरकारी बैंकों ने अपडेटिंग में अबतक कितनी तेजी दिखाई है। हालांकि नये साफ्टवेयर के चलते जिन भारतीय बैंकों ने अपना आॅपरेटिंग सिस्टम अपग्रेड किया है उन्होंने कंप्यूटर्स के रखरखाव का खर्च कई गुना बढ़ जाने की स्थिति में अपने चार्जेस बढ़ा दिये हैं।

अब यह जरूरी हो गया है कि यह जाना जाये कि  ‘रैंसमवेयर अटैक’ के बाद अपने कंप्यूटरों को कैसे बचायें। पहला काम आपको यह करना होगा कि तुरंत ही अपनी फाइलों का बैकअप बना लें।  इसके लिए सबसे बेहतर एक एक्सटर्नल हार्ड ड्राइव रहेगी जो इंटरनेट से जुड़ी न हो। किसी भी प्रकार के संदिग्ध ईमेल्स, वेवसाइट्स और ऐप्स से सावधान हो जायें।

ऐंटीवाइरस का इस्तेमाल हर हाल में करें। किसी भी ऐंटीवाइरस का इस्तेमाल कर के अपने सिस्टम में रैंसमवेयर को डाउनलोड होने से रोका जा सकता है। ज्यादातर ऐंटीवाइरस प्रोग्राम्स ऐसे फाइलों को स्कैन कर लेते हैं जिनमें रैंसमवेयर होने की आशंका रहती है।अपने सॉफ्टवेयर को हमेशा अपडेट रखें। अगर ऐसा हुआ तो आप अपने कंप्यूटरों को हैकरों के हमलों से बचा सकते हैं।

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