मिलिए IAS राजशेखर से, जिनके मैनेजमेंट से हजारों मजदूरों को मिली बसों की सवारी

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नई दिल्ली: दिल्ली की सीमा पर मौजूद उत्तर प्रदेश के कौशांबी बस स्टेशन पर शनिवार को इतनी भीड़ जुटी की संभालने के लिए गाजियाबाद के डीएम, एसएसपी सहित आधे दर्जन से अधिक अफसरों को घंटों कैंप करना पड़ा। जब भीड़ को संभालना मुश्किल था, तब लखनऊ में बैठे उत्तरप्रदेश के एक आईएएस अफसर ने अपने मैनेजमेंट का लोहा मनवाया।

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आईएएस अफसरों की प्रबंधन क्षमता कई बार मुसीबत के समय सरकारों के लिए संकटमोचक बन जाती है। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए 2004 बैच के तेजतर्रार आईएएस अफसर राजशेखर कुछ ऐसे ही संकट मोचक साबित हुए। दिल्ली से आकर गाजियाबाद में फंसे हजारों मजदूर अगर शनिवार को घरों के लिए रवाना हो सके, तो इसके पीछे राजशेखर का कुशल प्रबंधन रहा। राजशेखर के मैनेजमेंट का लोहा, गाजियाबाद के जिला प्रशासन से लेकर महकमे के अफसर भी मानते नजर आए।

जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एनसीआर में फंसी भीड़ को लाने के लिए शुक्रवार की देर रात बसें भेजने का फैसला किया, तो उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम(यूपीएसआरटीसी) के प्रबंध निदेशक(एमडी) राजशेखर ने पूरे प्रदेश के आरएम से लेकर एआरएम के फोन घनघनाकर उन्हें घरों से बुलाया। एक-एक ड्राइवर घरों से बुलाया गया। हर जिले से बसें गाजियाबाद के लिए रवाना कर दीं। ताकि दिल्ली से आए हजारों गरीब लोग घरों के लिए रवाना हो सके।

शनिवार को दोपहर करीब ढाई बजे का वक्त था। दिल्ली की सीमा पर स्थित गाजियाबाद के कौशांबी बस स्टेशन पर हजारों लोगों की भीड़ एकत्र थी, जिसमें अधिकांश गरीब मजदूर थे। क्षेत्रीय प्रबंधक(आरएम) ए.के. सिंह बसों की व्यवस्था में जुटे थे। इस बीच उनके पास एमडी राजशेखर का फोन आता है।

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एमडी राजशेखर हर जिले के लिए उपलब्ध बसों की संख्या और यात्रियों के बारे में जानकारी लेते हैं। जब आरएम उन्हें पूरी तरह आश्वस्त कर देते हैं कि बसों से सभी यात्रियों को समुचित तरीके से रवाना कर दिया जाएगा तो उधर से फोन कटता है। पूछने पर आरएम सिंह ने आईएएनएस से कहा, “एमडी साहब बहुत बढ़िया तरीके से हालात को हैंडल कर रहे हैं। लगातार हम सबसे अपडेट ले रहे हैं। एमडी साहब समस्याओं को तुरंत हल करने में रुचि लेते हैं।”

दरअसल, 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा के बाद से दिल्ली में रहने वाले मजदूरों का पलायन शुरू हो गया। दिल्ली से भारी भीड़ उत्तरप्रदेश की सीमा में दाखिल हो गई। लोग पैदल ही उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के लिए रवाना होने लगे। भीड़ को काबू करना मुश्किल हो गया। जबकि, उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बार जरूर सोचा कि भीड़ जहां है वहीं पर शिविर लगाकर और खाने-पीने के इंतजाम कर रोका जाए। मगर, दिल्ली से लगातार मजदूरों के बढ़ते पलायन के कारण स्थिति खराब होती गई। आखिरकार उत्तर प्रदेश सरकार ने 27 मार्च की देर रात एक हजार बसों को गाजियाबाद रवाना करने का फैसला किया।

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उत्तर प्रदेश सरकार ने दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर फंसे हजारों मजदूरों को लाने के लिए बसों को लगाने का फैसला तो कर लिया, मगर इस हालात में बसों का संचालन मुश्किल काम था। अधिकांश अफसर और कर्मचारी लॉकडाउन के कारण घर बैठ चुके थे। इसके बाद एमडी राजशेखर ने कमान संभाली। परिवहन विभाग के प्रबंध निदेशक के पद के अनुरुप ही प्रबंधन क्षमता को साबित करते दिखे। पहले, सभी जिलों के डीएम और एसपी को पत्र लिखकर कहा कि दिल्ली की सीमा पर फंसे मजदूरों को लाने के लिए भेजी गईं बसों को कोई अपनी सीमा में न रोके।

इसके बाद राजशेखर ने प्रदेश के सभी क्षेत्रीय प्रबंधकों(आरएम) और सहायक क्षेत्रीय प्रबंधकों(एआरएम) को एक हजार बसों को गाजियाबाद रवाना करने के लिए कहा। लॉकडाउन के कारण घर जा चुके ड्राइवरों को काम पर बुलाय गया। जिसके बाद 27 मार्च से सुबह आठ बजे से गाजियाबाद से उत्तरप्रदेश के विभिन्न जिलों के लिए बसों का संचालन हुआ। यह सेवा 28 मार्च को भी जारी रहेगी। परिवहन विभाग को अनुमान है कि दो दिनों में उत्तरप्रदेश की सीमा में दाखिल हुई भीड़ घरों को पहुंच जाएगी।

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