सिर्फ खबर ही नहीं, गरीबों के मसीहा भी हैं ये कलम के सिपाही

पत्रकार

लॉकडाउन की सबसे बड़ी मार दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ी है। दिल्ली-उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर फंसे हजारों मजदूर अपने घरों को पलायन कर रहे हैं। नेशनल हाइवे पर भूखे प्यासे लोगों का कारवां बढ़ता जा रहा है। ऐसे में लोगों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकार। कई ऐसे पत्रकार हैं जो ड्यूटी देने के साथ पलायन कर रहे लोगों की मदद कर रहे हैं।

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अपने खर्चे से कर रहे हैं भोजन का प्रबंध

पलायन कर रहे मज़दूरों के सामने सबसे बड़ी समस्या भोजन की है। रास्ते में दुकान बंद होने के कारण खाने-पीने के सामान की किल्लत है। बड़ों का तो जैसे-तैसे काम चल जा रहा है, लेकिन भूख से बिलखते छोटे बच्चों को देख किसी का भी कलेजा पसीज जाए। मुश्किल की इस घड़ी में मजदूरों के लिए रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकार मददगार बने हैं। नोएडा से लेकर वाराणसी तक पत्रकारों की एक ऐसी जमात है जो प्रशासन के साथ मिलकर जरूरतमंदों की लगातार मदद कर रहे हैं।

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ड्यूटी के साथ पेश कर रहे मानवता की मिसाल

इंडिया टीवी के पत्रकार राहुल पुरी और वेद गौड़ अपने साथियों के साथ मिलकर लगातार जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं। ड्यूटी से फ्री होते ही राहुल अपने दोस्तों के साथ हाइवे पर पहुंच जाते हैं और उनके बीच खाने-पीने के सामानों को बांट रहे हैं। सहारनपुर में हिंदी खबर के संवाददाता लियाकत पुंडीर की भी कोशिश को हर कोई सैल्युट कर रहा है। लियाकत रिपोर्टिंग के साथ जरूरतमंदों की मदद के लिए दिन रात जूट हैं। समाजसेवियों की सहायता से लियाकत गरीबों तक भोजन पहुंचा रहे हैं। लखनऊ के युवा पत्रकार देवेश पाण्डेय भी गरीबों की मदद कर मिसाल पेश कर रहे हैं। भारत समाचार और न्यूज 1 इंडिया में काम कर चुके देवेश की कोशिशों से  जरूरतमंदों को भोजन मिल रहा है।

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