हमेशा विवादों में क्यों रहते हैं राजीव रौतेला ?
आशीष बागची
पदोन्नति देकर यूपी से उत्तराखंड भेजे जाने के बावजूद गोरखपुर के पूर्व डीएम राजीव रौतेला(Rajiv kumar) का विवादों से नाता नहीं छूट रहा है। ज्ञात हो कि गोरखपुर उपचुनाव में मतगणना वाले दिन उनके विवादित कदमों ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की काफी किरकिरी की थी और माना जा रहा है कि इसी विवाद के चलते रौतेला को उत्तराखंड अपने मूल कैडर में भेजने की सरकार ने कार्रवाई की।
पदोन्नति देकर देवीपाटन का मंडलायुक्त बनाया
गोरखपुर विवाद के बाद जिलाधिकारी राजीव रौतेला(Rajiv kumar) को पदोन्नति देते हुए देवीपाटन का नया मंडलायुक्त नियुक्त किया गया था। उन्हें प्रमोशन दिए जाने पर विपक्षी दलों की ओर से सवाल खड़े किए जाने के बाद उत्तराखंड कैडर में वापस भेजने का फैसला किया गया। राजीव रौतेला(Rajiv kumar) उत्तरखंड के मूल निवासी है। 1982 में यूपीपीएससी में इनका चयन हुआ। नवंबर, 2000 में उत्तरखंड बनने के बाद रौतेला का आवंटन पीसीएस रहते हुए उत्तराखंड के लिए हुआ। 2002 में प्रमोट होकर आईएएस हो गए।
रौतेला उत्तराखंड नहीं गए
रौतेला उत्तराखंड गए नहीं, बल्कि उन्होंने अपने आवंटन के खिलाफ इलाहाबाद हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर की। रिट याचिका हाइकोर्ट ने खारिज कर दी, इसके बाद केंद्र सरकार को अपने आवंटन पर पुनर्विचार के लिए प्रत्यावेदन दिया, जिस पर केंद्र ने इलाहाबाद हाइकोर्ट के आदेश के मद्देनजर निपटारा कर दिया।
Also Read : …तो क्या भाजपा ने निकाल लिया ‘बुआ भतीजे’ की काट
विवादों से रहा है नाता
2013 में अलीगढ़ डीएम रहते हुए राजीव रौतेला पर शहीदों का अपमान करने के आरोप लगे। रौतेला ने शहीदों के परिजनों को लेकर बयान दिया था कि “जवान शहीद होते है तो परिवार वाले विभिन्न मांगें रख देते हैं”। साल 2017 में हाइकोर्ट ने रौतेला(Rajiv kumar) को निलंबित करने का आदेश दिया था। उनपर रामपुर का डीएम रहते हुए खनन को बढ़ावा देने का आरोप लगा था।
गोरखपुर ऑक्सीजन कांड के दौरान वहां के डीएम थे
गोरखपुर में जब ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत हुई तब राजीव रौतेला वहां के डीएम थे। कहा जाता है कि बतौर डीएम राजीव ने फर्म के द्वारा बकाया भुगतान को लेकर लिखे पत्र का संज्ञान नहीं लिया था।
ताजा विवादों में ऐसे आये
वे ताजे विवाद में उस समय आये जब गोरखपुर उपचुनाव की मतगणना के समय पत्रकारों के मतगणना केंद्र में घुसने पर रोक लगा दी। बाद में चुनाव आयोग ने सफाई देते हुए कहा कि चूंकि रौतेला खुद बाहर आकर मीडिया को रुझानों की जानकारी दे रहे हैं, इसलिए पत्रकारों को अंदर आने की जरूरत नहीं है। मगर बाकी जगहों पर मतगणना के दौरान रोकटोक नहीं थी और न ही किसी तरह का विवाद हुआ। यह देखना दिलचस्प होगा कि अब यूपी सरकार इसके खिलाफ कोर्ट जायेगी या राजीव रौतेला(Rajiv kumar) उत्तराखंड से प्रतिनियुक्ति पर फिर आ जायेंगे?