धरती पर कैसे आया पानी? नई रिसर्च में हुआ खुलासा
अक्सर आपके जहन में यह सवाल आता होगा कि धरती पर पानी कहा से आया, तो अब इसको लेकर अब एक नई स्टडी सामने आई हैं. इस नई स्टडी में यह खंडन किया जाता है कि धरती पर पानी अंतरिक्ष से आया है और जिसका जिम्मेदार एक क्षुद्रग्रह है. हाल में जो नई स्टडी हुई है, उसके मुताबिक जब ग्रह का निर्माण हो रहा था उस समय हाइड्रोजन युक्त वायुमंडल और मैग्मा महासागरों के बीच रासायनिक संपर्क हुआ और उससे पानी अस्तित्व में आ सकता है.
धरती में खुद पैदा हुआ पानी…
हुई स्टडी में पता चला है कि धरती में पानी खुद से ही विकसित किया. इस स्टडी ने उस इस सिद्धांत को पूरी तरह से खारिज कर दिया जिसमें कहा जाता है कि जमे हुए धूमकेतु या क्षुद्रग्रह सुखी पड़ी धरती पर पानी लाए. ये नई रिसर्च कार्नेगी साइंस ने की है. कार्नेगी साइंस में वैज्ञानिक अनत शहर, यूसीएलए के एडवर्ड यंग और हिल्के श्लिचिंग के नई रिसर्च में ये जानकारी सामने आई है.
ये रिसर्च एक्सोप्लैनेट पर आधारित है. ये बताती है पृथ्वी के अस्तित्व के आरंभ में मैग्मा महासागर और एक आणविक हाइड्रोजन प्रोटो-वायुमंडल के बीच परस्पर क्रिया से भारी मात्रा में पानी निकला हो सकता है. शहर ने बताया कि एक्सोप्लैनेट की खोजों ने हमें इस बारे में बताया कि ग्रह के बनने से लाखों वर्षों पहले जो वायुमंडल था. उसमें आणविक हाइड्रोजन और H2 होना कितना आम था.
अंतरिक्ष से नहीं आया पानी…
ये स्टडी बताती है कि गहरे अंतरिक्ष से धरती पर पानी आने का सिद्धांत गलत है. एक लोकप्रिय सिद्धांत ने दावा किया कि धरती के अधिकांश पानी के लिए क्षुद्रग्रह हमले जिम्मेदार हैं. नेचर एस्ट्रोनॉमी पत्रिका में हाल ही में प्रकाशित एक स्टडी में सुझाव दिया गया है कि वाष्पशील और जैविक तौर पर समृद्ध सी-प्रकार के क्षुद्रग्रह पृथ्वी के पानी के प्राथमिक स्रोतों में से एक हो सकते हैं.
इस रिसर्च के मुताबिक दूर के तारों की परिक्रमा करने वाले आम एक्सोप्लैनेट्स की स्टडी की गई, जिसमें ये पता चला कि विकसित ग्रह को बनाने के लिए टकराने वाली चट्टान की सामग्री पूरी तरह से सूखी थी लेकिन आणविक हाइड्रोजन वातावरण और मैग्मा महासागर के बीच परस्पर क्रिया से भरपूर पानी उत्पन्न हुआ. इसके अलावा अन्य जल जल स्रोत संभव हैं. लेकिन पृथ्वी की वर्तमान स्थिति की व्याख्या करने के लिए आवश्यक नहीं है.
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