गृह मंत्रालय ने लखबीर सिंह लांडा को किया आतंकी घोषित, कनाडा से प्रत्यर्पण की हो सकती है मांग
भारत-कनाडा के रिश्ते खलिस्तानी आतंकवाद के कारण तल्ख रहे हैं. वहीं कनाडा में रहने वाले लखबीर सिंह लांडा को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आतंकी घोषित किया है. गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को गैंगस्टर और बब्बर खालसा नेता लखबीर सिंह लांडा को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत ‘व्यक्तिगत आतंकवादी’ घोषित किया है. लखबीर सिंह लांडा मूल रूप से पंजाब का रहने वाला है, मगर बीते कुछ समय से वह कनाडा में बैठकर भारत के खिलाफ साजिशों में जुटा है.
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मोहाली स्थित खुफिया मुख्यालय में बम ब्लास्ट करवाने का है आरोप
लांडा पर आरोप है कि वह पाकिस्तान से भारत में हथियारों और इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) की तस्करी की निगरानी करता है. लखबीर सिंह पर 9 मई 2022 को पंजाब पुलिस के खुफिया मुख्यालय पर हुए रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड (आरपीजी) से हमले कराने का आरोप है. मामले में उसके खिलाफ पंजाब पुलिस और एनआईए द्वारा केस दर्ज किया गया है.
बब्बर खालसा संघठन के लिये करता है काम
गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, आतंकी लखबीर सिंह लांडा कनाडा स्थित खालिस्तान समर्थक संगठन (बीकेई) के साथ भी जुड़ा हुआ है. बब्बर खालसा इंटरनेशनल संघठन की स्थापना साल 1978 में हुई थी. जिसमें मृतक खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) का आतंकी हरदीप सिंह निज्जर और सिख्स फॉर जस्टिस का आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नून भी जुड़ा था. लखबीर सिंह लांडा पंजाब के तरन तारन जिले का रहने वाला है और फिलहाल वह कनाडा के एडमॉन्टन, अलबर्टा में रहता है.
लांडा पर 15 लाख रुपये का इनाम
लांडा पंजाब के तरनतारन का रहने वाला है, जिसके खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने रेड कॉर्नर नोटिस (2021) में भी जारी किया हुआ है. साल 2017 में कनाडा को फरार हुए लखबीर सिंह लांडा के सिर एनआईए ने 15 लाख रुपए का इनाम भी घोषित किया हुआ है. हालांकि कनाडा में रहने की वजह से उसकी गिरफ्तारी में सफलता नहीं मिल पाई है.
कनाडा-भारत प्रत्यर्पण संधि,1987
भले ही कनाडा और भारत ने 1987 में एक प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड से पता चलता है कि 2002 से 2020 तक भारत द्वारा मांगे गए केवल छह भगोड़ों को देश में लौटाया गया है. अधिकतर मामलों को केवल सरकारी पन्नों तक ही सीमित कर दिया गया है. जबसे जस्टिन ट्रूडो की सरकार सत्ता में आई है तबसे प्रत्यर्पण संबंधित गतिविधियों में और ढिलाई बरती जा रही है. कनाडा से अंतिम प्रत्यर्पण 2019 में मलकीत कौर सिद्धू और उनके भाई सुरजीत सिंह को शामिल किया गया था.