तिरुपति मंदिर के लड्डू का इतिहास और इसका विवाद….
CALF की रिपोर्ट में हुआ खुलासा....
Tirupati laddu: तिरुपति बाला जी के मंदिर के प्रसाद को लेकर विवाद खड़ा हो गया है.आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया है कि मंदिर के प्रसाद में काफी समय पहले से मिलावट हुआ करती थी और घी की गुणवत्ता ख़राब रहती थी. इतना ही नहीं उन्होंने यहां तक कहा कि मंदिर के लड्डू प्रसाद के लिए जानवरों की चर्बी का भी प्रयोग होता था. बता दें कि जिस मंदिर को लेकर विवाद मच रहा है उसमें साल में करोड़ों भक्त दर्शन के लिए आते हैं.
आइए जानते हैं क्या है इसका इतिहास और विवाद…
जानें कैसे शुरू हुआ विवाद?…
गौरतलब है कि अंदर प्रदेश में NDA की एक बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा था कि तिरुमला मंदिर में जो लड्डू मिलता था वह ख़राब क्वालिटी का था उसमें घी की जगह जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता है. इतना ही नहीं राज्य में जब से TDP की सरकार आई है तब से पूरी प्रक्रिया को साफ़ किया गया है और लड्डू की गुणवत्ता में सुधार किया गया है.
CALF की रिपोर्ट में हुआ खुलासा….
बता दें कि मंदिर बोर्ड ने लड्डू में इस्तेमाल होने वाले घी को लेकर जांच कराई थी. उसके बाद जांच के लिए गुजरात की NDDB CALF Ltd. को भेज दिया था. मंदिर बोर्ड की तरफ से 9 जुलाई को सैंपल भेजा गया था और 16 जुलाई को रिपोर्ट आई जिसमें कहा गया कि घी की क्वालिटी सही नहीं है. इसके बाद राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के फ़ूड लैब CALF ने भी देव किया था था कि लड्डू बनाने में जिस घी का इस्तेमाल किया जा रहा है. उसकी क्वालिटी सही नहीं है.इसमें जानवरों की चर्बी और फिश आयल भी मिला है.
प्रसाद का इतिहास…
बता दें कि तिरुपति मंदिर में बांटे जाना वाला प्रसाद की प्रथा लगभग 300 साल पुरानी है. यह 1715 में शुरू हुई थी और तब से लेकर आज तक भक्तों को लड्डू को वितरित किया जा रहा है. यह एक ऐसी परंपरा है जो निरंतर जारी है और अभी तक इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है. जानकर मानते हैं कि यही वजह है कि इसके प्रसाद की अहमियत ज्यादा है.
पहले भी हुआ है विवाद…
बता दें कि एक रिपोर्ट में पता चला है कि इससे पहले 1985 में भी मंदिर के प्रसाद को लेकर विवाद हो चुका है. तब यह कहा गया था कि प्रसाद को वैज्ञानिक पद्दति से इस प्रसाद को मनाया जाएगा. वहीं एक व्यक्ति ने शिकायत की थी कि प्रसाद में फफूंदी और कील निकली थी. तब भी इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था और आंध्रप्रदेश विधानसभा में हंगामा हुआ था. इस बार इसे हिन्दू आस्था से जोड़कर देखा जा रहा है.
2014 में मिल चुका है GI टैग…
बता दें कि इस मंदिर का प्रसाद कोई ऐसा वैसा नहीं है. इसकी खासियत यह है कि प्रसाद के चलते इस मंदिर के प्रसाद के लड्डू को 2014 में GI टैग मिल चुका है. क्यूंकि इसके बनाने की विधि और कला अद्भुत है. कहते हैं कि इसे मंदिर के एक विशेष किचन में तैयार किया जाता है. इसको बनाने में घी, चने का बेसन, चीनी और चीनी के दाने, काजू, किशमिश, कपूर और इलाइची का प्रयोग होता है.