भारत विविध संस्कृतियों और धार्मिक सहिष्णुता का अद्भुत उदाहरण है. इसी का प्रतीक है हुसैनी ब्राह्मण समुदाय, जो हिंदू होते हुए भी इस्लामिक परंपराओं का पालन करता है. इनका नाम ‘हुसैनी ब्राह्मण’ इसलिए पड़ा क्योंकि ये इमाम हुसैन (जो पैगंबर मुहम्मद के नाती थे) के प्रति आस्था रखते हैं.
यह समुदाय खासतौर पर पंजाब क्षेत्र से जुड़ा हुआ है और इसकी एक अनूठी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है.
कौन हैं हुसैनी ब्राह्मण?
हुसैनी ब्राह्मण मुख्य रूप से मोहयाल ब्राह्मणों का एक हिस्सा हैं, जिनमें सात उप-समूह शामिल हैं- बाली, भीमवाल, छिब्बर, दत्त, लाउ, मोहन और वैद. इनमें से दत्त वंश के ब्राह्मणों का इतिहास करबला के युद्ध से जुड़ा हुआ है.
करबला के युद्ध से रिश्ता
680 ईस्वी में करबला का युद्ध हुआ था, जिसमें इमाम हुसैन और उमय्यद खलीफा यजीद की सेना के बीच संघर्ष हुआ था. कहा जाता है कि दत्त ब्राह्मण समुदाय के एक नेता रहाब सिंह दत्त, अपने सैनिकों के साथ इस युद्ध में इमाम हुसैन के पक्ष में लड़े. जो बगदाद के पास रहता था. इतिहासकारों के अनुसार, उस समय करीब 1400 ब्राह्मण बगदाद में रहते थे. युद्ध के बाद, इन ब्राह्मणों ने इमाम हुसैन के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने के लिए कुछ इस्लामी परंपराओं को अपनाया, जिसके चलते उन्हें हुसैनी ब्राह्मण कहा जाने लगा.
हिंदू और मुस्लिम परंपराओं का संगम
हुसैनी ब्राह्मण हिंदू देवी-देवताओं की पूजा करते हैं, लेकिन उनके घरों में ‘आलम’ (इमाम हुसैन के सम्मान का प्रतीक) भी रखा जाता है. यह समुदाय मुहर्रम के दौरान मातम करता है और इमाम हुसैन की शहादत को याद करता है. ये लोग मजलिस में शामिल होते हैं, तथा मर्सिया, नौहा और सलाम पढ़ते हैं, जो करबला के शहीदों को समर्पित होते हैं.
इस समुदाय की एक खास पहचान यह भी है कि ये हिंदू रीति-रिवाजों को मानते हुए मुस्लिम परंपराओं का भी सम्मान करते हैं.
अभी किन जगहों पर मौजूद हैं हुसैनी ब्राह्मण
भारत के विभाजन से पहले हुसैनी ब्राह्मणों की एक बड़ी संख्या लाहौर में रहती थी. अब यह समुदाय भारत और पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में पाया जाता है:
जैसे पुणे, दिल्ली, चंडीगढ़, अमृतसर, जम्मू, अजमेर, और बिहार (मुजफ्फरपुर).
पाकिस्तान के सिंध और लाहौर, अफगानिस्तान के काबुल में इस समुदाय के लोग रहते हैं.
प्रसिद्ध हुसैनी ब्राह्मण
- सुनील दत्त (बॉलीवुड अभिनेता, संजय दत्त के पिता)
- काश्मीरी लाल जाकिर (उर्दू लेखक)
- सबिर दत्त (कवि और लेखक)
- नंद किशोर विक्रम (साहित्यकार)
- सुनीता झिंगरन (प्रसिद्ध भारतीय गायिका, जो ठुमरी, ग़ज़ल और खयाल गायन के लिए जानी जाती हैं)
इस समुदाय से जुड़ी एक प्रसिद्ध कहावत है:
“वाह दत्त सुल्तान, हिंदू का धर्म, मुसलमान का ईमान, आधा हिंदू आधा मुसलमान.”
इसका मतलब है कि ये समुदाय हिंदू धर्म को मानता है, लेकिन मुस्लिम परंपराओं का भी पालन करता है.
हुसैनी ब्राह्मण समुदाय यह दर्शाता है कि धर्म से ऊपर इंसानियत होती है. इनका मानना है कि हिंदू और मुस्लिम परंपराएं साथ-साथ चल सकती हैं, और यही भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी खासियत है. यह समुदाय यह संदेश देता है कि धर्म का असली मकसद आपसी प्रेम और सम्मान है, न कि बंटवारा.