हिमाचल चुनाव: रिश्तों की तकरार होगी शानदार, कही बाप-बेटी तो कही ससुर-दामाद

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हिमाचल प्रदेश चुनाव का बिगुल बज चुका है जहा इस बार के चुनावी जंग के बीच में रिस्तो का कत्ल होते आरहा है तो कई नेताओ को टिकट न मिलने के चलते पिता के खिलाफ आक्रोश देखने को मिल रहा है तो कही कुछ और. यह कहानी किसी एक पार्टी या किसी एक सीट पर नहीं है. भारतीय जनता पार्टी से लेकर कांग्रेस पार्टी तक आपको अनेको ऐसे उद्धरण मिल जायेंगे। तो चलिए इस पुरे सियासी माहौल को समझते है

जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह की बात करें तो उन्ही की बेटी जोकि जिला परिषद् सदस्य है हाल की में बेटी वंदना गुलेरिया ने पिता महेंद्र सिंह और भाई रजत ठाकुर को सोशल मिडिया के दरवाजे पर घसीटा, कहा तो ये जा रहा है कि वंदना को अपने भाई रजत ठाकुर को विरासत में मिली राजनैतिक विरासत को उनके भाई को दिए जाने के फैसले से उन्हें दिक्कत है “उन्होंने कहा दिल्ली से टिकट मिल जायेगी लेकिन वोट नहीं मिलेंगे”

ट्वीट कर उन्होंने कहा कि “हमेशा क्यों बेटियों की ही बलि देना की उम्मीद की जाती है” फिलहाल अभी सिंह बेटी को शांत करने की कोशिश कर रहें है लेकिन अब लगता है कि वह अपने भाई के खिफाल मैदान में उतर चूकिं हैं.

इसी तरह का एक मामला और देखने को मिलता है जो काफी लम्बे समय से च रहा है सबसे रोचक मुकाबला सोलन सीट पर देखने को मिलेगा. यहां पर ससुर के सामने एक बार फिर से दामाद को भाजपा ने चुनावी मैदान में उतारा है. बीते 2017 के चुनाव में भी यह जोड़ी आमने सामने थी, लेकिन दामाद को हार का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस के धनी राम शांडिल के मुकाबले में भाजपा ने राजेश कश्यप को टिकट थमाया है. अहम बात ये है कि दामाद के मुकाबले ससुर के पास राजनीतिक अनुभव ज्यादा है. राजेश कश्यप अभी हाल ही में राजनीति में उतरे हैं. हालांकि, उनके भाई वीरेंद्र कश्यप शिमला से भाजपा के सांसद रह चुके हैं. राजेश कश्यप का यह दूसरा चुनाव है. पहले चुनाव में उनकी हार हुई थी.

जानकारी के अनुसार, सोलन सीट आरक्षित सीट है. यहां से भाजपा ने जहां डॉक्टर राजेश कश्यप और कांग्रेस ने धनी राम शांडिल को टिकट दी है. ये दोनों सुसर (धनीराम) और दामाद (राजेश कश्यप) हैं.

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