संदिग्ध कोरोना मरीजों की पहचान करेगा हेल्थ बैंड

मुरादाबाद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में प्रोटोटाइप तैयार

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लखनऊ : संदिग्ध कोरोना मरीजों की पहचान के लिए हेल्थ बैंड Health band को एक हथियार के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
पाया गया है कि कोरोना काल में बढ़ी चुनौतियों के साथ देश में इनोवेशन के नए रास्ते खुले हैं जो काफी मददगार साबित हो सकते हैं।

संक्रमण रोकने में Health band कारगर

मुश्किल समय में क्वारेंटीन सेंटरों में सोशल डिस्टेंसिंग को मेनटेन रखते हुए संक्रमण रोकने में Health band कारगर हो सकता है। यह संदिग्ध की पहचान कराने में भी सहायक होगा।

मुरादाबाद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्र शहबाज खान ने एक ऐसा ही उपकरण तैयार किया है, जो कोविड-19 से उत्पन्न हुए संघर्ष की राह को आसान करेगा। प्रोटोटाइप तैयार किये गए इस उपकरण में शामिल तकनीक इसे ऐसे ही अन्य उपकरणों से अलग कर रहा है।

संदिग्ध मरीज की पहचान आसानी से हो जाएगी

यह दावा किया जा रहा है कि इसमें ब्लड ऑक्सीजन, हार्ट बीट और बुखार नापने की तकनीक के एक साथ काम करने से कोरोना संदिग्ध मरीज की पहचान भी आसानी से हो जाएगी। इतना ही नहीं, बड़े मशीनों की मदद से हो रही जांच के खर्च के मुकाबले इससे होने वाली जांच खर्च भी काफी कम है।

शहबाज खान ने बताया कि इस Health band में माइक्रो कंट्रोलर के साथ तीन सेंसर है, जो व्यक्ति के ऑक्सीजन लेवल, हार्ट बीट व बॉडी के तापमान को जानकर उसे डिस्पले करेगा। इससे क्वारेंटीन सेंटरों पर रखे गये लोगों की निगरानी में आसानी होगी। व्यक्तियों में संक्रमण के लक्षण को पहचानने में यह सहायक होगा। इसे 3 हजार रुपये में तैयार किया गया है।

उन्होंने बताया, “यह Health band सबसे अलग है। यह घड़ीनुमा है। इसमे वाईफाई लगा है। लाइव डिस्पले है, जिसके कारण इसका सारा डेटा सर्वर पर अपडेट हो जाएगा। इतना ही नहीं, बैंड वाईफाई से कनेक्ट होगा और यह सभी डेटा को ऑनलाइन करने में भी सक्षम है।”

कम्प्यूटर या मोबाइल से हो सकता है कनेक्ट

हेल्थ बैंड को कम्प्यूटर या मोबाइल पर कनेक्ट कर सकते हैं। शरीर का तापमान बढ़ने, ब्लड में ऑक्सीजन कम होने पर मोबाइल के माध्यम से यह पता चल जाएगा। Health band पहने व्यक्ति के शरीर का तापमान हर दिन पता किया जा सकता है।

क्वारेंटीन सेंटर में एक ही मशीन से बार-बार जांच करने पर संक्रमण फैलने का खतरा है। सेंटर पर आए मरीज को यह वॉच पहनाने पर हर आधे घंटे में यह अपडेट होता रहेगा। बड़ी मशीन से जांच करना काफी महंगा साबित हो रहा है। उसे ऑपरेट करने वालों को भी संक्रमण का डर रहता है। इसकी मदद से सोशल डिस्टेंसिंग के साथ जांच हो जाएगी। मरीजों के हर समय का डाटा जिले में बैठे अधिकारी भी बड़े आराम से देख सकते हैं।

एक साथ 10 से 12 क्वारेंटीन सेंटर हो सकते हैं मैंनेज

उन्होंने बताया, “यह एक साथ 10 से 12 क्वारेंटीन सेंटर को मैंनेज कर सकते हैं। बड़ी मशीन में लाइव ट्रेकिंग नहीं होती है। वह इसकी तुलना में मंहगी होती हैं। इससे डॉक्टर भी सुरक्षित रहेंगे। कभी-कभी जांच में लोगों के शरीर के तापमान का सही ढंग से पता नहीं चल पाता है। इसके माध्यम से यह हर पांच मिनट में सर्वर में अपडेट होता रहेगा। संक्रमित कितना बीमार है, उसे कहां पर रखना है? ये इन सारी चीजों में सहायक है। इसे करोना के बाद भी प्रयोग कर सकते हैं। आगे चलकर ईसीजी और रेसपेरेटरी सेंसर लगाकर सांस संबधी दिक्कतों को दूर किया जा सकें, इस पर भी काम चल रहा है। इसे एकेटीयू, एमचआरडी, मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेली कम्युनिकेशन ने सराहा है। प्रमाण पत्र भी भेजा गया है। इसे बनाने में कालेज सहित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेकि्नकल विश्वविद्यालय ने बड़ी मदद की है।”

Health band तकनीकी के क्षेत्र में एक नई बात

एकेटीयू के प्रवक्ता आशीष मिश्रा ने बताया, “कोरोना संकट में नए-नए इनोवेशन आ रहे हैं, यह अच्छी बात है। यह Health band तकनीकी के क्षेत्र में एक नई बात है। यह एक सुरक्षात्मक उपाय है। हम इसे प्रमोट कर सकते हैं। इस तकनीक का प्रसार करने के लिए जिस भी मदद की जरूरत होगी, विश्वविद्यालय उसे करेगा।”

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