शाहरूख, आमिर के साथ काम करने की तमन्ना : गुरिंदर चढ्ढा
भारतीय मूल की ब्रिटिश निर्देशिका गुरिंदर चढ्ढा शाहरुख खान, आमिर खान और कंगना रनौत जैसे सुपरस्टारों के साथ काम करना चाहती हैं, लेकिन उनका कहना है कि बड़े भारतीय कलाकारों को एक निश्चित प्रकार की फिल्म की दरकार होती है जो उनकी शैली से अलग है।
सितारों को खास फिल्मों की जरूरत
गुरिंदर ने मीडिया को बताया, “मुझे लगता है कि यहां (भारत में) बड़े सितारों को एक खास तरह की फिल्म की जरूरत है और मैं जिस तरह की फिल्मों पर काम करती हूं, वे अक्सर बहुत ही अलग होती हैं जो उन फिल्मों से अलग हैं जिसकी शायद उन्हें दरकार होती है।”गुरिंदर ‘बेंड इट लाइक बेकहम’ और ‘ब्राइड एंड प्रीज्यूडिस’ जैसी फिल्मों के लिए जानी जाती हैं।
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उन्होंने हालांकि अपनी फिल्मों में बॉलीवुड कलाकारों को शामिल न करने की संभावना से इनकार किया।उन्होंने कहा, “मेरे ‘कभी नहीं’ शब्द कभी होता ही नहीं। अगर कोई मुझे भारत में बहुत ही दिलचस्प पटकथा देगा तो मैं उसे जरूर करूंगी।”
एक्ट्रेस फिल्मों को आपस में जोड़ती है
‘बेंड इट लाइक बेकहम’ और ‘ब्राइड एंड प्रीज्यूडिस’ या फिर ‘पार्टीशन : 1947’ गुरिंदर हमेशा ही अलग युगों व संस्कृतियों की फिल्मों के लिए जानी जाती हैं, लेकिन एक चीज इन फिल्मों को आपस में जोड़ती है और वह है कि हर फिल्म में मजबूत महिला पात्र।गुरिंदर ने कहा, “चलिए एक अभियान की शुरुआत करते हैं। शाहरुख, आमिर और कंगना सहित सभी दिलचस्प लोगों व धर्मा प्रोडक्शन व यशराज फिल्म्स को लिखते हैं कि गुरिंदर को एक दिलचस्प पटकथा में शामिल करें।”
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1947 भारत के विभाजन के जख्मों को बयां करती है
इस समय गुरिंदर ‘पार्टीशन : 1947’ पर मिल रही सराहना का आनंद उठा रही हैं। यह फिल्म भारत के विभाजन के जख्मों को बयां करती है।उन्होंने कहा, “दुखद, मुझे लगता है कि यह फिल्म आज के समय में बहुत प्रासंगिक है, जब केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में यह हो रहा है। दुनिया भर में कई जगह बांटों और राज करो की नीति है। यहां यूरोप और इंग्लैंड में भी देखने को मिल रहा है।”गुरिंदर ने ब्रेक्सिट का उदाहरण देते हुए कहा, “पूरी ब्रेक्सिट प्रक्रिया (ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से अलग करने वाली) अजनबियों, विदेशियों और उन लोगों का डर जो आपसे अलग हैं इस पर आधारित थी। और कुछ लोगों ने इस डर का राजनीति लाभ उठाया।”उन्होंने कहा, “लेकिन सब कुछ निराशाजनक नहीं है। जब बुरी चीजें होती हैं तो अच्छी चीजें भी होती हैं।”
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