सुसाइड रोक ने के लिए सरकार ने तैयार की……….. UMMEED!

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कोचिंग का हब माने जाने वाले कोटा में बीते लम्बे समय से आत्महत्या के मामले लगातार सामने आ रहे है, इसके साथ ही देश भर में आत्महत्या के मामले में बढत देखी गयी है। उनमें भी कम उम्र के छात्र – छात्राओं के मरने के मामले ज्यादा सामने आ रहे है।यदि साल 2023 की शुरूआत से अब तक गौर करें तो अब तक 22 छात्रों की मौत आत्महत्या से हो चुकी है। ऐसे में यह मुद्दा सरकार के लिए लम्बे समय से चिंता का विषय बना हुआ है। हालांकि , प्रशासन आत्महत्या को रोकने के लिए लगातार काम कर रहा है, जिसके चलते हॉस्टल के पंखों में बदलाव, शिक्षकों को दबाव न करने का आदेश दिए जाने जैसे प्रयास किए गये है। लेकिन इसके बाद भी सरकार ने आत्महत्याओं के मामले में कुछ खास बदलाव नहीं पाया है, जिसके चलते अब सरकार लगातार बढती आत्महत्यों को लेकर बड़ा कदम उठाने जा रही है जिसका नाम है उम्मीद…

उम्मीद… को लेकर सरकार ने गाइडलाइन जारी कर दी है। जिसके तहत स्कूलों सुसाइड प्रिवेंशन के लिए प्लान ऑफ एक्शन बनाना होगा, साथ ही स्कूल प्रशासन को इसके लिए वेलनेस टीम तैयार करनी होगी। यह टीम स्कूल के सभी बच्चों से खुलकर बात करेंगी, उनमें अवसाद, आत्महत्या या खुद को नुकसान पहुंचाने की किसी भी प्रकार के बच्चे में लक्षण पाएं जाने पर उन्हे यह टीम भावनात्मक रूप से सपोर्ट करेगी और बच्चों को समझाने का काम करेगी।

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6 पॉइंट पर काम करेगी वेलनेस टीम

 

 

डिप्रेशन, सुसाइड या खुद को नुकसान पहुंचाने की प्रवृत्ति के जूझ रहे छात्रों को स्कूल की वेलनेस टीम के मैंम्बर छात्रों के इन 6 पॉइंट्स पर काम करते हुए, उन्हे इस समस्या से बाहर निकालने का प्रयास करेंगी।

U – Understand यानी समझना
M – Motivate यानी प्रेरित करना
M – Manage यानी स्थिति से निपटना
E – Empathise यानी सहानुभूति रखना
E – Empower यानी सशक्त करना
D – Develop यानी विकसित करना

क्या है उम्मीद की गाइडलाइन ?

-किसी भी छात्र की किसी भी छात्र से तुलना या भेदभाव न किया जाए, साथ ही अंको के आधार पर या रंग रंग, कपड़े, जूते के आधार पर बिल्कुल भी न करें। कोशिश करें बच्चों में हीन भावना न पैदा हो सके।

-वेलनेस टीम के सभी एक्शन गोपनीय तरीके से लिए जाने चाहिए। आत्महत्या को रोकने को हर परिसर में डिटेल एक्शन प्लान बने और समय से उस पर अमल किया जाना चाहिए ।

-उम्मीद … के अनुसार, पीडित छात्र की मदद के लिए उसके माता पिता का सहयोग देना जरूरी होगा ।

-पीडित बच्चे को समस्या से निकालने के लिए मात्र वेलनेस टीम ही नहीं बल्कि, स्कूल प्रिंसिपल या टीचर ही नही इस काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए शैक्षिक परिसर का हर सदस्य को इसमें सहयोगी बनना होगा।

-अभिभावक को दी जाएगी चेतावनी ।

चौंका देने वाला है आत्महत्या का आंकडा, पढें

देश में बढ़ रही आत्महत्या की घटनाओं को लेकर सरकारी डेटा के अनुसार, साल 2021 में हमारे देश में लगभग 13 हजार छात्रों ने आत्महत्या की है, वही साल 2020 में यह आंकडा 4.5 प्रतिशत कम था। वही विश्व स्वास्थय संगठन यानी डब्लूएचओ के अनुसार, भारत में हर वर्ष तकरीबन सात लाख लोगों ने आत्महत्या की है, जिनमें से 15-29साल के उम्र में आत्महत्या मौत का चौथा सबसे बड़ा कारण है।

आत्महत्या को लेकर क्या कहते है मनोचिकित्सक

बढते आत्महत्या के मामलो को लेकर मनोचिकित्सक की बात माने तो, ” वर्तमान में बच्चों के बीच आत्महत्या की संख्या बढ़ने का एक कारण ये भी है कि इन सभी के हाथ में स्मार्ट फोन आ गया. कुछ बच्चों फोन में गेम खेलने के इतने आदि हो जाते हैं कि पढ़ाई करने के लिए खुद के समय ही नहीं दे पातें. फोन में ज्यादा समय बिताने के कारण वह कक्षा में पढ़ाई पर ध्यान कम देने लगें और पिछड़ने लगे. और जब बच्चे अपने सहपाठियों से कम अंक लाने लगते हैं या यूं कहें कि पिछड़ जाते हैं, तो डिप्रेशन में चले जाते हैं और मन में सुसाइड के ख्याल आने लगते हैं.

कोटा की बात करें तो इस जगह पर एक कोचिंग में 200-300 छात्र होते हैं और यहां पढ़ाई भी काफी तेजी से करवाई जाति है. ऐसे में अगर किसी छात्र ने एक या दो दिन बंक मार दिया तो फिर आप पढ़ाई को पकड़ नहीं पाते हैं और पीछे हो जाने के कारण स्ट्रेस बढ़ता जाता है. उसका असर टेस्ट में दिखता है जो और तनाव बढ़ाता है।

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कोटा में सुसाइट की रोक के लिए उठाए गए ये कदम

– कोटा के हॉस्टल में वार्डन और स्टाफ सदस्यों को मेस प्रबंधन, मनोवैज्ञानिक और व्यवहारिक परामर्श का दिया गया प्रशिक्षण
-मेस वर्कर, हाउस कीपिंग, वार्डन, सुरक्षा गार्ड समेत सभी का करना होगा सर्वे
-पंखों में एक एंटी हैंगिंग डिवाइस लगाना अनिवार्य.
-कोचिंग संस्थानों को दो महीने तक कोई परिक्षा नहीं लेने के आदेश.
-हॉस्टल के बालकनी में एंटी सुसाइड नेट लगाने का आदेश.
-वार्डन को दरवाजे पर दस्तक अभियान में शामिल होने के आदेश.
-छात्र के मेस में शामिल नहीं होने, खाना न खाने जैसी बातों का ख्याल रखने का आदेश.

 

 

 

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