दुनिया को बहुत कुछ देकर विदा हो गए गीता प्रेस के अध्यक्ष और कल्याण पत्रिका के संपादक राधेश्याम खेमका

गीता प्रेस ने पूरी दुनिया में हिंदी, संस्कृत और अन्य भारतीय भाषाओं में धार्मिक पुस्तकों और ग्रंथों के अलावा पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन करके पहुंचाया है.

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गीता प्रेस ने पूरी दुनिया में हिंदी, संस्कृत और अन्य भारतीय भाषाओं में धार्मिक पुस्तकों और ग्रंथों के अलावा पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन करके पहुंचाया है. आज भारत के हर घर में रामचरितमानस और भगवद्गीता को पहुंचाने का अगर श्रेय किसी को जाता है तो शायद सिर्फ गीता प्रेस को. भगवद्गीता की कुछ गलतियों को सुधारने के लिए शुरू हुई गीता प्रेस आज पूरी दुनिया के लोगों की गलतियों को सुधारने की मानो मुहिम चला रहा हो.

गीता प्रेस के अध्यक्ष और कल्याण पत्रिका के पिछले 40 साल से संपादक रहे राधेश्याम खेमका का बीते शनिवार को निधन हो गया. उन्होंने गीता प्रेस में अपनी संपादक की भूमिका का निर्वहन करते हुए तमाम पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया.

87 वर्ष की उम्र में निधन

राधेश्याम खेमका 87 वर्ष के थे। वे अपने पीछे पुत्र राजाराम खेमका पुत्री राज राजेश्वरी देवी चोखानी, भतीजे गोपाल राय खेमका, कृष्ण कुमार खेमका, गणेश खेमका समेत नाती-पोतों से भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं।

पिछले 15 दिनों से अस्वस्थ्य चल रहे थे

वे पिछले 15 दिनों से अस्वस्थ्य चल रहे थे। अस्वस्थता की अवस्था में उन्हें रवीन्द्रपुरी स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पिछले दो दिनों से केदार घाट स्थित आवास लाया गया था जहां अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार हरिश्चंद्र घाट पर किया गया। मुखग्नि एकमात्र पुत्र राजा राम खेमका ने दी।

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40 वर्षों से गीता प्रेस में अपनी भूमिका का निर्वहन किया

राधेश्याम खेमका ने 40 वर्षों से गीता प्रेस में अपनी भूमिका का निर्वाहन करते हुए अनेक धार्मिक पत्रिकाओं का संपादन किया। उनमें कल्याण प्रमुख है। मृदुल वाणी के लिए प्रसिद्ध राधेश्याम खेमका के पिता सीताराम खेमका मूलतः बिहार के मुंगेर जिले से यहां आए थे। दो पीढ़ियों से खेमका काशी निवासी रहे और धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी, शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती, पुरी के शंकराचार्य स्वामी निरंजन देव तीर्थ और वर्तमान पीठाधीश्वर स्वामी निश्चलानंद, कथा व्यास रामचन्द्र जी डोंगरे जैसे संतों से विशेष संपर्क और सानिध्य रहा।

श्रद्धाजंलि देने वालों का तांता लगा रहा

राधेश्याम खेमका वाराणसी की प्रसिद्ध संस्थाओं मारवाड़ी सेवा संघ, मुमुक्षु भवन, श्रीराम लक्ष्मी मारवाड़ी अस्पताल गोदौलिया, बिड़ला अस्पताल मछोदरी, काशी गोशाला ट्रस्ट से जुड़े रहे और वाराणसी कागज व्यवसाय से भी जुड़े रहे। उनके निधन से उनके केदार घाट स्थित आवास पर शोक श्रद्धाजंलि देने वालों का तांता लगा रहा।

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