राजस्थान में खो रहा बच्चियों का बचपन, दीदी के मंडप में ब्याही जा रहीं नन्हीं बहनें

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कहने को तो आज हम विकास के सबसे ऊंचे पायदान पर पहुंच गए हैं। जहां देश के लड़के ही नहीं बल्कि लड़कियां भी कदम से कदम मिलाकर विकास में योगदान दे रही हैं। बेटियों को शिक्षित करने के लिए सालों पहले बाल विवाह जैसी कुरीति को भी जड़ से खत्म कर दिया गया। लेकिन फिर भी देश के कुछ कोने में आज भी बेटियां कच्ची उम्र में ही ब्याह दी जा रही हैं। पढ़ने और खेलने की उम्र में ही ये बच्चियां दो-दो बच्चों की मां भी बन चुकी हैं।

 

हम बात कर रहे हैं राजस्थान राज्य के जोधपुर की रहने वाली गुड़िया और ममता की। जिनकी शादी महज 14 साल में हो गईं थी। इनसे सवाल पूछने पर जवाब दिया गया कि इनकी शादियां इनकी बहनों के साथ एक ही मंडप पर कर दी गई थी। ऐसा इसलिए किया गया, ताकि शादी में बार-बार होने वाले खर्च से बचा सका। ये दास्तां केवल गुड़िया और ममता की ही नहीं है बल्कि राज्सथान में हर चौथे-पांचवे घर में खेल रहीं नन्हीं गुड़िया की है।

 

दीदी के मंडप में 8 नन्हीं बहनों की हो गई शादी

जोधपुर में 32 साल की गुड़िया बानो तीन बच्चों की मां हैं। तीनों को खुद पालती हैं। पति को उन्होंने छोड़ दिया है। राजस्थान के जोधपुर में जन्मी गुड़िया की शादी 14 साल की उम्र में कर दी गई थी। क्योंकि गुड़िया की 8 बहने हैं। मतलब शादी करने के लिए 8 बोझ। इसलिए घरवालों को जब सबसे बड़ी बेटी के लिए लड़का मिला तो उन्होंने लगे हाथों चार और बहनों को ब्याह दिया। वजह सिर्फ इतनी कि उन्हें गांव-समाज को चार बार दावत नहीं देनी पड़ेगी। बस एक दावत और चार बोझ निपट गए। शादी के समय बड़ी बेटी 18 साल थी, दूसरी 17 साल, सबसे छोटी 13 साल और गुड़िया 14 साल की थी।

 

पति नाबालिग पत्नियों से करता है रेप

जोधपुर की यह कहानी कोई अकेली गुड़िया की नहीं है। हर साल यहां शादी के खर्च से बचने के लिए सैकड़ों बच्चियों की जबरन शादी की जा रही है। शादी के बाद इनके बाद इनके साथ क्या होता है, यह खुद में अलग-अलग दास्तां बन चुकी हैं। गुड़िया का पति तो उनसे रेप करता था। बच्चों के सामने भी जबरदस्ती करता था। मना करने पर नंगा कर कमरे से बाहर तक कर देता था।

 

गरीबी ने छीन लिया गुड़िया का बचपन

गुड़िया कहती हैं, ‘गरीब परिवार में पैदा होने की कोई तो कीमत चुकानी होती है। हमारे मां-बाप को बेटियां बोझ लगती हैं। वो इस बोझ को जल्द से जल्द उतार देना चाहते हैं।

बहनों की शादी एक साथ इसलिए की जाती है ताकि एक ही दावत के खर्च में चार की जिम्मेदारी पूरी हो जाए। ऐसा सिर्फ हमारे घर-समाज में नहीं होता। आसपास बसे क्या हिंदू और क्या मुस्लिम सब यही करते हैं। हमारे यहां दावत का खर्च बचाना जरूरी है, बेटियों की कच्ची उम्र पर ध्यान देना उतना जरूरी नहीं।’

 

अनपढ़ गुड़िया बच्चों को पालने के लिए करती है सिलाई

जवान होने से पहले ही मां भी बन गई। जिस उम्र में हाथ में खिलौने होने चाहिए थे, उस उम्र में एक के बाद तीन बच्चे हो गए।’ गुड़िया अनपढ़ है। आज सिलाई का काम कर तीन से चार हजार कमाती हैं। इस रकम में बच्चों को पालना मुमकिन नहीं। इस वजह से वो बच्चों को स्कूल नहीं भेजतीं। इसके बावजूद वो हालात के सामने हार नहीं मान सकतीं। अपने बच्चों को अच्छी जिंदगी देना चाहती हैं ताकि वो अपने बाप की तरह न बनें।

 

दीदी की शादी में हो गया ममता का जीवन बर्बाद

ऐसी ही कहानी जोधपुर की रहने वाली ममता की भी है। ममता की शादी 17 साल में ही कर दी गई थी। ममता कहती हैं, ‘कच्ची उम्र में मेरी शादी हुई। एक लड़की के बहुत सपने होते हैं, मेरे भी थे। शादी के शुरुआती महीनों से ही मेरे साथ अत्याचार शुरू हो गया। रात में सोते वक्त मेरे पति ने नाक-कान से गहने चुराकर बेच दिए थे। ममता को लगता है कि बहन की शादी के साथ उन्हें भी ब्याह देने की जल्दबाजी ने ही उनका जीवन बर्बाद कर दिया है। आज वो अपने माता-पिता के साथ रहती हैं।

 

हर साल हजारों बच्चियां खो रहीं बचपन

गुड़िया और ममता की तरह राजस्थान में हर साल न जाने कितनी लड़कियां बचपन में ही अपनी बहनों की शादी के दौरान ब्याह दी जाती हैं। बस बेटी की शादी हो जाए, इस चक्कर में मां-बाप लड़के का बैकग्राउंड नहीं देखते। यह तक नहीं सोचते कि जिस लड़के से शादी हो रही है वो भी एक बच्चा है। पैसे बचाने के लिए एक ही मंडप में बेटी ब्याहने को यहां के लोग बस परंपरा मान बैठे हैं। इस बारे में कोई खुलकर बात भी नहीं करता।

क्या कहता है सरकारी आंकड़ा

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2018-19 में राजस्थान में 1,216 लड़कियों का बाल विवाह हुआ था। हालांकि देश में 2005 की तुलना में अब बाल विवाह के मामलों में बड़ी गिरावट आई है। 2005 से पहले 47.5 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में हो जाती थी। 2021 में ये आंकड़ा 23.3 प्रतिशत था।

 

कानून लड़कियों की शादी की उम्र सीमा 21 वर्ष

राजस्थान में लड़कियों की यह दशा तब है जब साल 2021 में ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु को वर्तमान 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2020 में स्वतंत्रता दिवस पर इस योजना की घोषणा की थी, जिसे एक साल बाद मंजूरी दे दी गई।

 

आर्थिक रिपोर्ट में दी गई थी चेतावनी

संयुक्त राष्ट्र पॉपुलेशन फंड ने 2021 में अपनी एक रिपोर्ट में चेतावनी दी थी कि महामारी के बाद आर्थिक दिक्कतों की वजह से परिवारों पर कम उम्र में लड़कियों की शादी करने का दबाव बढ़ सकता है।

 

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