गांधी जयंती विशेष: नोटों पर कैसे छपने लगी बापू की तस्वीर …?

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देश आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 155वीं जयंती मना रहा है. गांधी जी की हत्या को भले ही 75 साल हो चुके हैं, लेकिन उनके विचार उनके आदर्श आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं. यही कारण है कि गांधी जी का नाम पूरी दुनिया में बड़े ही सम्‍मान के साथ लिया जाता है. बात अपने देश भारत की करें तो यहां की करेंसी में भी जिस खास शख्सियत की मुस्‍कुराती हुई तस्‍वीर दिखायी देती है वो बापू हैं. पर इसमें नया क्‍या है? आपको तो ये बात पहले से ही पता है.

लेकिन क्‍या आपको पता है कि सबसे पहले बापू की तस्‍वीर नोट पर कब छपी? या उनकी तस्वीर से पहले भारतीय नोट पर किसकी फोटो छपा करती थी? पर आपको इन सब सवालों को लेकर बहुत ज्‍यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है. गांधी जयंती पर बनाये गये हमारे इस खास वीडियो में इस तरह के तमाम सवालों का जवाब मिल जायेगा.

करीब 28 साल पहले भारतीय नोटो पर महात्मा गांधी की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था. जिसकी सिफारिश आरबीआई ने पहले ही की थी. पर प्रॉसेस पूरा होने और सरकारी मंजूरी मिलने के साथ ही साल 1969 मे आरबीआई ने पहली बार भारतीय नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर को छापा था और तब से आज तक भारतीय नाटों पर मुस्‍कुराती हुई महात्मा गांधी की तस्वीर छपती आ रही है.

कहां से ली गयी थी बापू की यह तस्वीर?

नोटों में नजर आने वाली बापू की तस्वीर उनकी ओरिजनल फोटो थी. महात्‍मा गांधी की यह तस्वीर कलकत्ता में वायसराय हाउस में साल 1946 में खींची गयी थी. इस तस्वीर में महात्मा गांधी ब्रिटिश लीडर लॉर्ड फ्रेडरिक विलियम पेथिक लॉरेंस के साथ खड़े थे, उस समय लॉरेंस भारत में ब्रिटिश सेक्रेटरी के पद पर तैनात थे.

यही वजह थी कि गांधी जी उनसे मुलाकात करने के लिए पहुंचे थे. इस तस्वीर से महात्मा गांधी की चेहरे को क्राप करके निकाला गया और उस पोर्टेट के तौर पर भारतीय नोटों पर अंकित किया गया है. वही आपको बता दें, भारतीय नोट में छपने वाली गांधी जी इस में तस्वीर को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में शॉर्टलिस्ट किया गया था. जिसके बाद नोट को डिजाइन करने का काम आरबीआई के करेंसी मैनेजमेंट डिपार्टमेंट ने संपादित किया.

बापू की फोटो के साथ एलके झा का हस्‍ताक्षर

इसके साथ ही आपको बता दें कि, साल 1969 में बापू की 100वीं जयंती के अवसर पर पहली बार बापू की तस्वीर को भारतीय नोटों पर छापी गयी थी. इन नोटो में बापू की तस्वीर के पीछे का बैकग्राउंड सेवाग्राम आश्रम था. था, साथ ही इन नोटों पर तत्कालीन आरबीआई के गवर्नर एलके झा के सिग्‍नेचर थे. इससे पहले साल 1987 में अक्टूबर महीने में महात्मा गांधी की फोटो वाली 500 रुपए की करेंसी की एक सीरीज लॉन्च की गई थी. भारतीय नोटों पर बापू की तस्‍वीर को छापना एक तरह से उनके प्रति सम्‍मान व्‍यक्‍त करना था. नोट से हर किसी का वास्‍ता पड़ता. इस पर छपी बापू की तस्‍वीर हर व्‍यक्ति को बापू के संदेश उनके आदर्शों की याद दिलाते रहते.

ब्रिटिश किंग की होती थी तस्‍वीर

अब जेहन में इस सवाल का उठना भी लाजमी है कि बापू के पहले नोटों पर किसकी तस्‍वीर छपती थी?भारतीय नोट में बापू की तस्वीर से पहले जब देश आजाद हुआ तो, 15 अगस्त 1947 में कुछ महीनों के बाद नोटों पर किंग जॉर्ज सिक्‍सथ की तस्वीर छापा करती थी. इसके बाद केंद्र सरकार ने साल 1949 में सबसे पहले एक रूपए का भारतीय नोट निकाला था, जिसमें वॉटरमार्क विंडो में किंग जॉर्ज की तस्वीर को हटाकर अशोक स्तंभ को लगाया गया था.

आरबीआई संग्रहालय की वेबसाइट के अनुसार आजादी के बाद भारतीय नोटों में भारत के प्रतीकों को चुनने की जरूरत थी. शुरूआत में महसूस किया गया कि किंग जॉर्ज के स्थान पर महात्मा गांधी की तस्वीर लगा दी जाए, उसके लिए डिजाइन भी तैयार की गयी. लेकिन इस पर सहमति नहीं बन पाने की वजह से गांधी जी की तस्वीर की जगह पर अशोक स्तंभ को जगह दी गयी, लेकिन इन नोटों के डिजाइन में खास बदलाव नहीं किया गया था, वह काफी हद तक पहले की तरह ही रहा था.

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1950 में छपा पहला नोट

इसके साथ ही आजाद भारत का पहला नोट 1950 में प्रकाशित हुआ था. इसमें 100, 2, 5 और 10 नोट थे. इन नोटों पर अशोक स्तंभ वॉटरमार्क छापा रहता था, इसके बाद में नई श्रृंखला के नोट छापे गए. जिसमें एक रुपए के नोट पर तेल का कुआं, दो रुपए के नोट पर आर्यभट्ट उपग्रह की तस्वीर, पांच रुपए के नोट पर ट्रैक्टर से खेत जोतते किसान और दस रुपए के नोट पर शालीमार गार्डन, मोर और कोणार्क मंदिर का चित्र छापा जाता था.

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