काशी के घाटों पर जोशीमठ जैसे खतरे से लेकर भारत में कैलेंडर बनाने वाले पहले शहर बनारस तक, जानें सब कुछ
महादेव की नगरी वाराणसी में स्थित ऐतिहासिक घाटों की सुंदरता को देखने देश-विदेश से लाखों लोग आते हैं. लेकिन, उत्तराखंड के जोशीमठ में हो रहे संकट जैसा खतरा अब काशी के घाटों पर मंडरा रहा है. एक्सपर्ट मानें तो गंगा नदी के पूर्वी छोर पर बालू के टीलों के कारण नदी का दबाव घाटों की ओर है. इससे कई घाटों के नीचे कटान हो गया है. घाटों के दरकने के साथ उसके बैठने का खतरा भी बढ़ा है.
बीते 31 दिसंबर, 2022 को दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती के दौरान घाट के प्लेटफार्म का एक हिस्सा अचानक धंस गया था. इसके अलावा, राजा मान सिंह घाट, मीरघाट पर भी सीढ़ियां बैठ गईं हैं तो दूसरे कई घाटों पर दरारें दिख रही हैं. इससे भू-गर्भ और गंगा वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यहां के घाटों पर जोशीमठ जैसा संकट खड़ा हो सकता है.
वैज्ञानिकों के अनुसार, 10 साल पहले तक गंगा का बहाव रामनगर की तरफ ज्यादा था. लेकिन, वर्तमान में नदी का प्रवाह शहर की तरफ शिफ्ट हो रहा है. बाढ़ के वक्त गंगा के करंट के कारण घाटों के नीचे की मिट्टी भी कट जाती है. इस कारण अब कुछ घाट नीचे की तरफ बैठ रहे हैं. हालांकि, अभी सही से आंकलन नहीं कर सकते कि घाटों को कितना नुकसान हुआ है. हां, भविष्य के लिए ये खतरा साबित हो सकता है. वर्तमान में कितने घाट जर्जर स्थिति में हैं, इसके लिए सर्वे कराना जरूरी है. यदि सर्वे होकर इन घाटों की मरम्मत नहीं हुई तो भविष्य में वाराणसी के घाटों को बड़ा नुकसान हो सकता है.
बनारस में बनेगा पहला कैलेंडर…
भारत में अब कैलेंडर बनाने वाला पहला शहर वाराणसी होगा. इस कैलेंडर में पूरे वर्ष के सरकारी व गैर सरकारी, सांस्कृतिक, धार्मिक कार्यक्रमों का विवरण दर्ज रहेगा. इस कैलेंडर के माध्यम से देश और दुनिया भर के पर्यटकों को काशी के आयोजनों से जोड़े जाने की तैयारी की जाएगी. जिससे कि शहर में आने वाले पर्यटकों को काशी के सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों की जानकारी आसानी से मिल सकेगी.
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