1962 की यादों संग रूस पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर

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विदेश मंत्री एस जयशंकर पांच दिवसीय यात्रा पर मास्को पहुंचे हुए हैं. उन्होंने रूसी रणनीतिक समुदाय के प्रमुख प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर बातचीत की. इस दौरान भारत रूस संबंध को लेकर चर्चा हुई. अपने पांच दिवसीय दौरे के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर इसके अलावा अपने समकक्ष के साथ बातचीत करेंगे और विभिन्न द्विपक्षीय तथा वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे. जयशंकर ने एक्स पर पोस्ट किया कि मास्को पहुंच गया हूं. बातचीत को लेकर आशान्वित हूं. वह सेंट पीटर्सबर्ग की भी यात्रा करेंगे.

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1962 का निमंत्रण पत्र साझा किया

विदेश मंत्री जयशंकर ने एक अन्य पोस्ट में 1962 में उन्हें बचपन में मिले एक निमंत्रण पत्र को साझा किया, जो सोवियत संघ के अंतरिक्ष यात्रियों के एक अभियान का जश्न मनाने के लिए भेजा गया था.

विदेश मंत्रालय ने रविवार को नयी दिल्ली में कहा, ‘‘समय के साथ परखी गई भारत-रूस साझेदारी स्थिर और लचीली बनी हुई है और विशेष तथा विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी की भावना से रेखांकित है. मंत्रालय ने कहा, ‘‘हमारे दोनों देशों के लोगों के बीच मजबूत संबंध और सांस्कृतिक साझेदारियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, विदेश मंत्री के कार्यक्रम में मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग में वार्ताएं भी शामिल होंगी.’’

उप प्रधानमंत्री व विदेशमंत्री के साथ करेंगे बैठक

जयशंकर रूस के उप प्रधानमंत्री तथा उद्योग और व्यापार मंत्री डेनिस मांतुरोव से मुलाकात करेंगे और आर्थिक साझेदारी से जुड़े मामलों पर उनसे चर्चा करेंगे. वह द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बातचीत के लिए रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ भी वार्ता करेंगे .

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच नहीं हो रहे शिखर सम्मेलन समारोह

विदेश मंत्री के दौरे से दोनों देशों के रिश्तों में गर्माहट बरकरार रखने की कोशिश की जा रही हैं. दूसरी तरफ इस साल भी भारत और रूस के बीच शिखर सम्मेलन नहीं होगा. दोनों देशों के बीच आखिरी शिखर सम्मेलन छह दिसंबर 2021 को हुआ था. उस शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत आए थे. इसके बाद कोरोना महामारी और यूक्रेन युद्ध के चलते दोनों देशों के बीच शिखर सम्मेलन का आयोजन नहीं हो पाया. वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने आखिरी बार सितंबर 2019 को रूस का दौरा किया था.

बता दें कि रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद दुनियाभर में रूस के इस कदम की आलोचना हुई लेकिन भारत ने भारी दबाव के बावजूद अपने पुराने मित्र देश की आलोचना नहीं की. हालांकि भारत ने साफ किया कि वह युद्ध के खिलाफ है लेकिन खुले तौर पर रूस की आलोचना करने से परहेज किया. हालांकि प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से बातचीत के दौरान साफ शब्दों में कहा कि यह सदी युद्ध की नहीं है.
यूक्रेन से युद्ध के बीच भारत ने अमेरिका और यूरोप के भारी दबाव के बावजूद रूस से बड़ी मात्रा में कच्चे तेल का आयात किया है.

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