रहस्य ! पानी में तैरता है पत्थर

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पानी में पत्थर तैरने के बारे में तो शायद आपने सुना ही होगा, लेकिन त्रेतायुग में रामायण काल में। लेकिन आज भी ऐसा ही एक पत्थर अपनी इसी खूबी के कारण चर्चा का विषय बना हुआ है। हरियाणा के भिवानी जिले के एक गांव में पत्थर मिला है जिसे स्थानीय लोग भगवान शिव का रूप मान कर उसकी पूजा अर्चना कर रहे हैं।

शिव के रूप में पत्थर की पूजा

पानी में तैरता पत्थर आसपास के इलाके में कौतूहल का विषय बना हुआ है। दूर-दूर से लोग इसे देखने के लिए पहुंच रहे हैं और भगवान शिव का रूप मानकर इसकी पूजा भी कर रहे हैं। 45 किलो का यह तैरता पत्थर जिस युवक को मिला है, इससे पहले भी उसे एक शिवलिंगनुमा पत्थर 2007 में मिला था और तब उस पत्थर की पूजा भी की गई थी।

 कहां और कैसे मिला पत्थर

भिवानी जिले के दांग खुर्द गांव के ईश्वर सिंह ने बताया कि वह अपने खेत में पानी लगा रहे थे तभी उनका बेटा अजीत भी उसके साथ काम कर रहा था। दोपहर बाद उन्होंने अपने बेटे को चाय लेने के लिये घर पर भेज दिया। जब वह चाय लेकर वापस आया तो उसकी नजर नहर में तैरते हुए पत्थर पर पड़ी और उसने इसकी सूचना तुरंत अपने पिता को दी। दोनों ने मिलकर उस पत्थर को पानी से बाहर निकाला और अपने घर ले आये। जब पत्थर को घर में बनी पानी की खुली टंकी में डाला तो पत्थर पानी में डूबा नहीं बल्कि तैरने लगा। यह बात गांव में आग की तरह फैल गई और लोग तैरते पत्थर को देखने के लिए जुटने लगे।

पहले भी मिला है पत्थर

ईश्वर सिंह के मुताबिक उनके लड़के अजीत को 2007 में भी शिवलिंग के आकार का पत्थर खेतों में मिला था और वह उसकी पूजा करने लगा। लेकिन दो साल पहले उस पत्थर को मकान की नींव में रखवा दिया तो उनका लड़का बीमार हो गया था।

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आस्था का केंद्र बना पत्थर

ग्रामीणों का कहना है कि यह भगवान के प्रति आस्था ही है, नहीं तो पत्थर तैरता नहीं है। ग्रामीणों ने इसे भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद बताया और पत्थर को गांव के मंदिर में पानी की टंकी बनाकर उसमें छोड़ने की बात की है।

 इससे पहले कानपुर में भी मिला पत्थर

ऐसा ही चमत्कार कानपुर में देखने को भी मिला था, जब एक नाविक को गंगा में तैरता हुआ पत्थर दिखा। नाविक ने उस भारी भरकम दिखने वाले पत्थर को जब उठाया तो वह आसानी से उठ गया और जब फिर पानी में फंका तो फिर तैरने लगा। इसकी सूचना के पास के एक रामजानकी मंदिर के महंत को दी गई। जिसके बाद तुरंत ही उस पत्थर को मंदिर में स्थापित करा दिया गया। और लोग फूल-माला चढ़ाकर उसकी पूजा अर्चना करने लगे।

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