Explainer: फिनलैंड यथारीति तौर पर नाटो का सदस्य बन चुका है, क्या इससे बढ़ेंगी रूस की मुश्किलें?

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फिनलैंड आखिरकार औपचारिक तौर पर नाटो का सदस्य बन चूका है. इसके साथ ही फिनलैंड अब इस सैन्य सुरक्षा गठबंधन का 31 सदस्य बन चुका है. जिसके साथ ही रूस से लगी नाटो की सीमा की लंबाई दो गुनी हो गई है. जिसे पचमी देश इसे नाटो के लिए एक बड़ी उपलब्धि की तौर पर पेश कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसपर नाराजगी जताई है. दूसरी तरफ विशेषज्ञ भी इसे रूस के लिए एक बड़ा खतरा मान रह हैं. अब सवाल यह उठता है कि क्या सही में रूस को इसे खतरा है जैसे कि पुतिन दवा करते हैं. इस तरह के कई शैवाल पैदा हो रहे हैं.

और भी हैं सवाल…

वैसे तो फिनलैंड ने कहा कि इस गठबंधन को रूस के खिलाफ किसी भी प्रकार का खतरा पैदा करना नहीं है. लेकिन यूक्रेन संकट के लिहाज से ये खतरा कई तरह के सवाल खड़ा करता है. अब सवाल यह उठता है कि क्या पश्चिमी देश इससे पुतिन पर किसी तरह का दवाब बनाने में सफल होंगे या फिर इसे युद्ध की आग और भड़केगी और इससे दुनिया विश्व युद्ध के और करीब आ जाएगी.

पुतिन को एतराज…

पुतिन ने बार बार नाटो के विस्तार पर यूक्रेन के युद्ध से पहले ही सख्त ऐतराज जताया था और उसे रूस के अस्तित्व के लिए ही खतरा बताया था. इस बात से कतई इनकार नहीं किया जा सकता है कि यूक्रेन संकट की जड़ ही नाटो का विस्तार है. इस मामले में पश्चिमी देश रूस को यूरोपीय देशों पर खुद को थोपने का प्रयास करने वाला साबित करने की कोशिश कर रही है.

पश्चिमी देशों की दलील…

अमेरिका और यूरोपीय देशों ने अपने-अपने तर्क दिए. मीडिया एजेंसी बीबीसी के अनुसार अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने फिनलैंड के नाटो में शामिल होने पर कहा, “पड़ोसी देश पर हमला करने पर रूसी नेता ने वही स्थिति पैदा कर दी है जिससे बचने का हम प्रयास कर रहे हैं.” अमेरिका का कहना है कि वह और अन्य नाटो देश यूक्रेन के लोकतंत्र और संप्रभुता को बचाने के लिए लड़ रहे हैं.

यूक्रेन को नहीं छोड़ेंगे अकेला…

पश्चिमी देशों ने कहा कि अगर यूक्रेन को को अकेला छोड़ दिया जाए तो रूस और कई ताकतवर देशों को अपने पड़ोसी छोटे देशों पर कब्जा करने का मौका मिल जाएगा जैसा कि चीन ताइवान के साथ करना चाहता है. वहीं पश्चिमी देश यह एतिहात भी बरत रहे हैं कि यह युद्ध विश्व युद्ध में ना तब्दील हो जाए.

नाटो के लिए भी चुनौती…

दूसरी तरफ रूस के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने चेतावनी दी है कि रूस इस बात पर बारीकी नजर रखेगी फिनलैंड में क्या होता है और नाटो का विस्तान उनके सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों का उल्लंघन है. फिनलैंड के पास 30 हजार सैन्य क्षमता है लेकिन अब इससे नाटो के लिए रूस के खिलाफ फिनलैंड की सीमा की सुरक्षा की चुनौती होगी. वहीं फिनलैंड के अलावा स्वीडन ने भी नाटो सदस्यता के लिए आवेदन किया हुआ है, लेकिन अभी वह प्रक्रिया अटकी हुई है.

जल्दबाजी होगी कुछ कहना…

इस घटना का रूस यूक्रेन पर तुरंत ही कोई बहुत बड़ा असर होगा यह उम्मीद करना जल्दबाजी ही होगी. लेकिन फिलहाल बयानबाजी के दोर में नया तड़का जरूर लग गया है. देखा जाए तो भूरणनीतिक तौर पर भले ही यूरोप में नाटो मजबूत हुआ हो, लेकिन यूरोपीय देशों रूस को उकसाने में बहुत हिचक भी रहे हैं. इसी वजह से फिनलैंड को भी अलग से कहना पड़ा कि यह गठबंधन रूस के खिलाफ नहीं है.

वहीं रूस का कहना है उसे यूक्रेन पर हमला करने के लिए मजबूर किया गया जिससे वह अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकें लेकिन उसके हेलसिंकी से यूक्रेन की तरह विवाद नहीं थे. इसी बीच रूस की यूक्रेन युद्ध को लेकर अपनी गतिविधि में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है. वह बेलारूस में अपने हथियारों की तैनाती कर रहा है. खुद नाटो भी मानता है कि इससे रूस के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है.

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