मध्यप्रदेश : 28 दिनों में 43 किसानों ने की आत्महत्या
मध्यप्रदेश में किसानों(Farmers) की आत्महत्या का सिलसिला जारी है, रविवार की सुबह सागर जिले में कर्ज से परेशान एक और किसान ने जान दे दी। किसान ट्रेन के आगे कूदकर कट गया। 28 दिनों में आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या बढ़कर 43 हो गई है। गढ़ाकोटा थाना क्षेत्र के पिपरिया गांव के किसान टेकराम कुर्मी (48) छह एकड़ जमीन का मालिक था।
परिजनों के मुताबिक, उस पर बैंक और साहूकार का कर्ज था। उसकी फसल भी बर्बाद हो गई थी, जिस कारण वह तनाव में था। वह रविवार की सुबह टहलने निकला, कुछ देर बाद ग्रामीणों ने परिवार को सूचना दी कि गिरवर रेलवे स्टेशन के पास टेकराम ने ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी।
गढ़ाकोटा थाने के प्रभारी आर.एन. तिवारी ने किसान के ट्रेन के आगे कूदकर जान देने की पुष्टि की, लेकिन कहा कि टेकराम की आत्महत्या का कारण सामने नहीं आया है। उन्होंने कहा कि यह मामला रेलवे क्षेत्र का है, लिहाजा इस पूरे मामले की जांच जीआरपी जांच कर रही है।
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अब पुलिस में यह रिपोर्ट नहीं लिखी जाती कि किसी किसान ने कर्ज से परेशान होकर जान दे दी, क्योंकि पूरा महकमा ऊपरी आदेश का पालन करने में लगा है।
इससे पहले, 5 जुलाई को तीन किसानों ने आत्महत्या कर ली थी। प्रदेश की भाजपा सरकार ने स्पष्ट कहा है कि वह किसानों का कर्ज माफ नहीं करेगी। कर्जमाफी और फसलों की वाजिब कीमत की मांग को लेकर पिछले महीने किसानों ने आंदोलन किया था।
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उनके आंदोलन को कुचलने के लिए पुलिस ने 6 जून को गोलियां चलाई थीं और लाठीचार्ज किया था, जिसमें 6 किसानों की मौत हो गई थी। आंदोलन तो खत्म हो गया, लेकिन उसके बाद आत्महत्या का सिलसिला शुरू हो गया। 28 दिनों में 43 किसान अपनी जान दे चुके हैं।
गोलीकांड के एक महीना पूरा होने पर 6 जुलाई से किसान नेताओं ने सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर ‘किसान मुक्ति यात्रा’ शुरू की है। यह यात्रा 6 राज्यों से होती हुई 18 जुलाई को दिल्ली के जंतर-मंतर पहुंचेगी, जहां किसान नेता बड़ी जनसभा कर देश की जनता को बताएंगे कि अन्नदाताओं के प्रति शिवराज सिंह चौहान सरकार का क्या रवैया है।
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