BIG NEWS : भूखमरी की कगार पर है CMO का परिवार
जब वक्त पलटी मारता हैं ना तो बड़े बड़ों को राजा से रंक बना देता हैं। कुछ इसी तरह बुरे समय की मार झेल रहा हैं एक्स सीएमओ का परिवार। जो कभी बड़ी बड़ी गाड़ियों में घुमते थे तरह तरह के पकवान खाते थे। आज वो परिवार अन्न के दाने के लिए तरस रहा हैं।
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उनके साथ ही उनकी दो छोटी बहनें भी रहती हैं
पेट भरने के लिए भीख मांगकर गुजारा करने को मजबूर हैं पूर्व सीएमओ का परिवार। पूर्व सीएम के परिवार के सबसे बड़े 70 साल के बीएन माथुर हैं। उनके साथ ही उनकी दो छोटी बहनें भी रहती हैं जिनकी उम्र 60 से 65 साल के बीच है। तीनों ही कुंवारे हैं। अब बड़े भाई चाहते हैं कि तीनों की शादी हो जाए ताकि इस बुढ़ापे में उन्हें सहारा मिल सकें।
घर की दीवार पर ‘मृत्यु लोक’ लिख रखा है
उनके पास रहने के लिए खंडहर में तब्दील हो चुके मकान के अलावा कुछ नहीं हैं। ये तीनों भाई-बहन शहर के सबसे पॉश एरिया गोमती नगर में रहते हैं, लेकिन पिछले 25 सालों में इनका मकान खंडहर हो गया है। बीएन माथुर ने घर की दीवार पर ‘मृत्यु लोक’ लिख रखा है। बीएन माथुर ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि उनका जन्म 1947 में लखनऊ में हुआ था।
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मैं लखनऊ यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन कर रहा था
उनके पिता डॉ. एमएम माथुर सीएमओ (चीफ मेडिकल ऑफिसर) और मां हाउस वाइफ थीं। माथुर कहते हैं कि पिता की सरकारी नौकरी और अच्छी पोजीशन की वजह से हमारा बचपन काफी आराम से बीता। घर में हर काम के लिए नौकर थे। घूमने-फिरने के लिए एक कार थी। कार चलाने के लिए ड्राइवर भी था। बीएन माथुर बताते हैं, “मैं लखनऊ यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन कर रहा था।
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सदमे से दोनों की मानसिक स्थिति बिगड़ गई
उसी दौरान माता-पिता की एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई। दोनों बहनें राधे और मांडवी मुझसे करीब 8-10 साल छोटी हैं। सदमे से दोनों की मानसिक स्थिति बिगड़ गई। उन्हें संभालने के लिए जॉब भी तलाशे। जॉब नहीं मिला तो भीख मांगकर गुजारा करने लगा।” वे बताते हैं, “मम्मी-पापा की डेथ के बाद हमारा लगभग सभी रिश्तेदारों से संपर्क टूट गया था।
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गोमती नगर में गरीबों को रोटी बांटने गए थे
सिर्फ दिल्ली में एक रिश्तेदार थे, जो थोड़ी बहुत आर्थिक मदद कर देते थे। वो महीने-दो महीने में घर मिलने भी आते थे। इसी साल अगस्त में उनका भी निधन हो गया।” लखनऊ रोटी बैंक के डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर मोहित शर्मा बताते हैं कि 20 दिन पहले हम गोमती नगर में गरीबों को रोटी बांटने गए थे। तभी वहां के लोगों से माथुर परिवार के बारे में पता चला। तब से ही हम उनके संपर्क में हैं और उनकी मदद कर रहे हैं।
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