बीएचयू गैंगरेप मामले में मेरे खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया

बीएचयू आईआईटी गैंगरेप के खिलाफ आंदोलन करनेवाले छात्रों को भेजी गई नोटिस, मामला गरमाया

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लोकसभा चुनाव के दौरान नेता सियासी तीर चलाने से नही चूकना चाहते. ऐसे में यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने बीएचयू कैम्पस में गैंगरेप की घटना को लेकर बयान दिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की छात्र इकाई एबीवीपी को झूठा मुकदमा लिखवाने में महारत हासिल है. उन्हें पुलिस और सरकार का समर्थन हासिल है. गैंगरेप की इसी घटना में मेरे एक बयान के आधार पर मेरे खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कर लिया गया. जबकि मेरा बयान सच निकला. तीनों आरोपित बीजीपी आईटी सेल के पदाधिकारी निकले. ऐसे में बीएचयू प्रशासन ने गैंगरेप के खिलाफ आंदोलन करनेवालों को नोटिस जारी करने से मामला एक बार फिर गर्मा गया है.

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कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहाकि उनकी पार्टी अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ती रहेगी. पार्टी गैंगरेप के खिलाफ आवाज उठाने और पीड़िता की मदद करनेवालों के साथ है. यदि छात्रों पर कोई कार्रवाई की गई तो पूरे देश में आंदोलन किया जाएगा. उन्होंने आरोप लगाया कि गैंगरेप के खिलाफ आंदोलन करने वाले छात्रों पर पहले साजिशन हमला किया गया. फिर उल्टे 17 आंदोलनकारी छात्रों के खिलाफ ही झूठा मुकदमा लिखवा दिया गया. जबकि दूसरे पक्ष की तहरीर लेने से मना कर दिया गया. छात्रों पर यह हमला 5 नवंबर को किया गया. जबकि 4 नवंबर की शाम को ही आंदोलनकारी छात्रों ने बीएचयू प्रोक्टोरियल बोर्ड को लिखित पत्र देकर कतिपय तत्वों द्वारा हिंसा की आशंका जाहिर करते हुए सुरक्षा की मांग की थी. सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस और प्रशासन की थी, जिनको सवालों के घेरे से बाहर किया जा रहा है. इस मुकदमें के खिलाफ छात्र उच्च न्यायालय गए हैं और उनके पास बेगुनाही के पुख्ता सबूत भी हैं. प्रदेश अध्यक्ष ने बीएचयू प्रशासन से आंदोलनकारी छात्रों के खिलाफ जारी नोटिस वापस लेने और इन छात्रों के खिलाफ दर्ज मुकदमें को तत्काल रद्द करने की मांग की है. प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहाकि गैंगरेप की घटना के करीब 6 महीने बाद बीएचयू प्रशासन ने आंदोलनकारी छात्रों को नोटिस भेजा है और अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए कमेटी का गठन किया है. गैंगरेप जैसे जघन्य मामले के खिलाफ बोलना अपराध कैसे हो गया?

छात्रों के भविष्य के साथ किया जा रहा खिलवाड़

उन्होंने कहाकि पूरा घटनाक्रम सवालों के घेरे में है. पहले पुलिस सामूहिक बालात्कार जैसी घटना को रोकने में नाकाम रही. आरोप लगाया कि घटना के 4 दिन बाद ही अपराधियों की पहचान हो जाती है फिर भी 2 महीने तक उन्हें बचाया जाता है. मुकदमा हुए 6 महीने से अधिक हो गये लेकिन अभी तक पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट नहीं दी. यह उन छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है जिनका सिर्फ यह अपराध है कि उन्होनें कैंपस में हो रही यौन हिंसा की घटना के खिलाफ आवाज उठाई.

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