एग्जिट पोल : यूपी में नहीं चल सका प्रियंका का जादू!
प्रियंका गांधी वाड्रा लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सक्रिय राजनीति में शामिल हुई थीं और उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभार सौंपा गया था। उनकी एंट्री ऐसे समय पर हुई थी जब उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी अंतिम सांसें गिन रही थी।
लेकिन चुनाव के बाद जारी किए गए एग्जिट पोल की माने तो कांग्रेस का तुरुप का इक्का इस लोकसभा चुनाव में मतदाताओं को प्रभावित करने में असफल रहा।
प्रियंका ने अपने भाई और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ 11 फरवरी को लखनऊ में एक भव्य रोड शो के साथ अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की थी। इसके बाद पिछले दो महीनों के अंतराल में उन्होंने उत्तर प्रदेश के 26 लोकसभा क्षेत्रों में व्यापक प्रचार किया।
सुरक्षा प्रोटोकॉल तोड़कर जनता से मिली प्रियंका-
23 जनवरी को प्रियंका गांधी कांग्रेस महासचिव बनीं। उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी गई थी। यह उम्मीद थी कि इस चुनावी अभियान में उनकी सक्रिय भागीदारी राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य में पार्टी की चुनावी संभावनाओं को बढ़ावा देगी। 542 लोकसभा सीटों में से उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 80 सीटें हैं।
कांग्रेस महासचिव ने 18 से 20 मार्च तक प्रियंका गांधी ने अपने चुनाव प्रचार अभियान की शुरूआत प्रयागराज में नाव की सवारी से की थी।
राज्य में अपने चुनाव प्रचार के पहले चरण में उन्होंने प्रयागराज, भदोही, मिर्जापुर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट वाराणसी को कवर किया।
कांग्रेस नेता ने अपने रोड शो के दौरान छोटी-छोटी जनसभाओं और स्ट्रीट कॉर्नर बैठकों के माध्यम से जनता से जुड़ने की कोशिश की।
अक्सर प्रियंका गांधी की तुलना उनकी दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ की जाती रही। अपने रोड शो और जनसभाओं के दौरान प्रियंका सुरक्षा प्रोटोकॉल तोड़कर जनता से घुलमिल गईं।
पिछले दो महीनों में पांच बार प्रियंका का अमेठी दौरा-
उनका अभियान मुख्य रूप से बेरोजगारी, जीएसटी, राष्ट्रवाद और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर हमले पर केंद्रित था।
कांग्रेस नेता ने अपने भाई के निर्वाचन क्षेत्र अमेठी, उनकी मां सोनिया गांधी के निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संविधान वाराणसी में प्रचार किया।
उन्होंने गाजियाबाद, फतेहपुर, अयोध्या, कानपुर, झाँसी, उन्नाव, बाराबंकी, धौरहरा, जालौन, बहराइच, संतकबीर नगर, सुल्तानपुर, गोरखपुर, बस्ती, प्रतापगढ़, बाँदा, देवरिया, महाराजगंज, कुशीनगर लोकसभा सीटों और संसदीय क्षेत्र में प्रचार किया।
प्रियंका ने पिछले दो महीनों में पांच बार अमेठी लोकसभा क्षेत्र का दौरा किया। राहुल गांधी के नामांकन दाखिल करने से पहले हुए रोड शो में भी उन्होंने भाग लिया था। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि उनका भाई अमेठी में भाजपा को कड़ी टक्कर दे।
उम्मीदों पर खरी उतरीं प्रियंका?-
लेकिन राज्य में कांग्रेस को जिस तरह की उम्मीद प्रियंका गांधी से थी वह 2019 के लोकसभा में देखने को नहीं मिली।
ज्यादातर एग्जिट पोल के मुताबिक, 2014 के लोकसभा चुनाव में राज्य में 80 में से 73 सीटें जीतने वाली बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए को 2019 में 60 सीटों से ऊपर जीतने की संभावना है।
एग्जिट पोल की भविष्यवाणी है कि सपा-बसपा-रालोद गठबंधन को 10 से 16 सीटें और कांग्रेस को एक से दो सीटों पर जीत मिल सकती है।
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