पुलिस कस्टडी में एक व्यक्ति की मौत के मामले में तीस साल बाद आईपीएस संजीव भट्ट को गुजरात के जामनगर कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। बता दें कि साल 1990 में एसपी पद पर तैनाती के दौरान सांप्रदायिक दंगों में सौ लोगों को हिरासत में लिए जाने के बाद एक व्यक्ति की कस्टडी में मौत हो गयी थी।
1990 में हुई थी कस्टडी से छूटे व्यक्ति की मौत:
पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट का विवादों से पुराना नाता रहा है। साल 2015 में इन्हीं विवादों की वजह से उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था। संजीव भट्ट को साल 1998 में मादक पदार्थ से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में गैर-कानूनी तराके से पालनपुर में मादक पदार्थ की खेती करने के आरोप में अन्य छह लोगों को भी गिरफ्तार किया गया था। संजीव भट्ट की गिरफ्तारी जब हुई थी तो वो बनासकांठा जिले के डीसीपी थे।
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एसपी जामनगर पद पर थे तब तैनात:
बता दें कि भट्ट गुजरात के जामनगर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के रूप में पदस्थ थे, जब एक व्यक्ति की हिरासत में मौत हुई थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार भट्ट ने वहां एक सांप्रदायिक दंगे के दौरान सौ से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया था और इनमें से एक व्यक्ति की रिहा किए जाने के बाद अस्पताल में मौत हो गई थी।