नीतीश के काफिले पर पत्थरबाजी के बाद खौफ में गांववाले, जानें क्या हुआ था उस दिन?

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बक्सर जिले के नंदगांव में 12 जनवरी से पहले सबकुछ सामान्य था। लेकिन फिलहाल इस गांव में चौबिसो घंटे पुलिस कैंप कर कर रही है। दो दिनों के भीतर इलाके से 28 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं जिसमें 10 महिलाएं शामिल हैं। गांव के ज्यादातर लोगों का फोन बंद है और बहुत सारे लोग गिरफ्तारी से बचने के लिए अपने घर से भागे हुए हैं। जिले के पांच अधिकारियों द्वारा दर्ज करवाए गए पांच एफ.आई.आर में 165 लोग नामजद और 1450 अज्ञात अभियुक्त बनाए गए हैं।

कई पुलिस अधिकारी घायल हो गए

पिछले दो दिन से पूरे इलाके में खासकर नंदगांव के 60-70 घर वाले महादलित टोले में डर और ’न जाने क्या हो जाए’ का मिलाजुला माहौल है। यहां आपको यह बताते चलें कि 12 जनवरी को राज्य के मुखिया नीतीश कुमार अपनी विकास समीक्षा यात्रा के दौरान नंदगांव पहुंचे थे और यहां उनके काफिले पर जरदस्त पत्थरबाजी हुई। मुख्यमंत्री तो वहां से सुरक्षित निकल गए लेकिन एक दर्जन से ज्यादा सरकारी गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गईं और कई पुलिस अधिकारी घायल हो गए।

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इस घटना का जो वीडियो बाहर आया उसमें साफ-साफ दिखता है कि महिलाएं, पुरूष और जवान लड़के सामने से गुजर रही सरकारी गाड़ियों पर ईंट चला रहे हैं। मुख्यमंत्री के काफिले पर हुई पत्थरबाजी की इस घटना ने नंदगांव के शांत और बेफिक्री वाले माहौल को पुलिसिया हलचल में तब्दील कर दिया है। यहां सवाल यह है कि आखिर यह पत्थरबाजी हुई क्यों? मुख्यमंत्री के काफिले पर पत्थरबाजी करने वाले लोग इसी गांव के थे या बाहर से आए थे? पत्थरबाजी की इस घटना को अंजाम देने वाले किसी बात से नाराज थे या किसी के बहकावे में आकर उन्होंने इस घटना को अंजाम दिया?

विकास कार्य में उनकी अनदेखी हो रही है

ये कुछ सवाल हैं जो इस घटना के संदर्भ में लगातार पूछे जा रहे हैं। स्थानीय पत्रकार विनित मिश्रा के मुताबिक यह घटना स्थानीय महादलितों में मौजूद नाराजगी और जिला प्रशासन द्वारा इस नाराजगी को कम करके आंकने की वजह से हुई। विनित बताते हैं, ‘महादलित टोले के लोगों को लगा था कि विकास कार्य में उनकी अनदेखी हो रही है। वो चाहते थे कि अपने गांव में आ रहे मुख्यमंत्री से मिलें, उन्हे अपनी बात कहें। उनसे अपने टोले में नहीं हुए विकास की शिकायत करें। टोले के रहनिहार इस इच्छा के साथ जिला प्रशासन के अधिकारियों से भी मिले थे लेकिन उन्होंने इनकी सुनी नहीं। वो सड़क किनारे खड़े रहे और मुख्यमंत्री का काफिला उनके सामने से दनदनाते हुए निकलने लगा।

किसी बस्ती, किसी मोहल्ले को छोड़ा नहीं गया है

किसी वजह से कुछ महिलाओं के साथ धक्का-मुक्की हुई और फिर एकाएक से पत्थराव शुरू हो गया। ’हालांकि नंदगांव के मुखिया राजिव पाठक के मुताबिक महालितों के टोले में भी पर्याप्त विकास हुआ। जब हमने राजीव से पत्थरबाजी होने का कारण पूछा तो वो बोले, ‘ हम भी तो यही सोच रहे हैं। वीडियो में जो महिलाएं पत्थर चलाती दिख रही हैं वो एक दिन पहले तक हमारे साथ ही नरेगा में काम कर रही थीं। हमें बिल्कुल भनक तक नहीं थी कि उस बस्ती के लोग नाराज हैं और इतनी बड़ी घटना हो जाएगी।’बातचीत के दौरान राजिव से कई बार यह पूछा जाता हैं कि अगर सब सामान्य था। किसी बस्ती या किसी समूह में कोई असंतोष नहीं था तो यह घटना कैसे और क्यों हुई हुई ? लेकिन इस सवाल का जवाब उनके पास नहीं है। जवाब में वो बार-बार एक ही बात, अलग-अलग तरीकों से कहते हुए सुनाई देते हैं -विकास तो हर तरफ हुआ है। किसी बस्ती, किसी मोहल्ले को छोड़ा नहीं गया है।

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वहीं डुमरांव में रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता और इलाके की बेहतर समझ रखने वाले राजिव सिंह का मानना है कि यह घटना स्थानीय प्रशासन की लापहरवाही और विकास कार्य में दलितों की अनदेखी का परिणाम था। राजिव सिंह उस घटना के बारे में विस्तार से बताते हैं। वो कहते हैं, ’देखिए…उस गांव के दो वार्ड 06-07 में मुख्यमंत्री की योजना के मुताबिक विकास हुआ है। उसी कार्य को देखने मुख्यमंत्री वहां पहुंचे थे। इस वार्ड के बगल में ही एक दलित बस्ती है। कुछ समय पहले दलित बस्ती के विकास के लिए पैसा आया था लेकिन उस पैसे को दूसरे वार्ड में खर्च दिया है। इस बार भी उनके बदल के टोले में विकास की गंगा बही लेकिन उनके टोले की स्थिति जस की तस रही।

दौरान पुलिस उनके साथ मार पीट भी कर रही है

इस बात को बस्ती के लोग मुख्यमंत्री से कहना चाह्ते थे। वो मुख्यमंत्री को अपने टोले में लाना चाहते थे।’राजिव आगे बताते हैं, ‘मुख्यमंत्री से मिलने के लिए सड़क किनारे खड़े लोग, मुख्यमंत्री की गाड़ी निकलने के बाद थोड़ी नारेबाजी जैसा करने लगे। इसके जवाब में पुलिस और कुछ स्थानीय लोगों ने महिलाओं के साथ धक्का-मुक्की की जिसकी वजह से यह पत्थरबाजी हुई।’आजतक ने दलित समुदाय में भी बात करने की कोशिश की लेकिन ज्यादतार फोन बंद होने की वजह से यह कोशिश असफल रही। इस बीच एक वीडियो फुटेज आया है जिसमें कुछ स्थानीय महिलाएं और पुरूष इस बात की शिकायत कर रहे हैं कि पुलिस रात में उनके घरों में घुस रही है। आदमी-औरतों को गिरफ्तार किया जा रहा है और इस दौरान पुलिस उनके साथ मार पीट भी कर रही है। वहीं बक्सर के पुलिस कप्तान राकेश कुमार इस आरोप को बेबुनियाद बताते हैं। राकेश कुमार की माने तो पुलिस की को परेशान नहीं कर रही है। वो अपना काम कर रही है।

aajtak

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