काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के आईएमएस न्यूरोलॉजी विभाग की ओर से 26 मार्च को इस वर्ष भी ओपीडी में परपल डे (मिर्गी जनजागरुकता) कार्यक्रम आयोजित हुआ. विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विजयनाथ मिश्र और डॉक्टर अभिषेक पाठक ने मरीजों के बीच इस कार्यक्रम को आयोजित कर उन्हें संबल प्रदान किया.
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चिकित्सकों ने तीमारदारों को प्रेरित किया कि आप मिर्गी मरीजों को झाड़ फूंक की प्रताड़ना से बचाकर न्यूरोलॉजी के चिकित्सकों के पास ले जांय. उन्होंने कहा कि 85 प्रतिशत मरीज केवल नियमित दवा खाने से ठीक हो जाते हैं. डाक्टर पाठक ने कहा कि मिर्गी की पहचान के बाद ही इलाज तय होता है. मिर्गी कई तरीके की होती है. चिकित्सक तय करता है कि आखिर इलाज कैसे है कितने अवधि तक करनी है.
मिर्गी सामान्य बीमारी मगर लाइलाज नही
डाक्टर आर.एस. चौरसिया ने कहा कि गांव में मिर्गी मरीज हो तो उसे आप अस्पताल में न्यूरोलॉजी विभाग तक पहुंचा दें. एक मरीज के ठीक होने से उसके गांव में जागरूकता आती है. उचित इलाज से मिर्गी मरीजों को ठीक किया जा सकता है. मिर्गी की बीमारी के प्रति फैली भ्रांतियों को दूर करने की आवश्यकता है. मिर्गी के मरीज हम और आपकी तरह सामान्य जीवन यापन का हकदार है. कहा कि मिर्गी वंशानुगत होती है मगर लाइलाज नहीं है.
14 जिलों में चल रहा “बैगनी बनारस“ अभियान
विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विजयनाथ मिश्र ने कहा कि मिर्गी मरीजों को प्रताड़ना से बचाएं. मिर्गी एक सामान्य बीमारी है. बताया कि वर्ष 2014 में 26 मार्च मिर्गी जनजागरुकता दिवस को हम लोगों ने “बैगनी बनारस“ के नाम से अभियान की शुरुआत की थी. यह अभियान अभी 14 जिलों में चल रहा है. मरीज, तीमारदार पहले यू-ट्यूब पर बीएचयू न्यूरोलॉजी विभाग द्वारा निर्मित “एक नया दिन“ फिल्म खुद देखें और अपने परिचितों को दिखाएं, इससे आपको मिर्गी बीमारी के बारे में ज्यादा जानकारी मिल पाएगी.