इलेक्शन को नहीं कर सकते कण्ट्रोल…सुप्रीम कोर्ट ने किया फैसला सुरक्षित

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सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को आज EVM में डाले गए वोट और VVPAT की पर्ची की मिलान वाली याचिका में सुनवाई की. इस याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ( supreme court ) ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है इसलिए कोर्ट उसे आदेश नहीं कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आयोग चुनाव करने के लिए कंट्रोलिंग अथॉरिटी है. कोर्ट संवैधानिक कामकाज में हस्तारक्षेप नहीं कर सकता है.

संदेह पर फैसला नहीं

कोर्ट ने कहा कि हम किसी के संदेह पर फैसला नहीं दे सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि उसे स्पष्टीकरण के लिए कुछ पहलुओं की आवश्कयता है. कोर्ट ने कहा कि EVM को लेकर आयोग से जो प्रश्न पूछे गए उसमें कुछ भ्रम है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान पेश हुए सॉलिसीटर ने कहा कि हम गलत साबित होना नहीं चाहते बल्कि अपने निष्कर्षों को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त होना चाहते हैं.

कोर्ट ने उठाए सवाल

इस मामले को लेकर कोर्ट ने कई सवाल उठाए. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि क्या VVPAT की कंट्रोलिंग यूनिट में मिक्रोकंट्रोलर लगा हुआ है. क्या किसी प्रोग्राम में एक है मिक्रोकंट्रोलर को फीड किया जा सकता है ?. आयोग के पास कितने सिंबल लोडिंग इकाइयां मौजूद है. चुनाव याचिका दायर करने की सीमा 30 दिन जबकि स्टोरेज और रिकॉर्ड के 45 दिन है. इसे आपको रखना होगा.

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याचिका में किया गया यह दावा

बता दें कि याचिका में मांग की गई है कि EVM में पड़ने वाले वोट की VVPAT की मशीन के साथ 100 फीसद क्रॉस वेरिफिकेशन कराया जाय. ताकि मतदाता को पता चल सके कि उसने सही वोट दिया है. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि देश की दो बड़ी कंपनियां भारत एल्क्ट्रोनॉ लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया के निदेशक भाजपा से जुड़े हुए है. वहीं दूसरे याचिकाकर्ता ने दावा किया कि 2019 के आम चुनाव में संसदीय समिति ने EVM में गड़बड़ी पाई थी. वहीं अभी तक इस मामले में चुनाव आयोग ने कोई जवाब नहीं दिया है.

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