ई-रजिस्ट्री से होगी फर्जी बैनामे की पकड़
सावधान हो जाइए, एक जमीन का कई बार बैनामा करने वालों की अब खैर नहीं। किसी ने भी फर्जीवाड़ा कर बिक चुकी जमीन की दोबारा रजिस्ट्री कराने की कोशिश की तो वो पकड़े जाएंगे। यह संभव हो सकेगा ई-रजिस्ट्री के जरिए। राजधानी में बुधवार को कैसरबाग स्थित सब रजिस्ट्रार कार्यालय पर कई लोगों ने ई-रजिस्ट्री करवाई। शहर की 5 सब और 4 तहसीलों को मिलाकर 125 रजिस्ट्रेशन करवाए गए।
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पहले दिन 71 लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया था। दूसरी ओर बीकेटी में अधिवक्ताओं की नाराजगी की खबर मिलने पर एडीएम वित्त एवं राजस्व शत्रोघ्न सिंह ने उनसे बात करके समस्या का समाधान करवाने का आश्वासन दिया। एआईजी स्टैंप मैन्युअल रजिस्ट्री में एक ही जमीन कई बार बिकने की शिकायतें आती थीं। शिकायत के बाद ही ऐसे मामलों का खुलासा होता है, लेकिन ई-रजिस्ट्री प्रक्रिया में ऐसे जालसाज तुरंत पकड़े जाएंगे।
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सॉफ्टवेयर पकड़ेगा फर्जीवाड़े बैनामे
ई-रजिस्ट्री में क्रेता-विक्रेता की फोटो होगी। साथ ही साथ अंगूठे का निशान भी होगा। पैन और आधार नंबर भी होंगे। एक बार संबंधित जमीन की ई-रजिस्ट्री कर चुके व्यक्ति दोबारा रजिस्ट्रेशन में तुरंत ही चिह्नित कर लिए जाएंगे। साफ्टवेयर ऐसे लोगों को तुरंत पकड़ लेगा।
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दिए गए सभी कॉलम भरने के बाद होगी रजिस्ट्री
सब रजिस्ट्रार-2 दिनेश यादव ने बताया कि ई-रजिस्ट्री के लिए आवेदनकर्ता को सभी कॉलम भरने होंगे। इस कॉलम को भरे बिना ई-रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं होगी। इसके अलावा सम्पत्ति का प्रकार, सब रजिस्ट्रार कार्यालय का नाम, अनुपातिक क्षेत्रफल, भवन संख्या, सम्पत्ति प्राप्ति का स्त्रोत, रजिस्ट्रेशन संख्या, तारीख और निर्माण की स्थिति वाले कॉलम भी भरने होंगे। ई-रजिस्ट्री के लिए भरा गया आवेदन फॉर्म संबंधित सब रजिस्ट्रार कार्यालय को फॉरवर्ड हो जाएगा। यहां के ऑपरेटर डीड और भरे गए प्रोफॉर्मा की जांच करेंगे। इसमें जमीन की मालियत, चौहद्दी, रकबा, गाटा संख्या, क्रेता-विक्रेता और गवाहों का नाम और पता के साथ ही कुल 10 बिंदुओं का मिलान करेंगे। सब सही पाए जाने पर सब रजिस्ट्रार को आवेदन भेज दिया जाएगा।
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रजिस्ट्री में मिलेगा यूनिक नंबर
एआईजी स्टैंप एवं निबंधन ने बताया कि हर रजिस्ट्रेशन का यूनिक नंबर होगा। इसे संबंधित व्यक्ति को संभालकर रखना होगा। इसी रजिस्ट्रेशन नंबर से रजिस्ट्री करवाने वाले व्यक्ति की पहचान होगी। हालांकि जल्द ही राजधानी में सभी प्रॉपर्टी का एक यूनिक नंबर जारी होगा। प्रत्येक निर्माण इकाई को इस यूनीक नंबर से जोड़ा जाएगा, जिससे जमीन के फर्जीवाड़े पर रोक लगाई जा सके। एक बार जमीन खरीदने पर दाखिल-खारिज की प्रक्रिया भी कंप्यूटर से ही हो जाएगी।