अन्नपूर्णा जयंती: मां अन्नपूर्णा की अनुकंपा से नहीं होती अन्न-धन के भंडार में कमी

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भगवान शिव को अन्न की भिक्षा देने वाली अन्न की देवी मां अन्नपूर्णा का जन्मोत्सव आज धूमधाम से गौदोलिया स्थित अन्नपूर्णा मंदिर में मनाया जा रहा है. मां अन्नपूर्णा की कृपा प्राप्त करने का यह सबसे अच्छा अवसर माना जाता है. जयंती के दिन मां अन्नपूर्णा की पूजा करने के साथ-साथ उनकी व्रत कथा पढ़ने या सुनने से जीवन में सुख, सौभाग्य और खुशहाली आती है.

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अन्न-धन से भरा रहता है रसोईघर

मां अन्नपूर्णा को देवी पार्वती का रूप माना जाता है. कहते हैं कि एक बार धरती पर अन्न की कमी हो गई थी, जिस वजह से चारों तरफ भुखमरी छा गई. लोग अन्न के एक-एक दाने के लिए भी तरसने लगे थे. तब पृथ्वीवासियों की यह दशा देखकर उनके कष्ट दूर करने के लिए माता पार्वती अन्नपूर्णा के रूप में अवतरित हुई थीं. मान्यताओं के अनुसार, जिस घर में मां अन्नपूर्णा की कृपा दृष्टि रहती है, वहां का रसोईघर सदैव अन्न-धन से भरा रहता है.

26 को ही क्यों मनाते हैं जयंती

अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी महाराज ने बताया कि धार्मिक मान्यता है इसी दिन मां अन्नपूर्णा धरती पर प्रकट हुई थीं, इसलिए अन्नपूर्णा जयंती 26 दिसंबर को मनाने का रिवाज है. इस दिन विधि-विधान के साथ माता अन्नपूर्णा की उपासना करने से घर का भंडार अन्न-धन से भरा रहता है.

मां अन्नपूर्णा की पूजा संग होती है महादेव की भी पूजा
मां अन्नपूर्णा संसार के भरण पोषण का जिम्मा मां अन्नपूर्णा पर है. ऐसे में अन्नपूर्णा जयंती के दिन रसोईघर की अच्छे से सफाई करने के साथ गंगाजल के छिड़काव कर पूरे घर को शुद्ध करना चाहिए. अन्नपूर्णा जयंती के दिन घर के चूल्हे का कुमकुम, चावल, हल्दी, धूप-दीप और फूलों से पूजन भी करना चाहिए. रसोई घर में मां अन्नपूर्णा की मूर्ति या तस्वीर के सामने एक दीपक भी जलाएं. इस दिन माता अन्नपूर्णा के साथ ही भोलेनाथ और मां पार्वती की भी पूजा की जाती है.

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