मरीज के लिए ‘भगवान’ बना डॉक्टर, अपना खून देकर बचाई जान

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आपने डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप कहते सुना होगा, लेकिन किसी मरीज की जान बचाने के लिए खुद का खून दान करने की बानगी नहीं देखी होगी। जी हां, उत्तर प्रदेश में बांदा जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात चिकित्साधिकारी ने खुद का खून मरीज को दान कर यह साबित कर दिया है। हमीरपुर जिले का जितेंद्र सिंह (28) अपने जिले में शिक्षा विभाग में अनुदेशक के पद पर तैनात हैं।

पीलिया से पीड़ित था मरीज

जितेंद्र सिंह पिछले एक पखवाड़े से पीलिया जनित बीमारी से ग्रसित है। शनिवार को उसके शरीर में महज पांच यूनिट खून बचा था। जिला चिकित्सालय बांदा के चिकित्सकों ने अस्पताल में भर्ती जितेंद्र के परिजनों को तत्काल ‘ए बी निगेटिव’ ग्रुप के खून का इंतजाम करने को कहा, लेकिन न तो ब्लड बैंक में ही खून मिला और न ही उसके रिश्तेदारों का ही ग्रुप मेल खाया।

केंद्र के प्रभारी चिकित्साधिकारी हैं डॉक्टर नवीन

इत्तेफाक से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. नवीन चक अचानक ब्लड बैंक पहुंचे और उन्होंने अपना खून देकर मरीज की जान बचा ली, जिससे एक बार फिर यह साबित हो गया कि वाकई डॉक्टर भगवान का दूसरा रूप होता है। डॉ. नवीन चक से जब खून देने के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि महज इलाज कर ही मरीज की जान बचाना चिकित्सक का फर्ज नहीं है, खून नहीं, अगर मेरी किडनी की भी मरीज को जरूरत होती तो वह भी दान कर देता।

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लोगों के अंदर अगर इसी तरह की भावना रहे तो किसी भी मरीज को खून की कमी के चलते मौत के मुंह में न जाना पड़े। कहते हैं डॉक्टर भगवान का दूसरा रुप होते हैं, इस कहावत को साकार करते हुए प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. नवीन चक ने अपना खून देकर ये साबित भी कर दिया है।

मरीज के लिए भगवान बनकर आए नवीन

डॉक्टर नवीन को जैसे ही पता चला कि मरीज को जिस ग्रुप का ब्लड चाहिए वो उपलब्ध नहीं है, जिसके बाद उन्होंने तुरंत अपना खून देकर मरीज की सहायता के लिए आगे आ गए। डॉक्टर नवीन से दूसरे डॉक्टरों को भी सीख लेनी चाहिए जिससे किसी भी मरीज को मुसीबत का सामना न करना पड़े।

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