एक ऐसी डॉक्टर, जो छुट्टी के दिन मुफ्त में करती हैं गरीबों का इलाज
किसी छुट्टी के दिन अगर आपका साप्ताहिक अवकाश पड़ जाए तो आपको इस बात का अफसोस होने लगता है कि एक छुट्टी बेकार हो गई। लेकिन दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में एक ऐसी डॉक्टर हैं, जिनके लिए शनिवार और रविवार का दिन भी दूसरे कामकाजी दिनों की तरह होता है। क्योंकि वो अपनी छुट्टी के दिन उन गरीब लोगों का इलाज करती हैं, जिनको प्राथमिक उपचार तक नहीं मिल पाता।
मुफ्त में करती हैं इलाज
डॉक्टर अंकिता चंद्रा दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में डेंटल सर्जन हैं। वो हर हफ्ते दिल्ली के आसपास के गांव में जाकर मुफ्त में लोगों के दांतों का इलाज करती हैं। इसके साथ ही उनको जागरूक करती हैं कि कैसे दांतों की बीमारी से बचा जा सकता है। डॉ. चंद्रा सफदरजंग अस्पताल के अलावा सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की कुछ डिस्पेंसरियों में भी मरीजों की देखभाल करती हैं।
पढ़ाई के दौरान ग्रामीण इलाकों से हुआ लगाव
डॉ. अंकिता जब पश्चिम बंगाल में बीडीएस की पढ़ाई कर रही थी, तब उनको हर साल डेंटल कैम्प के लिए ग्रामीण इलाकों में ले जाया जाता था। इस दौरान उन्होंने देखा की ग्रामीण इलाकों में लोग अपने दांतों की साफ सफाई को लेकर ज्यादा जागरूक नहीं थे। बंगाल में ज्यादातर लोग पान और सुपारी का सेवन करते हैं। इन लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती कि ऐसी चीजों को खाने से उनको कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है। तब डॉ. अंकिता को लगा कि अगर लोगों को जागरूक नहीं किया जाएगा तब तक वो ऐसी चीजों को खाना नहीं छोडेंगे। जिसके बाद उन्होने कॉलेज की पढ़ाई के साथ-साथ लोगों को इस ओर जागरूक करने का काम भी किया।
ग्रामीण भारत की हालत खराब
बंगाल के बाद डॉ. अंकिता दिल्ली आईं और केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के लिए काम करने लगीं। एक दिन अचानक उनके मन में सवाल उठा कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में जो मरीज आते हैं उनको काफी भीड़ का सामना करना पड़ता है और जब ये हाल दिल्ली जैसे महानगर का है तो ग्रामीण इलाकों की हालत कितनी खराब होगी। आंकडे भी बताते हैं कि शहरों में डॉक्टरों की भरमार है। यहां पर 15 हजार लोगों में 1 डेंटल सर्जन मौजूद है, जबकि ग्रामीण इलाकों में 1 लाख से ज्यादा की आबादी पर 1 डेंटल सर्जन उपलब्ध है।
संस्था का लिया सहारा
ऐसी ही बातों को ध्यान में रखते हुए डॉ. अंकिता ने इस मसले पर अपने एक पुराने दोस्त दिनेश कुमार गौतम से बात की। जो दिल्ली में ‘दृष्टि फाउंडेशन’ नाम से एक संस्था चलाते हैं। ये संस्था महिलाओं और बच्चों के सशक्तिकरण और गरीबी उन्नमूलन पर काम करता है। इसके बाद डॉ. अंकिता ने ‘दृष्टि फाउंडेशन’ की मदद से उत्तर भारत के कई गांवों में घूमना शुरू किया।
छुट्टी के दिन लगता है शिविर
ग्राम प्रधान की मदद से और ‘दृष्टि फाउंडेशन’ के सदस्यों के साथ डॉ. अंकिता और उनकी टीम गांव का दौरा करते हैं और वहां चिकित्सा शिविर लगाते हैं। ऐसे शिविर में ना सिर्फ ग्रामीणों के दांतों की जांच की जाती है, बल्कि जहां तक संभव हो सके वहीं पर उनका इलाज किया जाता है। इसके साथ ही गांव वालों को दांतों से जुड़ी बीमारियों के बारे में जागरूक किया जाता है। खास बात ये है कि किसी भी गांव में दंत चिकित्सा का ये शिविर सप्ताहंत में ही आयोजित किया जाता है, क्योंकि उसी दिन डॉक्टर अंकिता और इस मुहिम से जुड़े दूसरे लोगों की छुट्टी होती है।
हर महीने दो से तीन गांवों का दौरा
डॉ. अंकिता और उनकी टीम हर महीने 2 से 3 गांव में ऐसे चिकित्सा शिविर लगाती है। इस दौरान इनको कई बार लंबी यात्राएं भी करनी पड़ती है। दांतों के इलाज से जुड़ा ज्यादातर सामान डॉ. अंकिता की गाड़ी में हर वक्त मौजूद रहता है। इसके लिए उन्होने किसी से आर्थिक मदद भी नहीं ली है।
डॉ. अंकिता ना सिर्फ गांव-गांव जाकर लोगों में डेंटल हैल्थ को लेकर जागरूकता फैला रही हैं, बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए उन्होने गुडगांव में एक क्लिनिक भी खोल रखी हैं। इस क्लिनिक में मुफ्त में बूढ़े और गरीब लोगों का इलाज और उनको दवाएं दी जाती हैं।
11 राज्यों में कर रही हैं काम
फिलहाल डॉ. अंकिता और उनकी टीम दिल्ली, राजस्थान, उत्तराखंड, गुजरात, महाराष्ट्र सहित 11 राज्यों में काम कर रही है। ये अब तक 25 हजार से ज्यादा लोगों के दांतों की जांच कर चुकी है। डॉ. अंकिता की टीम में अक्सर 6 लोगों की होती है। जिसमें 3 डॉक्टर और 3 वालंटियर होते हैं। डॉ. अंकिता ने शुरूआत में जब नौकरी के साथ इस काम को शुरू किया था तो उनके साथी ये समझ नहीं पा रहे थे कि वो ऐसा क्यों कर रही हैं, लेकिन समय के साथ जब उन लोगों ने देखा कि इस काम से आम लोग जागरूक हो रहे हैं तो वो भी उनकी मदद को आगे आना शुरू हुए।