लाल किले के मेंटीनेंस का ठेका निजी कंपनी को दिए जाने पर कांग्रेस का हमला
देश की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक इमारतों में शामिल लाल किले के मेनटेनेंस और ऑपरेशन आदि का ठेका एक निजी कंपनी को मिलने पर बवाल खड़ा हो गया है। कांग्रेस और आरजेडी ने सरकार के इस फैसले की आलोचना की है। कांग्रेस ने पूछा कि आखिर सरकार सरकारी इमारतों को निजी हाथों में कैसे सौंप सकती है?
उद्योगपतियों के हाथों में एतिहासिक इमारतों को सौंप रही है सरकार
अडॉप्ट हेरिटेज प्रॉजेक्ट को लेकर देश की मुख्य की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूछा कि सरकार ऐतिहासिक महत्व की इमारतों को उद्योगपतियों के हाथों में कैसे सौंप सकती है?
कांग्रेस का तंज
कांग्रेस पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इस फैसले पर निशाना साधते हुए सवाल पूछा है, ‘अब सरकार किस प्रतिष्ठित स्थल को प्राइवेट कंपनी के हवाले करेगी? इसका जवाब देने के लिए संसद, लोक कल्याण मार्ग, सुप्रीम कोर्ट या इनमें से सभी को चुनने का ऑप्शन दिया गया है।’ कांग्रेस के अलावा आरजेडी नेता तेजस्वी यादव भी सरकार के इस फैसले पर अपने ट्विटर के जरिए विरोध जताया है।
After handing over the Red Fort to the Dalmia group, which is the next distinguished location that the BJP government will lease out to a private entity? #IndiaSpeaks
— Congress (@INCIndia) April 28, 2018
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25 करोड़ रुपये में मेनटेनेंस का ठेका
खबरों के मुताबिक कंपनी को 25 करोड़ रुपये में मेनटेनेंस का ठेका मिला है। यह ठेका हासिल करने के लिए कंपनी का मुकाबला इंडिगो और जीएमआर ग्रुप से था। गौरतलब है कि अडॉप्ट हेरिटेज प्रॉजेक्ट के तहत 90 ज्यादा स्मारक गोद लेने के लिए उपलब्ध हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कंपनी 30 दिनों के अंदर लाल किले के अंदर काम शुरू कर देगी, जिसके बाद उन्हें 5 साल के लिए लाल किले की जिम्मेदारी पूरी तरह से सौंप दी जाएगी।
अभी कई इमारतों को निजी कंपनियों को दिया जाएगा
कंपनी की योजना 15 अगस्त को प्रधानमंत्री के संबोधन से पहले लाल किले के अंदर रात में रोशनी का बेहतरीन इंतजाम करने की है। साथ ही कंपनी यह भी मानती है कि लाल किले के मेनटेनेंस का ठेका मिलने की वजह से ब्रैंड को पास अपनी साख बनाने का अच्छा मौका है।आपको बता दें कि अडॉप्ट हेरिटेज प्रॉजेक्ट के तहत देशभर के महत्वपूर्ण स्मारकों के रखरखाव, डिवेलपमेंट, मेनटेनेंस और ऑपरेट करने की जिम्मेदारी निजी हाथों में दी जाएगी।