वाराणसी में टास्क और इनवेस्टमेंट के नाम पर लाखों की साइबर ठगी का राजफाश,सात गिरफ्तार
वाराणसी के साइबर क्राइम थाने की पुलिस और सर्विलांस सेल की टीम ने टास्क और इनवेस्टमेंट के नाम पर 39 लाख 15 हजार रुपये की ठगी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का राजफाश किया है.
वाराणसी के साइबर क्राइम थाने की पुलिस और सर्विलांस सेल की टीम ने टास्क और इनवेस्टमेंट के नाम पर 39 लाख 15 हजार रुपये की ठगी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का राजफाश किया है. इस बार सात साइबर अपराधियों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से फर्जी मुहर, फिंगर प्रिंट स्कैनर, विभिन्न बैंकों के एटीएम कार्ड, चेकबुक, पासबुक, एटीएम किट, इंटरनेट बैंकिंग किट, फर्जी सिम कार्ड, कूट रचित आधारकार्ड, फर्जी पैनकार्ड, क्यूफआर कोड, 14 मोबाइल फोन, होंडा अमेज वाहन और 14 हजार छह सौ रुपये बरामद किये गये. गिरफ्तार आरोपितों में मध्यप्रदेश के गुना जनपद निवासी जितेंद्र अहिरवार, कमलेश किरार, रामलखन मीना, संजय मीना, अमोल सिंह, सोनू शर्मा, निक्की जाट शामिल हैं. पुलिस टीम को 25 हजार रुपये पुरस्कार देने की घोषणा की गयी.
अस्सी घाट निवासी महिला ने दर्ज करायी थी शिकायत
भेलूपुर क्षेत्र के अस्सी घाट निवासी संभावना त्रिपाठी ने 18 दिसंबर 2023 को कमिश्नरेट के साइबर क्राइम थाने में प्रार्थना पत्र दिया था. उनके साथ साइबर अपराधियों ने कार बुकिंग का टास्क पूरा करने के नाम पर विभिन्न टेलीग्राम ग्रुपों तथा वेबसाइट के माध्यम से अपने झांसे में लेकर कुल 39 लाख 15 हजार 816 रुपये की ठगी कर ली. इस मामले में धारा 420 और 66 आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर पुलिस टीम विवेचना कर रही है. इस प्रकरण को लेकर पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल एवं पुलिस उपायुक्त अपराध चंद्रकांत मीना के निर्देशन में तथा अपर पुलिस उपायुक्त टी सरवणन और एसीपी गौरव कुमार के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया. टीम ने घटना में प्रयुक्त वेबासाइट, टेलीग्राम खातों, मोबाइल नंबरों तथा बैंक खातों के गहन विश्लेरषण किया. साथ ही इलेक्ट्रानिक सर्विलांस एवं डिजिटल फूट प्रिंट आदि के आधार पर इंदौर, मध्यप्रदेश से गिरोह के सरगना समेत सात अंतरराज्यीय साइबर अपराधियों को दबोच लिया गया.
अपराध करने का तरीका
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक आरोपितों द्वारा ब्रांडेड कंपनियों के ओरिजनल वेबसाइट से मिलती जुलती फर्जी वेबासाइट बनायी जाती है. उसके बल्क एसएमएस फीचर का प्रयोग करते हुए एक साथ हजारों लोगों का पार्ट टाइम जॉब, इनवेस्टमेंट आदि में अच्छा लाभ कमाने का प्रलोभन दिया जाता है. जब कोई व्यक्ति इनके झांसे में आता है तो वे उसको छोटी मोटी धनाराशि उसके खातों में क्रेडिट कर अधिक धन कमाने का लालच दे देते हैं. इसके बाद वे लोगों को इनके बनाये गये वेबसाइट तथा टेलीग्राम ग्रुप में जोडते हैं, जहां पर इनके ही सिडिकेट्स के द्वारा बडी धनराशि का स्क्रीनशाट भेजा जाता है जिससे लोग लालच में आकर पूरी तरह इनके झांसे में फंस जाते हैं.
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इसके उनके द्वारा इनवेस्टमेंट से संबंधित तमाम प्लान बताते हुए तथाकथित कंपनी के बैंक खातों में पैसे डलवा लिए जाते हैं. यह पैसा उसे कंपनी के फर्जी वेबसाइट पर यूजर के एकाउंट से दिखता है तथा इनवेस्टमेंट का लाभ दो गुना और तीन गुना दिखता है. इससे लोग ओर भी विश्वास में आकर बडी रकम इन्वेस्ट करते जाते हैं. बाद में जब लोग अपना पैसा निकालना चाहते हैं तो पैसा निकलता ही नहीं है क्योंकि पैसा साइबर अपराधियों द्वारा लोगों को अपने झांसे में लेने के लिए फ्लैश एमाउंट दिखाया जाता है जो कि वास्तव में होता ही नहीं है.
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इस सारे कृत्यों को साइबर अपराधियों द्वारा वर्चुवल मशीन के माध्यम से विदेशों के आईपी एड्रेस जैसे चाइना, सिंगापुर, थाईलैंड, कंबोडिया और दुबई आदि द्वारा किया जाता है जिससे इनकी पहचान छुपी रहे और पुलिस की पहुंच से दूर रहे. इस प्रकार, प्राप्त सभी पैसों को इनके द्वारा एपीआई और कार्पोरेट बैंकिंग में बल्क ट्रांसफर के माध्यीम से क्षण भर के अंदर ही फर्जी गेमिंग एप के हजारों यूजरों के बैंक खातों व अपने अन्य सिडिकेट के खातों में भेज दिया जाता है और विभिन्न माध्यमों से निकलवा लिया जाता है.
टीम में शामिल पुलिसकर्मी
साइबर ठगी का राजफाश करने वाली पुलिस टीम में साइबर क्राइम थाना प्रभारी विजय नारायण मिश्र, निरीक्षक राजकिशोर पांडेय, निरीक्षक राकेश कुमार गौतम, निरीक्षक अनीता सिंह, सतीश सिंह, नीलत सिंह, श्याममलाल गुप्ताष, आलोक कुमार सिंह, प्रभात द्विवेदी, राजेंद्र पांडेय, गोपाल चौहान, गौतम कुमार, देवेंद्र यादव, दिलीप सिंह आदि शामिल थे.