जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों के बदले भारत ने पाकिस्तान से ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छीन लिया है।
दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में भीषण आतंकवादी हमले में 37 सीआरपीएफ जवानों की शहादत के बाद भारत ने पाकिस्तान को दिया ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन)’ का दर्जा वापस ले लिया है।
हमले के एक दिन बाद शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर हुई ‘कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्यॉरिटी’ में पाकिस्तान को मिले इस दर्जे को 22 वर्षों बाद खत्म करने का फैसला किया गया। इस अति-उच्चस्तरीय बैठक में शामिल वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मीडिया को इसकी जानकारी दी।
क्यों मिलता है एमएफएन स्टेटस?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WTO) के जनरल अग्रीमेंट ऐंड टैरिफ्स ऐंड ट्रेड (GAAT) के तहत सदस्य देशों को एक-दूसरे के साथ वस्तुओं पर कस्टम्स ड्यूटी (सीमा शुल्क) के मामले में एकसमान व्यवहार करना होता है। दरअसल, एमएफएन एक आर्थिक दर्जा है जिसे दो देशों के बीच होने वाले ‘मुक्त व्यापार समझौते’ के तहत दिए जाने का प्रावधान है। कोई देश जिन किन्हीं देशों को यह दर्जा देता है, उस देश को उन सभी के साथ व्यापार की शर्तें एक जैसी रखनी होती हैं। जिन देशों को एमएफएन का दर्जा दिया जाता है, उन्हें व्यापार में बाकियों के मुकाबले कम शुल्क, ज्यादा व्यापारिक सहूलियतें और उच्चतम आयात कोटा की सुविधा दी जाती है।
क्या फायदा?
एमएफएन स्टेटस का इस्तेमाल लोन अग्रीमेंट और कमर्शल ट्रांजैक्शन में भी होता है। लोन अग्रीमेंट के तहत किसी एमएफएन दर्जा प्राप्त देश के लिए तय ब्याज दर से कम दर किसी सामान्य देश को ऑफर नहीं किया जाएगा। वहीं, कमर्शल ट्रांजैक्शन के मामले में मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा प्राप्त देश से सस्ती डील किसी दूसरे देश को नहीं दी जाएगी।
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किसको फायदा?
छोटे और विकासशील देशों के लिए एमएफएन स्टेटस कई मायनों में महत्वपूर्ण होता है। इससे उनकी बड़े मार्केट तक पहुंच बनती है और उन्हें सस्ते में वस्तुएं आयात करने का मौका मिल पाता है जबकि निर्यात की लागत भी कम हो जाती है क्योंकि उन पर बाकियों के मुकाबले कम शुल्क वसूले जाते हैं। इससे छोटे देशों को भी निर्यात के मोर्च पर बड़े देशों से मुकाबला करने में मदद मिलती है।
पाकिस्तान की बेरुखी
भारत ने पाकिस्तान को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) बनने के एक साल बाद 1996 में ही एमएफएन का दर्जा दे दिया था, लेकिन पाकिस्तान ने आज तक भारत को यह दर्जा नहीं दिया। उरी हमले के बाद भी भारत पर पाकिस्तान से एमएफएन का दर्जा छीनने का दबाव बना, लेकिन तब भारत सरकार ने इसे नजरअंदाज कर दिया था।
पाकिस्तान का नुकसान होगा?
अब पाकिस्तान से आयातित वस्तुओं पर भारत अपनी मर्जी से सीमा शुल्क (कस्टम्स ड्यूटी) बढ़ा सकेगा। पाकिस्तान से भारत फल, सीमेंट, चमड़ा, केमिकल और मसाले आयात करता है। हालांकि, पाकिस्तानी वस्तुओं पर बहुत ज्यादा शुल्क लगाने के बावजूद भी पाकिस्तान को बहुत कम नुकसान होगा क्योंकि भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार ही बहुत कम होता है। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान और भारत के का मौजूदा व्यापार महज 2 अरब डॉलर का आंका गया है जबकि इसके 37 अरब डॉलर तक पहुंचने की क्षमता है। बहरहाल, कहा जा सकता है कि पाकिस्तान से एमएफएन का दर्जा छीनने का भारत के ऐलान का प्रतीकात्मक महत्व ज्यादा है।
पाकिस्तान भी पलटवार कर सकता है?
पाकिस्तान के पास पलटवार करने को कुछ है नहीं। उसने भारत को कभी एमएफएन का दर्जा दिया ही नहीं। उलटे उसने कई भारतीय वस्तुओं के आयात पर पाबंदी लगा रखी है। उसने 1209 वस्तुओं की सूची तैयार की है जिन्हें भारत से आयात नहीं किया जा सकता है। हालांकि, हकीकत में इनमें से कई वस्तुएं भारत से पाकिस्तान निर्यात होती हैं, लेकिन सीधे पाकिस्तान नहीं, बल्कि दूसरे-तीसरे देश होते हुए। पाकिस्तान अटारी-वाघा बॉर्डर के जरिए सीधे भारत से सिर्फ 138 वस्तुएं ही आयात करता है। सामान से भरे ट्रक एक-दूसरे देश की सीमा में नहीं घुसते हैं, इसलिए सीमा पर ट्रकों से सामान उतारकर दूसरे ट्रक में भरकर अपने-अपने देश लाया जाता है। इससे वस्तुओं की लागत बढ़ जाती है।
भारत पर क्या असर?
भारत का पाकिस्तान के साथ निर्यात ज्यादा, आयात कम होता है। भारत मुख्य रूप से कॉटन, डाइज, केमिकल्स, सब्जियां, लोहा और स्टील पाकिस्तान को निर्यात करता है। अब पाकिस्तान से एमएफएन स्टेटस छिनने के बाद दोनों देशों के बीच व्यापार को झटका लगना तय माना जा रहा है।
संदेह यह भी है कि पाकिस्तान भारत से व्यापार पूरी तरह खत्म ही कर दे। पाकिस्तान को जो नुकसान हो, लेकिन भारत को भी कोई आर्थिक फायदा नहीं होने वाला, उल्टा नुकसान ही होगा। हालांकि, आतंकवाद जैसे घृणित एवं अमानवीय कृत्यों पर लगाम लगाने का पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए आर्थिक नफा-नुकसान पर बहुत विचार नहीं किया जा सकता।
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