और इस तरह ‘बाउंड्री’ के दम पर इंग्लैंड बना विश्व चैंपियन

इंग्लैंड ने रोमांच की पराकाष्ठा तक पहुंचे विश्व कप फाइनल में रविवार को यहां मैच और सुपर ओवर के ‘टाई’ छूटने के बाद न्यूजीलैंड पर ‘बाउंड्री’ के दम पर पार पाकर पहली बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। 

मैच पहले टाई छूटा और फिर सुपर ओवर में भी दोनों टीमों ने समान रन बनाये। इसके बाद फैसला ‘बाउंड्री’ से किया गया। मेजबान इंग्लैंड अधिक ‘बाउंड्री’ लगायी थी और आखिर में 1975 से चला आ रहा उसका खिताब का इंतजार खत्म हो गया।

इंग्लैंड के सामने 242 रन का लक्ष्य था लेकिन उसके चोटी के चार विकेट 86 रन पर गंवा दिये थे। बेन स्टोक्स (98 गेंदों पर नाबाद 84) और जोस बटलर (60 गेंदों पर 59) ने पांचवें विकेट के लिये 110 रन की साझेदारी करके स्थिति संभाली लेकिन इंग्लैंड की टीम 241 रन पर आउट हो गयी।

न्यूजीलैंड ने आठ विकेट पर 241 रन बनाये। उसकी तरफ से हेनरी निकोल्स (77 गेंदों पर 55) और केन विलिमयसन (53 गेंदों पर 30) ने दूसरे विकेट के लिये 74 रन जोड़े। कप्तान विलिमयसन के आउट होते ही टीम लड़खड़ा गयी। उसके बाकी बल्लेबाजों ने भी अच्छी शुरुआत की लेकिन केवल टॉम लैथम (56 गेंदों पर 47) ही 20 रन की संख्या पार कर पाये।

ऐसा रहा ‘सुपर ओवर’-

सुपर ओवर में इंग्लैंड की तरफ से स्टोक्स और बटलर क्रीज पर उतरे और उन्होंने ट्रेंट बोल्ट पर एक एक चौके की मदद से 15 रन बनाये। इस तरह से न्यूजीलैंड को जीत के लिये 16 रन का लक्ष्य मिला।

जोफ्रा आर्चर गेंदबाज थे। पहली गेंद वाइड थी, दूसरी गेंद पर दो रन बने और जेम्स नीशाम ने तीसरी गेंद छक्के के लिये भेज दी। अगली दो गेंदों पर दो-दो रन बने। पांचवीं गेंद पर एक रन लेकर नीशाम ने मार्टिन गुप्टिल को एक गेंद पर दो रन बनाने का मौका दिया। गुप्टिल एक रन बनाया और दूसरा रन लेने के प्रयास में रन आउट हो गये। न्यूजीलैंड को लगातार दूसरी बार उप विजेता बनकर संतोष करना पड़ा।

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