यूपी में अदालतें 22 मई से खुलेंगी, मगर शर्तों के साथ!

शर्तों का कड़ाई से पालन करने व रिपोर्ट भेजने का निर्देश

0
प्रयागराज:
ग्रीन व आरेन्ज जोन की जिला अदालतों Courts में मुकदमों की सुनवाई की नई गाइडलाइन जारी
हाईकोर्ट की ओर से जारी गाइडलाइन 22 मई से होगी लागू
गवाही के अलावा सिविल व आपराधिक मुकदमों की होगी सुनवाई
रेड जोन की Courts में फिलहाल छूट नहीं
अतिआवश्यक मामलों का ही होगा निपटारा
Courts खोलने से पहले परिसर का सेनेटाइजेशन होगा
यदि सेनेटाइजेशन नहीं हो पाता है तो Courts नहीं खोली जाएगी
इसकी सूचना हाईकोर्ट को भेजी जाएगी
परिसर में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी
केंद्र व राज्य सरकार के दिशा निर्देशों का पूरी तरह से होगा पालन
हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल अजय कुमार श्रीवास्तव ने जारी की है नई गाइडलाइन

रिपोर्ट भेजने का निर्देश

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों व पीठासीन अधिकारियों के लिए लॉकडाउन की नई गाइडलाइन जारी की है। इसका कड़ाई से पालन करने व रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया गया है। नई गाइडलाइन 22 मई से लागू होगी। ग्रीन और ऑरेंज जोन के जिलों की अदालतों में उसी के तहत Courts खोली जाएंगी। रेड जोन की अदालतें बंद रहेंगी। वहां अति आवश्यक मामले ही निपटाए जाएंगे।

परिसर सैनिटाइज होगा

उत्तर प्रदेश प्रत्येक जिला न्यायाधीश, जिलाधिकारी, सीएमओ, सीएमएस व स्वास्थ्य कर्मचारियों की मदद से Courts खोलने से पहले परिसर सैनिटाइज कराएंगे। यदि सेनेटाइजेशन नहीं हो पाता है तो अदालत नहीं खोली जाएगी। सूचना हाई कोर्ट को भेजी जाएगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट के महानिबंधक अजय कुमार श्रीवास्तव की ओर से जारी गाइडलाइन में कहा गया है कि कोर्ट परिसर में आने वाले हर व्यक्ति की थर्मल स्क्रीनिंग होगी। किसी का स्वास्थ्य खराब होगा तो उसे परिसर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।

प्रतिदिन होगा खतरे का आकलन

जिलों में कोरोना वायरस के खतरे का प्रतिदिन आकलन होगा। केंद्र व राज्य सरकार, हाई कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुसार शारीरिक दूरी के नियमों का कड़ाई से पालन किया जाए। जिला अदालत में परिसर में किसी वादकारी को प्रवेश करने से नहीं रोका जाएगा, लेकिन न्यायिक अधिकारी को अपनी अदालत में लोगों की उपस्थिति को नियंत्रित करने का अधिकार होगा।

रखी जाएंगी सिर्फ चार कुर्सियां

हर अदालत में सिर्फ चार कुर्सियां रखी जाएगी। अधिवक्ता के बहस के दौरान न्याय कक्ष में वादकारी का प्रवेश रोका जा सकता है। न्यायिक प्रक्रिया व व्यवस्था का बारे में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। अखबारों में मीडिया के जरिए उसका प्रचार किया जाएगा। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण वॉलंटियर्स की भी मदद ली जाएगी।

बैंड लगाना अनिवार्य

कोर्ट में बहस के लिए उपस्थित होने वालों को कोट व गाउन पहनने की अनिवार्यता नहीं होगी, लेकिन बैंड लगाना अनिवार्य होगा। पुरुष वकीलों को सफेद शर्ट, पैंट और बैंड पहन सकेंगे, जबकि महिला वकील सफेद साड़ी या सफेद शूट पहन सकती हैं। इसी प्रकार न्यायिक अधिकारी भी कोट व गाउन पहनकर नहीं आएंगे। अदालत में गवाही के सिवाय सिविल व अपराधिक मामले की सुनवाई की जाएगी। जरूरी मुकदमों को सुनवाई मे प्राथमिकता दी जाएगी। जिला जज न्यूनतम स्टाफ बुलाएंगे और काम खत्म होने के बाद सभी अदालत परिसर को छोड़ देंगे।

खोले जाएंगे सेंट्रलाइज काउंटर

मुकदमों के दाखिले के लिए सेंट्रलाइज काउंटर खोले जाएंगे। मुकदमे में त्रुटि की जानकारी दाखिले के दिन अधिवक्ता को दी जाएगी। ई-कोर्ट एप जारी किया जाए, जिस पर मुकदमे की वाद सूची की जानकारी अपलोड की जाए। जिले में ई-मेल भी बनाया जाए, जिसमें जमानत या अग्रिम जमानत की अर्जी, अति आवश्यक मामले की अर्जी और लिखित बहस प्राप्त की जाए। प्राप्त अर्जी की प्रति डीजीसी को भी उपलब्ध कराया जाए। यदि मुकदमे की सुनवाई स्थगित होती है तो सामान्य तारीख दी जाय। रेड जोन की अदालतों में केवल सत्र न्यायाधीश, विशेष न्यायाधीश और सीजेएम की अदालत ही बैठेगी। दस फीसदी से कम के स्टाफ से न्यायिक कार्य किया जाय और रिमांड आदि वीडियो कांफ्रेंसिंग से निपटाए जाएंगे।

यह भी पढ़ें: विशेष घरेलू उड़ानों का संचालन सिर्फ भारत लौट रहे नागरिकों के लिए

यह भी पढ़ें: फिर उड़ने को तैयार हैं Air India, Air Asia, Indigo की फ्लाइट्स

[better-ads type=”banner” banner=”104009″ campaign=”none” count=”2″ columns=”1″ orderby=”rand” order=”ASC” align=”center” show-caption=”1″][/better-ads]

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हेलो एप्प इस्तेमाल करते हैं तो हमसे जुड़ें।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More