कफ कलेक्शन एप: अब खांसी की आवाज से हो सकेगी टीबी की पहचान

अब खांसी की आवाज से टीबी की पहचान हो सकेगी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक खास तरह के मोबाइल एप्लीकेशन ‘कफ कलेक्शन एप’ लांच किया है।

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अब खांसी की आवाज से टीबी की पहचान हो सकेगी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक खास तरह के मोबाइल एप्लीकेशन ‘कफ कलेक्शन एप’ लांच किया है। देश को 2025 तक क्षय रोग मुक्त करने में यह उपचार काफी सहायक हो सकता है। एप की सहायता से घर-घर जाकर टीबी के बिना लक्षण वाले, लक्षण सहित व्यक्तियों व उनके संपर्क में आने वाले लोगों या रिशतेदारों की आवाज़ के सैंपल एकत्रित किये जायेंगे।

खास तरह का बनाया गया मोबाइल एप:

देश को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने की दिशा में सरकार निरंतर प्रयास कर रही है, जिससे सही जांच, उपचार व आधुनिक तकनीकों से टीबी की रोकथाम की जा सके। इसी कड़ी में टीबी की पहचान अब खांसी की आवाज से संभव हो सकेगी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक खास तरह के मोबाइल एप्लीकेशन ‘कफ कलेक्शन एप’ को तैयार किया गया है। इस क्रम में वाराणसी में एप की सहायता से घर-घर जाकर टीबी के बिना लक्षण वाले, लक्षण सहित व्यक्तियों व उनके संपर्क में आने वाले लोगों या रिशतेदारों की आवाज़ के सैंपल एकत्रित किए जा रहे हैं।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित है टेक्निक:

राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के संयुक्त निदेशक निशांत कुमार ने हाल ही में यूपी सहित सभी प्रदेशों को इस एप के बारे में दिशा-निर्देश जारी किए थे। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ राहुल सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की यह नई पहल है और देश को क्षय रोग से मुक्त करने के लिए नया एप तैयार किया गया है। इस आधुनिक एप से टीबी के मरीजों को खोजने में काफी आसानी होगी। खास बात यह है कि अब खांसी की आवाज व कुछ शब्दों के ज्यादा देर तक बोलने से टीबी की पहचान हो जाएगी। वाराणसी सहित प्रदेश के 75 जिलों से मरीजों के सैंपल लिए जा रहे हैं। उक्त क्रम में जनपद के लिए करीब 125 मरीजों की सूची केंद्र से भेजी गयी थी, जिनके सैंपल स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा एप में रिकॉर्ड किए जा चुके हैं और इसे स्वास्थ्य विभाग को भेजा जा चुका है। इस प्रक्रिया में तीन तरह के व्यक्ति समूहों का सैंपल लिया गया है। पहला टीबी लक्षण रहित यानि नॉन टीबी वाले व्यक्ति, दूसरा टीबी लक्षण सहित यानि लक्षण वाले व्यक्ति (जिनको नोटिफिकेशन हो चुका है, लेकिन दवा शुरू नहीं की गयी है) और तीसरा टीबी लक्षण वालों के संपर्क या उनके रिश्तेदारों को शामिल किया गया है।

 आठ बार लिया जाता है आवाज का रिकॉर्ड:

डॉ. राहुल सिंह ने बताया कि इस एप में रोगी या चिह्नित व्यक्ति की आवाज आठ बार रिकार्ड की गयी है। आवाज अलग-अलग तरह से रिकॉर्ड की गयी। सर्वे में जिन लोगों की आवाज रिकार्ड की गई है, उनके नाम व पता को पूरी तरह से गोपनीय रखा जाएगा। रिपोर्ट भी किसी को साझा नहीं की जाएगी। प्रथम चरण के सर्वे में पूरे देश से लिए जाने वाले आवाज के सैंपल का अध्ययन होगा । इसके पश्चात परिणाम के अनुसार इस एप को नियमित रूप से संचालित किया जाएगा। इस कार्य में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) ने तकनीकी सहयोग प्रदान किया है ।

125 लोगों की आवाज के सैंपल:

डॉ. राहुल सिंह ने बताया कि ‘कफ साउंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सैंपल’ के अंतर्गत ‘कफ कलेक्शन एप’ के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया। एनटीईपी में कार्यरत स्वास्थ्यकर्मी के स्मार्ट मोबाइल में मौजूद एप में टीबी रोगी एवं अन्य लोगों की आवाज को रिकार्ड की। सभी मरीजों को इस सैंपल प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया गया। तत्पश्चात उनकी सहमति पर आवाज का सैंपल लिया गया। इसके साथ ही उनके वजन, ऊंचाई, रोग के लक्षण, लक्षण की अवधि, धूम्रपान व शराब के सेवन सहित तंबाकू के उपयोग जैसी आदतों के बारे में भी जानकारी एकत्रित की गई। जनपद से कुल 125 मरीजों का सैंपल लिया गया है, जिसमें 44 टीबी के बिना लक्षण वाले, 37 लक्षण वाले व्यक्ति एवं 44 उनके संपर्क या रिश्तेदार शामिल हैं।

     

     (इस आर्टिकल के लेखक राघवेन्द्र मिश्र हैं। वह विभिन्न समसामयिक विषयों पर लिखते रहते हैं।)

 

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