सीएम योगी ने अधिकारियों को दिये निर्देश, कृषि विश्वविद्यालयों में बनाए जाए टेस्टिंग लैब…

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के संचालक मंडल की 168वीं बैठक संपन्न हुई.  उन्होंने किसानों की मदद के लिए महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा की और मुख्यमंत्री ने किसानों के हितों की रक्षा के लिए कड़ी मेहनत करने के लिए परिषद की प्रशंसा की. राज्य कृषि उपज मंडी परिषद किसानों की मदद करने का अच्छा काम कर रही है. उन्होंने किसानों को चुकाने वाली फीस को कम करने के लिए बदलाव किए हैं, लेकिन बाजार अभी भी बहुत पैसा कमा रहे हैं. पिछले साल, उन्होंने 1500 करोड़ रुपये से अधिक कमाए. इस साल, उन्होंने केवल दो महीनों में 250 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की है. उस पर उन्हें गर्व है. पूरी दुनिया में पौधों को अच्छी तरह से विकसित करने और स्वस्थ रहने के बारे में बात की.  नेता ने किसानों की मदद के लिए एक कार्यक्रम की भी बात कही

राजस्व संग्रह में हुई बढ़ोतरी सराहनीय…

राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद द्वारा किसानों के हित का ध्यान रखते हुए किये जा रहे प्रयास सराहनीय हैं. मंडी शुल्क को न्यूनतम करने के बाद भी राजस्व से संग्रह में मंडियों का अच्छा योगदान है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में जहां ₹614 करोड़ की आय हुई, वहीं 2022-23 में ₹1520.95 करोड़ की आय हुई थी. वहीं वर्तमान वित्तीय वर्ष के पहले दो माह ने अब तक ₹251.61 करोड़ का राजस्व संग्रहीत हो चुका है. मंडी शुल्क न्यूनतम होने के बाद भी मंडियों से राजस्व संग्रह में हुई बढ़ोतरी सराहनीय है।

टिशू कल्चर प्रयोगशाला की स्थापना…

फसलों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए गुणवत्ता पूर्ण रोपण सामग्री, बागवानी फसलों के गुणवत्ता पूर्ण रोपण एवं रोग मुक्त बनाने के लिए आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज (अयोध्या) में टिशू कल्चर प्रयोगशाला की स्थापना की जाए. यह प्रयोगशाला कम से कम 03 हेक्टेयर के विशाल परिसर में स्थापित हो. इसके लिए धनराशि की व्यवस्था मंडी परिषद द्वारा की जाएगी।

योजना का लाभ अधिकाधिक युवाओं को मिले…

मुख्यमंत्री कृषक छात्रवृत्ति योजना अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रही है. वर्तमान में 05 विश्वविद्यालयों एवं 23 महाविद्यालयों में कृषि एवं गृह विज्ञान के विद्यार्थियों को ₹3000 मासिक छात्रवृत्ति प्रदान की जा रही है. योजना का लाभ अधिकाधिक युवाओं को मिले, इसके लिए इसमें कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बाँदा, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी और बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी तथा 37 अन्य महाविद्यालयों को भी इसमें शामिल किया जाए।

मंडी समितियों में भी खोले जाएं आउटलेट… 

जैविक एवं प्राकृतिक उत्पादों के आउटलेट वर्तमान में मंडल मुख्यालय पर स्थापित हैं. इन्हें जिला मुख्यालय तक विस्तार देने की आवश्यकता है. मंडी समितियों में भी आउटलेट खोले जाएं. जैविक/प्राकृतिक बाजार लगवाएं. हमारे किसानों के जैविक/प्राकृतिक उत्पादों के सत्यापन, ब्रांडिंग के लिए लैब टेस्टिंग आवश्यक है. यद्यपि खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, द्वारा लखनऊ, मेरठ, बनारस एवं झांसी में प्रयोगशालाएं संचालित हैं, लेकिन प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों में कोई लैब संचालित नहीं है। ऐसे में मंडी परिषद द्वारा प्रदेश के सभी 04 कृषि विश्वविद्यालयों में टेस्टिंग लैब स्थापित किया जाए।

नए हाट पैठ और किसान मंडियों का निर्माण…

किसानों की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए राज्य सरकार ने बड़ी संख्या में ग्रामीण हाट पैठ और आधुनिक किसान मंडियों का निर्माण कराया है. क्षेत्रीय जरूरतों के अनुसार नए हाट पैठ और किसान मंडियों का निर्माण कराया जाना चाहिए. इनका अच्छा मेंटीनेंस रखें। पटरी व्यवसायियों को यहां समायोजित किया जाना चाहिए।

कृषि विश्वविद्यालयों में छात्रावासों का निर्माण …

मंडियों में प्रकाश की समुचित व्यवस्था हो. जलभराव की स्थिति न हो. किसानों की सुविधा का पूरा ध्यान रखें और कृषि फसल की सुरक्षा के अच्छे प्रबंध हों. शौचालय/पेयजल के पर्याप्त इंतज़ाम रखें. यह सुखद है कि मंडी परिषद की सहायता से कृषि विश्वविद्यालयों में छात्रावासों का निर्माण कराया जा रहा है. इन छात्रावासों का निर्माण कार्य गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखते हुए समयबद्ध ढंग से पूरा कराया जाए. कृषि मंत्री द्वारा इन निर्माणाधीन छात्रावासों का निरीक्षण किया जाए।

लखनऊ में ‘एग्री मॉल’ स्थापित…

कृषि और खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा अनेक नीतिगत प्रयास किए जा रहे हैं. प्राकृतिक खेती को प्रोत्सहित करने के लिए भी योजनाबद्ध रीति से कार्य किया जा रहा है. किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले, उत्पाद की ब्रांडिंग हो, सही बाजार मिले, इसके लिए राजधानी लखनऊ में ‘एग्री मॉल’ स्थापित किया जा रहा है। इस संबंध में कार्यवाही तेजी से आगे बढाएं। एग्री मॉल में किसान सीधे अपने फल, सब्जियों की बिक्री कर सकेंगे।

साथ ही मंडी परिषद द्वारा नवी मुंबई में निर्यात प्रोत्साहन हेतु वर्ष 2006 में स्थापित किये गये ऑफिस ब्लॉक को और उपयोगी बनाने के लिए इसे एमएसएमई विभाग से जोड़ा जाना चाहिए।

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