CM Yogi Adityanath Birthday: जब दुकानदार ने निकाली रिवॉल्वर, झगड़े के बाद ऐसे हुई योगी आदित्यनाथ की राजनीति में एंट्री
देश के सबसे बड़े राज्य यूपी के सीएम योगी आदित्यानाथ आज (रविवार) अपना 50वां जन्मदिन मना रहे हैं. अपने जीवन के 50 बसंत देख चुके योगी आदित्यनाथ को देश-प्रदेश ही नहीं बल्कि, दुनियाभर में भी अच्छी पहचान है. योगी आदित्यनाथ ने कम उम्र में ही उपलब्धियां हासिल की हैं. लेकिन, बहुत कम लोगों को पता होगा कि योगी की राजनीती में एंट्री कैसे हुई. यहां जानिए पूरा किस्सा…
दरअसल बात करीब दो दशक पहले की है जब गोरखपुर शहर के मुख्य बाज़ार गोलघर में गोरखनाथ मंदिर से संचालित इंटर कॉलेज में पढ़ने वाले कुछ छात्र एक दुकान पर कपड़ा ख़रीदने आए और उनका दुकानदार से विवाद हो गया. दुकानदार पर हमला हुआ, तो उसने रिवॉल्वर निकाल ली. दो दिन बाद दुकानदार के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग को लेकर एक युवा योगी की अगुवाई में छात्रों ने उग्र प्रदर्शन किया और वे एसएसपी आवास की दीवार पर भी चढ़ गए. यह योगी आदित्यनाथ थे, जिन्होंने कुछ समय पहले ही 15 फरवरी, 1994 को नाथ संप्रदाय के सबसे प्रमुख मठ गोरखनाथ मंदिर के उत्तराधिकारी के रूप में अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ से दीक्षा ली थी. गोरखपुर की राजनीति में एक ‘एंग्री यंग मैन’ की यह धमाकेदार एंट्री थी.
5 जून, 1972 उत्तराखंड (तब उत्तर प्रदेश था) के पौड़ी जिला स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचूर गांव के राजपूत परिवार में योगी आदित्यनाथ का जन्म हुआ था.1977 में टिहरी के गजा के स्थानीय स्कूल में पढ़ाई शुरू की. स्कूल और कॉलेज सर्टिफिकेट में इनका नाम अजय सिंह बिष्ट है.साल 1987 में टिहरी के गजा स्कूल से 10वीं की परीक्षा पास की. 1990 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई करते हुए एबीवीपी से जुड़े.उन्होंने गढ़वाल विश्विद्यालय से गणित में बीएससी किया है. योगी आदित्यनाथ का नाम लोकसभा में पहुंचने वाले सबसे कम उम्र के सांसदों की सूची में भी शामिल है.
योगी आदित्यनाथ अपने स्कूल-कॉलेज के दिनों में कुछ शर्मीले से और शांत स्वभाव के हुआ करते थे. पौड़ी के यमकेश्वर ब्लॉक के रहने वाले योगी आदित्यानाथ ने कोटद्वार से बीएससी की है. दीक्षा लेने से पहले योगी आदित्यनाथ का नाम अजय सिंह बिष्ट था. यमकेश्वर के पंचूर गांव के आनंद सिंह बिष्ट और सावित्री देवी के 7 बच्चों में अजय 5वें थे. 3 बहनें और 1 भाई उनसे बड़े हैं और 2 छोटे. उनके छोटे भाई महेंद्र सिंह बिष्ट ने मीडिया को बताया कि 1994 में संन्यास लेने के बाद योगी कुल मिलाकर 3-4 बार ही घर आए हैं. इनमें से 2 बार 1999 और 2013 में भाइयों की शादी में आए थे.
पढ़ाई के बाद वो गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आए. महंत ने दीक्षा देकर अजय को योगी आदित्यनाथ का नाम दिया. अवैद्यनाथ ने 1998 में राजनीति से संन्यास लिया तो योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया.योगी आदित्यनाथ जब 12वीं लोकसभा में सांसद बनकर पहुंचे तब उनकी उम्र मात्र 26 साल थी. इसके बाद आदित्यनाथ 1999, 2004, 2009 और 2014 में भी लगातार सांसद चुने जाते रहे.योगी आदित्यनाथ भाजपा के सांसद होने के साथ साथ हिंदू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं. 2015 में 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला था. 2017 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने योगी आदित्यनाथ से पूरे राज्य में प्रचार कराया था.
19 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश के बीजेपी विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुनकर मुख्यमंत्री का ताज सौंप दिया गया. आदित्यनाथ के पिता आनन्द सिंह ने अपने पुत्र के मुख्यमंत्री बनाए जाने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा था कि आदित्यनाथ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबका साथ सबका विकास की तर्ज पर काम करना होगा. उन्होंने कहा था कि उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी समस्या गुंडागर्दी है. उसे खत्म करना होगा. उम्मीद है कि आदित्यनाथ ऐसे तत्वों के खिलाफ कठोर निर्णय लेंगे.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रभावशाली मुख्यमंत्रियों की फेहरिस्त में सबसे आगे हैं. वह प्रभावशाली व्यक्तियों की श्रेणी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद दूसरे नंबर पर हैं. यह तथ्य फेम इंडिया मैगजीन द्वारा 50 प्रभावशाली भारतीयों की वर्ष 2020 के सर्वे में सामने आया है. योगी आदित्यनाथ अपनी कर्मठता, सादगी और ईमानदार नेता की छवि से विरोधियों के दिलों में भी कुछ हद तक जगह बनाने में सफल रहे हैं. हालांकि, सियासी दंगल में उनकी छवि अक्रामक नेता की रही है.