केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना: मध्य प्रदेश के सूखी धरती पर अब बहेगी जलधारा…

बुंदेलखंड क्षेत्र में कम होगा जल संकट

0

मध्य प्रदेश। पिछले दिनों पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश के खजुराहो में केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना की आधारशिला रख दी है. यह भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका उद्देश्य केन और बेतवा नदियों को आपस में जोड़कर पानी की कमी से जूझ रहे क्षेत्रों में सिंचाई, पेयजल और बिजली उत्पादन के लिए जल संसाधन उपलब्ध कराना है. यह परियोजना भारत में नदी जोड़ो परियोजना का पहला चरण है.

क्या है केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना

केन-बेतवा लिंक परियोजना केंद्र सरकार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच सहयोग और समन्वय का एक अनूठा उदाहरण है, इस परियोजना में केन नदी से बेतवा नदी में पानी स्थानांतरित करना शामिल है.

44,605 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस परियोजना से मध्य प्रदेश के 10 जिलों के लगभग 44 लाख लोगों और उत्तर प्रदेश के 21 लाख लोगों को पीने का पानी मिलेगा. इस परियोजना से 2 हजार गांवों के करीब 7.18 लाख किसान परिवारों को लाभ मिलेगा. इससे 103 मेगावाट बिजली और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा भी पैदा की जाएगी.
इस परियोजना के तहत पन्ना टाइगर रिज़र्व में केन नदी पर 77 मीटर ऊंचा और 2.13 किलोमीटर लंबा दौधन बांध और दो सुरंगें बनाई जाएंगी. केन-बेतवा परियोजना उत्तर प्रदेश में 59,000 हेक्टेयर क्षेत्र में वार्षिक सिंचाई सुविधा प्रदान करेगी. परियोजना से लगभग 10.62 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की सुविधा मिलेगी. साथ ही 62 लाख लोगों को पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी. इससे 103 मेगावाट जलविद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा.यह क्षेत्र में बाढ़ के खतरे को भी कम करेगी.

क्या है इस योजना का उद्देश्य 

केन नदी मध्य प्रदेश में पन्ना टाइगर रिज़र्व के पास से निकलती है और बेतवा नदी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से होकर गुजरती है. दोनों नदियों को जोड़ने का उद्देश्य बुंदेलखंड क्षेत्र (उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश) में जल संकट को कम करना है.
परियोजना के तहत दौधन बांध का निर्माण किया जाएगा, जिससे पानी को नहरों और पाइपलाइनों के माध्यम से ट्रांसफर किया जाएगा.
यह परियोजना लगभग 221 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण करेगी, जो केन नदी को बेतवा नदी से जोड़ेगी.

क्या है इसकी चुनौतियां

पन्ना टाइगर रिज़र्व में जलमग्न क्षेत्र बढ़ने से वन्यजीवों और जैव विविधता पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा परियोजना के कारण प्रभावित होने वाले लोगों का पुनर्वास और उनकी आजीविका सुनिश्चित करना भी सरकार के सामने एक बड़ी समस्या होगी.
केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना एक क्रांतिकारी कदम हो सकती है, जो जल संकट से पीड़ित क्षेत्रों में राहत ला सकती है. हालांकि, इसके पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों का संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है.

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More