उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई की।
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने CAA पर रोक लगाने से फिलहाल इनकार किया है। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा है कि केंद्र को सुने बिना रोक नहीं लगा सकते।
इन याचिकाओं पर चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने सुनवाई की।
सीजेआई ने कहा कि हम कानून लागू करने की तिथि बढ़ाने का कोई आदेश जारी नहीं कर सकते हैं। साथ ही कहा कि इस मामले पर अगली सुनवाई संविधान पीठ करेगी।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि फिलहाल हम सरकार को प्रोविजनल नागरिकता देने के लिए कह सकते है। हम एक पक्षीय तौर पर रोक नहीं लगा सकते।
क्या है सीएए-
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) में नरेंद्र मोदी सरकार ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक प्रताड़ना झेल रहे हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।
इस कानून मे इन पड़ोसी देशों के मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है। यह कानून 10 जनवरी से लागू हो चुका है।
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