वास्तु के अनुसार चुनें होली के रंग, घर में आएगी खुशहाली

होलिका दहन किसी नगर, शहर या मोहल्ले की दक्षिण-पूर्व दिशा में किया जाना चाहिए। होलिका पूजन अगर घर में कर रही हैं तो पूजा, घर के आंगन या किसी खुले स्थान में करें

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पूरे उत्तर भारत में होली एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस त्योहार की गहमागहमी होलिका दहन से ही शुरू हो जाती है। ऐसे में वास्तु के अनुरूप कैसे मनाएं होली इसके लिए जानें कुछ जरूरी टिप्स-

होलिका दहन किसी नगर, शहर या मोहल्ले की दक्षिण-पूर्व दिशा में किया जाना चाहिए। होलिका पूजन अगर घर में कर रही हैं तो पूजा, घर के आंगन या किसी खुले स्थान में करें।

बहुत से लोग अपने घरों की छतों पर ध्वजा या झंडा लगाते हैं। अगर ध्वजा पुरानी हो गई है तो उसे बदलने के लिए होली का दिन काफी अच्छा रहता है।

होली खेलने के लिए रंगों का चुनाव करते वक्त भी खास सावधानी बरतें। रंगों का चयन करते वक्त भी वास्तु की पॉजिटिव दिशा यानी पूर्व और उत्तर दिशा से मिलते-जुलते रंगों का ही प्रयोग करना चाहिए।

ऐसे करें रंगों का चयन-

उदाहरण के तौर पर उत्तर-पूर्व यानी गुरु के स्थान के लिए पीला रंग अच्छा और सकारात्मक होता है। यह सुख और समृद्धि को दर्शाता है।

वहीं नारंगी रंग पूर्व दिशा के मध्य का रंग है, यह सूर्य का प्रतीक है। इसी तरह लाल रंग अग्नि देवता और दक्षिण-पूर्व का कलर है। यह ऊर्जा को दर्शाता है।

उत्तर दिशा बुध का स्थान है। बुध का रंग हरा होता है, जिसका प्रयोग होली में किया जा सकता है। यह प्रकृति को दर्शाता है।

वहीं नकारात्मक दिशा जैसे कि दक्षिण-पश्चिम के कलर्स जैसे भूरे या काले रंग से होली नहीं खेलें।

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