चीन छटपटाया: भारत सीपीईसी से जुड़े

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भारत के सीपीईसी के बहिष्कार के बाद चीन की छटपटाहट बढ़ गयी है। चीन के एक प्रमुख समाचारपत्र के संपादक ने भारत से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) से जुड़ने का अनुरोध किया है। साथ ही उन्होंने कहा कि यह कदम नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच बढ़ते तनाव को कम कर सकता है।

ग्लोबल टाइम्स द्वारा प्रकाशित एक लेख में पीपुल्स डेली के वरिष्ठ संपादक डिंग गेंग ने कहा, “यदि नई दिल्ली बीजिंग के ढांचागत पहल से जुड़ता और इसमें अपना योगदान देता है, तो इससे भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और टकराव में कमी आएगी।”

उन्होंने कहा, “खासकर, यह पहल स्थानीय लोगों के जीवन स्तर को बढ़ा सकता है।”

भारत ने बीजिंग के बेल्ट एंड रोड पहल से अपनी संप्रभुता संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखकर जुड़ने से अस्वीकार कर दिया था और कहा था कि यह सीपीईसी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर जाएगा, जिस पर नई दिल्ली अपना दावा करता है।

भारत को चिंता है कि सीपीईसी परियोजना उसकी संप्रभुता का उल्लंघन करेगी।

लेकिन डिंग ने कहा कि सीमा विवाद, जिसमें चीन और भारत के बीच सीमा विवाद भी शामिल है, ये अनुचित औपनिवेशिक आदेश का नतीजा है और ये कई दशकों बाद भी अशांत बने रहते हैं।

सैन्य झगड़े अक्सर कश्मीर में देखे जाते हैं और इसमें दोनों तरफ से हानि होती है। अब इन मुद्दों को पुराने ढंग से सुलझाने के बजाय तरीकों को बदलने का समय है।

उन्होंने कहा, “जब तक संघर्ष बना रहता है और कोई नया नियम नहीं स्वीकार किया जाता, हम क्यों न इस मुद्दों को अलग कर दें और आम सहमति पर आधारित एक परियोजना या कार्यक्रम करने की कोशिश करें, जो आपसी विश्वास को स्थापित करने में पहला कदम हो?”

डिंग ने कहा, “एक जिम्मेदार सरकार के लिए इन निर्दोष नागरिकों को इस तरह के अनुभवों से अलग रखने का कोई औचित्य नहीं है।”

उन्होंने कहा, “विकास कई मुद्दों का समाधान है। यदि भारत सरकार एक कदम उठा सकती है, भले ही वह छोटा हो, तब यह वार्षिक इतिहास की घटनाओं में शुमार होगा।”

डिंग रेनमिन यूनिवर्सिटी आॅफ चीन में चोंगयांग इंस्टीट्यूट फॉर फाइनेंशियल स्टडीज के साथ एक सीनियर फेलो के रूप में जुड़े हुए हैं।

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