छठ पूजा: डूबते सूर्य को अर्घ्य आज, लखनऊ-काशी में 6 मिनट का अंतर, जानें शुभ समय
छठ पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. छठ पर्व को डाला छठ, सूर्य षष्ठी और छठ पूजा के नाम से भी जाना जाता है. लोक आस्था के महापर्व छठ का आज तीसरा दिन है. छठ पर्व का आरंभ 28 अक्टूबर (शुक्रवार) को नहाय खाय के साथ हुआ था. दूसरे दिन खरना 29 अक्टूबर (शनिवार) को था. रविवार यानि 30 अक्टूबर को छठ पर्व में शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इसके अगले दिन सोमवार यानि 31 अक्टूबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प पूरा होगा. छठ का पर्व मुख्य रूप से भगवान सूर्य और छठी माता की पूजा और उपासना का त्योहार है.
संध्या अर्घ्य का महत्व और समय…
छठ महापर्व का तीसरे दिन छठी मइया की पूजा के लिए प्रसाद बनाया जाता है और शाम को सूर्यास्त के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. लेकिन, अर्घ्य देने से पूर्व घाट पर सायं काल में बांस की टोकरी में छठ पूजा में शामिल सभी पूजा सामग्री, फल और पकवान आदि को अर्घ्य के सूप में सजाया जाता है. इसके बाद अपने परिवार के साथ सूर्य को अर्घ्य देता हैं. अर्घ्य के समय सभी लोग पवित्र नदी या घाट के किनारे एकत्रित होकर सूर्य देव को जल अर्पित करते हैं और छठ के प्रसाद से भरे हुए सूप से छठी मइया की पूजा की जाती है. छठ पूजा का तीसरा दिन आज (30 अक्टूबर, 2022) है. सूर्यास्त का समय सायं 05:38 बजे का है.
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अर्घ्य देने की विधि…
छठ पूजा में सूर्यदेव और छठी मइया की पूजा की जाती है. षष्ठी तिथि पर सभी पूजन सामग्री को बांस के डाले और सूप में रख लें. अब डाला लेकर नदी, तालाब या किसी घाट पर जाएं. इसके बाद नदी, तालाब, घाट या किसी जल में प्रवेश करके मन ही मन सूर्य देव और छठी मैया को प्रणाम करें. अब ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य दें. सूर्य को अर्घ्य देते समय ‘एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते, अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर’ मंत्र का उच्चारण करें.
आपके शहर में अर्घ्य का मुहूर्त…
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