इतिहास बनाने से 5 दिन पीछे ISRO, जानें चांद पर क्या करेगा चंद्रयान-2
भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान केंद्र(ISRO) की ओर से बीते 22 जुलाई को चंद्रयान 2 लांच किया गया था। जिसके तहत चंद्रयान 2 अपने मिशन को पूरा करने के बेहद करीब पहुंच चुका है। ज्ञात हो कि, बीते शुक्रवार को शाम 6:18 बजे चौथी बार चांद की कक्षा सफलतापूर्वक बदल ली है। इसके साथ ही यान चांद के सबसे नजदीक पहुंच गया है। अब इसकी चांद से न्यूनतम दूरी 124 किमी और अधिकतम दूरी 164 किमी की रह गई है। चंद्रयान-2 दो दिन तक इसी कक्षा में चांद के चक्कर लगाएगा। इसके बाद यह 1 सितंबर को पांचवी कक्षा में प्रवेश करेगा। 2 सितंबर को विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर यान से अलग हो जाएंगे। विक्रम लैंडर 7 सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। ज्ञात हो कि, 23 दिन पृथ्वी के चक्कर लगाने के बाद चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने में इसे 6 दिन लगे हैं। गौरतलब है कि, सोमवार को लैंडर चंद्रयान से अलग हो चुका है, जिसके बाद चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करवाई जाएगी।
दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के बाद क्या करेगा चंद्रयान-2:
इसरो द्वारा चंद्रयान- 2 को चांद की भौगोलिक संरचना, भूकम्पीय स्थिति, खनिजों की मौजूदगी और उनके वितरण का पता लगाने, सतह की रासायनिक संरचना, ऊपर मिटटी की ताप भौतिकी विशेषताओं का अध्ययन करने के लिए भेजा है। जिससे चन्द्रमा के अस्तित्व में आने तथा उसके क्रमिक विकास के बारे में नई जानकारियां मिल सकेंगी।
गौरतलब है कि, 7 सितम्बर को लैंडिंग के बाद ऑर्बिटर पे-लोड 100 किलोमीटर दूर की कक्षा से रिमोट सेंसिंग अध्ययन करेगा। जबकि, लैंडर और रोवर पे-लोड लैंडिंग साइट के नज़दीक इन-सिटु आंकड़े एकत्र करेगा। चन्द्रमा की संरचना समझने के लिए वहां की सतह में मौजूद तत्वों का पता लगाने और उनके वितरण के बारे में जाने के लिए व्यापक स्तर पर और इन – सिटु स्वर पर परीक्षण किये जायेंगे। साथ ही चन्द्रमा के चट्टानी क्षेत्र “रेगोलिथ” की विस्तृत 3-D मैपिंग भी की जाएगी।
चन्द्रमा के आयनमंडल में इलेक्ट्रान की डेंसिटी और सतह के पास प्लाज़्मा वातावरण का भी अध्ययन किया जायेगा। चन्द्रमा की सतह के ताप भौतिकी गुणों (विशेषताओं) और वहां की भूकम्पीय गतिविधियों को भी मापा जाएगा। इंफ़्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी, सिंथेटिक अपर्चर रेडियोमीट्री और पोलरीमिट्री की सहायता से और व्यापक स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीकों से चाँद पर पानी की मौजूदगी के ज़्यादा से ज़्यादा आंकड़े इकठ्ठा किए जायेंगे।
चांद की तस्वीरें भेज चुका है चंद्रयान-2:
चंद्रयान-2 ने बीते 26 अगस्त को दूसरी बार चांद की तस्वीरें भेजी थी। इसरो ने ट्वीट कर जानकारी दी थी कि, भेजी गई तस्वीरें चांद की सतह से 4375 किमी ऊपर से टैरेन मैपिंग कैमरे के जरिए ली गई हैं। यह तस्वीरें चांद पर मौजूद क्रेटर्स (गड्ढों) की हैं। इनमें से एक फोटो क्रेटर ‘मित्र’ की है, जिसका नाम भारतीय प्रोफेसर और पद्म भूषण विजेता भौतिकशास्त्री शिशिर कुमार मित्रा के नाम पर रखा गया था। इसके अलावा चंद्रयान-2 ने जैक्सन, माक, कोरोलेव क्रेटर्स की तस्वीरें भी ली थीं।
उत्तरी ध्रुव की भी कई तस्वीरें भेज चुका है चंद्रयान-2:
इसरो ने यह भी जानकारी दी थी कि, यान ने चांद के नॉर्थ पोल क्षेत्र की भी कई तस्वीरें ली थीं। इसमें प्लासकेट, रोझदेस्तवेंस्की और हरमाइट क्रेटर शामिल हैं। जो कि, पूरे सौरमंडल में सबसे ठंडे इलाकों में से एक हैं। इससे पहले चंद्रयान-2 ने बीते बुधवार को चांद की पहली फोटो भेजी थी। उन्हें चांद की सतह से 2650 किमी की ऊंचाई से लिया गया था।