कश्मीरी अलगाववादी नेताओं से छीनी गई सुरक्षा

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पुलवामा में हुए आत्मघाती आतंकी हमले के बाद केंद्र और राज्य सरकार ऐक्शन में आ गई है। केंद्र सरकार (government) ने जहां इस आतंकी हमले का बदला लेने के लिए सुरक्षाबलों को खुली छूट दे दी है, वहीं जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने भी कड़ा निर्णय लेते हुए 6 अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा और गाड़ी सब वापस लेने का फैसला किया है। इन नेताओं पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती थी और वे ऐश की जिंदगी जीते थे। 

अलगाववादियों को सुरक्षा देना शुरू किया था

1990 और 2002 में बड़े अलगाववादी नेता मीरवाइज फारूख और अब्दुल गनी लोन पर हमले के बाद सरकार ने अलगाववादियों को सुरक्षा देना शुरू किया था। सरकार अलगाववादियों पर साल में करीब 14 करोड़ रुपये खर्च करती है। 11 करोड़ सुरक्षा, 2 करोड़ विदेशी दौरे और 50 लाख गाड़ियों पर खर्च होते हैं।

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करीब 600 जवान सुरक्षा में लगे रहते हैं। साल 2018 में जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2008 से लेकर 2017 तक अलगाववादियों को सुरक्षा मुहैया करवाने पर 10.88 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

6 अलगाववादी नेताओं से सुरक्षा, गाड़ी वापस

जम्मू-कश्मीर के एक अधिकारी ने बताया, ‘ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (APHC) के चेयरमैन मीरवाइज उमर फारूक, शब्बीर शाह, हाशिम कुरैशी, बिलाल लोन, फजल हक कुरैशी और अब्दुल गनी बट को अब किसी तरह का सुरक्षा कवर नहीं दिया जाएगा। इन नेताओं को दी जाने वाली सरकारी गाड़ियां और अन्य सुविधाएं छीन ली गई हैं। हालांकि पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता- सैयद अली गिलानी और मोहम्मद यासीन मलिक को पहले से कोई सुरक्षा नहीं दी जा रही है। गिलानी फिलहाल नजरबंद हैं। प्रशासन ने एक ऑर्डर जारी कर अलगाववादियों को दी जाने वाली सुरक्षा को गैरजरूरी बताते हुए उनसे सभी सुविधाएं वापस लेने का फैसला किया था।

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अलगाववादियों को कोई कवर या सुरक्षा बल उपलब्ध नहीं कराए जाएंगे। उन्हें सरकारी गाड़ियों की सुविधा नहीं दी जाएगी। अगर उन्हें सरकार के द्वारा कोई दूसरी सुविधाएं मिल रही हैं तो वे भी तत्काल हटा ली जाएंगी। अलगाववादियों की सुरक्षा वापस लेने वाले ऑर्डर में यह भी कहा गया है कि बुधवार को इसकी अलग समीक्षा की जाएगी। जम्मू-कश्मीर सरकार के सूत्रों के मुताबिक पुलिस इस बात की समीक्षा करेगी कि कहीं अन्य अलगावदादियों को तो किसी तरह की सुविधाएं व सुरक्षा नहीं दी जा रही है। अगर ऐसा है तो उन्हें भी कवर से बाहर किया जाएगा।

सरकार ने खुद ही अलगाववादी नेताओं को सुरक्षा देने का फैसला किया था

पुलवामा हमले के अगले दिन केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह कश्मीर गए थे। वहां उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी (ISI) से संपर्क रखने वालों को दी जा रही सुरक्षा की समीक्षा की जाएगी। हालांकि सुविधा वापस लेने के फैसले पर मीरवाइज ने कहा, ‘सरकार ने खुद ही अलगाववादी नेताओं को सुरक्षा देने का फैसला किया था। हमने कभी इसकी मांग नहीं की थी। सुरक्षा वापस लेने के फैसले से हमारे रुख में कोई बदलाव नहीं आएगा।’

पीएम मोदी ने रविवार को कहा कि पुलवामा हमले के बाद जनता के दिल में जो आग है, वही आग उनके दिल में भी है। बिहार के शहीद हुए दो जवानों को श्रद्धांजलि देने के बाद पीएम बोले, ‘मैं देख रहा हूं कि आपके दिलों में आग है। ये आग बुझनी नहीं चाहिए।’ दूसरी ओर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने असम की एक रैली में कहा, ‘हम असम को दूसरा कश्मीर नहीं बनने देंगे, इसलिए हम एनआरसी (नागरिकों के लिए नैशनल रजिस्टर) लाए। इससे हर घुसपैठिए की पहचान होगी और उसे उसके देश भेजा जाएगा।’

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