रमजान के महीने में सेना कश्मीर में नहीं शुरु करेगी कोई ऑपरेशन

Modi government

जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती द्वारा रमजान और अमरनाथ यात्रा के दौरान घाटी में एकतरफा सीजफायर की अपील को केंद्र सरकार ने सशर्त मंजूरी दे दी है। महबूबा मुफ्ती द्वारा रमजान के दौरान सीजफायर की अपील पर केंद्र सरकार ने सुरक्षाबलों को घाटी में रमजान के दौरान किसी भी तरह का नया ऑपरेशन शुरू ना करने के निर्देश दिये हैं। हालांकि केंद्र ने किसी आतंकी हमले की स्थिति में सुरक्षाबलों को आतंक के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने की छूट भी दी है।

रमजान के दौरान कोई नया ऑपरेशन शुरु नहीं करेगी सेना

रमजान के महीने की शुरुआत से एक रोज पहले बुधवार को इस बारे में केंद्र ने गृह मंत्रालय ने ट्विटर पर इसकी जानकारी देते हुए कहा, ‘मुस्लिम समाज के लोगों को रमजान के दौरान शांति व्यवस्था में सहयोग देने के लिए, सरकार ने घाटी में सुरक्षाबलों को रमजान के दौरान कोई नया ऑपरेशन शुरू ना करने के निर्देश दिए हैं। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने खुद भी जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती को भी इस संबंध में जानकारी दे दी है।’

लोगों की सुरक्षा करने और खुद पर हमलों का जवाब देने के लिए स्वतंत्र हैं सेना

वहीं एक अन्य ट्वीट में गृह मंत्रालय ने कहा है कि ‘सुरक्षाबलों को कश्मीर में लोगों की सुरक्षा करने और खुद पर हुए हमलों का जवाब देने के लिए किसी भी तरह का फैसला लेने का अधिकार है और वह इसके लिए पूरी तरह से स्वतंत्र हैं। केंद्र सरकार यह उम्मीद करती है कि सभी लोग सुरक्षा की इस व्यवस्था में सहयोग करेंगे जिससे कि मुस्लिम समाज के भाई-बहन बिना किसी व्यवधान के रमजान के पाक महीने का जश्न मना सकें।’

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महबूबा ने किया सरकार के फैसले का स्वागत

केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी इस फैसले के लिए पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह को धन्यवाद दिया है। पीएम को धन्यवाद करते हुए महबूबा ने अपने ट्वीट में लिखा है,’मैं रमजान में सीजफायर के लिए केंद्र सरकार द्वारा लिए गए फैसले का स्वागत करती हूं। मैं इस फैसले के लिए पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह को धन्यवाद करना चाहती हूं जिन्होंने निजी रूप से इस मामले में रुचि लेते हुए यह निर्णय कराया है। मैं उन राजनीतिक दलों को भी धन्यवाद देना चाहती हूं, जिन्होंने सर्वदलीय बैठक में इस प्रस्ताव पर हमारा सहयोग किया था।’

महबूबा ने 9 मई को भेजा था प्रस्ताव

बता दें कि इससे पहले जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती ने 9 मई को एक सर्वदलीय बैठक बुलाते हुए रमजान के महीने में केंद्र के सामने घाटी में एकतरफा सीजफायर करने का प्रस्ताव रखा था। इस बैठक के बाद महबूबा ने दावा करते हुए सभी पार्टियों के इससे सहमत होने की बात भी कही थी।

डेप्युटी सीएम ने पहले जाहिर किए थे मतभेद

हालांकि बैठक के कुछ दिन बाद ही महबूबा के इस दावे को खारिज करते हुए राज्य के डेप्युटी सीएम कविंद्र गुप्ता ने कहा था कि सुरक्षाबलों पर हो रहे हमलों के बीच घाटी में सीजफायर करने का महबूबा का प्रस्ताव कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता। वहीं राज्य की सत्ता में भागीदार बीजेपी के ही महबूबा के प्रस्ताव के किनारा करने के बाद पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने भी बैठक की मंशा पर सवाल उठाए थे। इस बैठक के बाद बीजेपी और महबूबा के बीच मतभेद की खबर सामने आने के बाद उमर ने कहा था कि अगर सरकार में गठबंधन के साझेदार दलों में आपसी सहमति नहीं बनी थी, तो महबूबा ने इस मीटिंग के लिए सभी को क्यों बुलाया था?

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