नारायण राणे की गिरफ्तारी: क्या किसी राज्य की पुलिस किसी संसद सदस्य को आम लोगों की तरह गिरफ्तार कर सकती है?

केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को महाराष्ट्र पुलिस ने उनके उद्धव ठाकरे को ‘थप्पड़’ मारने के बयान को लेकर गिरफ्तार किया था।

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केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को महाराष्ट्र पुलिस ने उनके उद्धव ठाकरे को ‘थप्पड़’ मारने के बयान को लेकर गिरफ्तार किया था। काफी बवाल के बाद देर रात उन्हें जमानत भी मिल गई थी। आपको बता दें की 23 अगस्त को केन्द्रीय मंत्री नारायण राणे ने रायगढ़ जिले में सोमवार को ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ के दौरान कहा था ,‘‘ यह शर्मनाक है कि मुख्यमंत्री को यह नहीं पता कि आजादी को कितने साल हुए हैं। भाषण के दौरान वह पीछे मुड़ कर इस बारे में पूछताछ करते नजर आए थे। अगर मैं वहां होता तो उन्हें एक जोरदार थप्पड़ मारता।’’ इसके बाद पूरे महाराष्ट्र में शिवसैनिकों ने उग्र प्रदर्शन किया था। कई जिलों में राणे के खिलाफ FIR भी दर्ज हुई थी। राणे केंद्र में कैबिनेट मंत्री हैं, उनके पास सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय है। ऐसे में आइये जानते हैं कि क्या किसी राज्य की पुलिस किसी कैबिनेट मंत्री या संसद सदस्य को आम लोगों की तरह गिरफ्तार कर सकती है?

संसद सदस्य की गिरफ्तारी:

जब संसद सत्र न चल रहा हो तो ऐसी स्थिति में संसद सदस्य को आपराधिक अपराध के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है। हालांकि, जब किसी संसद सदस्य को आपराधिक आरोप पर या आपराधिक अपराध के लिए गिरफ्तार किया जाता है अथवा किसी न्यायालय द्वारा कारावास का दंड दिया जाता है तो यथास्थिति के कारणों और निरोध या कारावास के स्थान को दर्शाते हुए, इस तथ्य की सूचना पुलिस को तुरन्त सभापति को देना होगा। लेकिन किसी भी संसद सदस्य को सिविल मामलों में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।

संसद सदस्यों का विशेषाधिकार:

संसद या राज्य विधानमंडल के सदस्यों को संसद या राज्य विधानमंडल के अधिवेशन के दौरान तथा अधिवेशन के 40 दिन पहले या बाद की अवधी के दौरान सिविल मामलों में किसी भी सदस्य को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। ये संसद सदस्यों को संविधान के तहत विशेषाधिकार है। हालांकि, आपराधिक और नजरबंदी के मामलों में ये लागू नहीं होता है।

संसद के पास से गिरफ़्तारी:

संसद सीमा से किसी भी संसद या राज्य विधानमंडल के सदस्य को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। हालांकि, संसद सत्र चल रहा हो, या न चल रहा हो लोकसभा स्पीकर या राज्यसभा अध्यक्ष की अनुमति से गिरफ्तारी संभव है।

गवाह के रूप में उपस्थिति से छूट:

संसद या राज्य विधानमंडल के सदस्यों को सत्र के दौरान बगैर सदन के अध्यक्ष के अनुगमती के, किसी भी न्यायलय के समक्ष गवाह के रूप में उपस्थित होने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।

कब कब हुयी गिरफ्तारी:

इससे पहले 2001 में भारत के इतिहास में पहला मामला हुआ था जब पद पर रहते हुए केंद्रीय मंत्रियों की गिरफ्तारी हुई थी। तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एम करुणानिधि पर फ्लाइओवर घोटाले में शामिल होने का आरोप लगा था। जब पुलिस करुणानिधि को गिरफ्तार करने पहुंची थी, उस समय टीआर बालू और मुरासोली मारन वहां मौजूद थे। उन्होंने करुणानिधि की गिरफ्तारी का विरोध किया। पुलिस ने दोनों को शासकीय कार्य में बाधा डालने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। उस समय टीआर बालू केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्री और मुरासोली मारन केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री थे।

राणे के बयान भाजपा का पक्ष:

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोशल मीडिया पर कहा, “महाराष्ट्र सरकार द्वारा केंद्रीय मंत्री नारायण राणे जी की गिरफ्तारी संवैधानिक मूल्यों का हनन है। इस तरह की कार्यवाही से न तो हम डरेंगे, न दबेंगे। भाजपा को जन-आशीर्वाद यात्रा में मिल रहे अपार समर्थन से ये लोग परेशान है। हम लोकतांत्रिक ढंग से लड़ते रहेंगे और यात्रा जारी रहेगी।”

 

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