‘बुआ’ महत्‍वपूर्ण सीख दे गयीं ‘बबुआ’ को

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आशीष बागची

बसपा सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को 22 साल पहले लखनऊ के राजकीय गेस्‍ट हाउस में सपा द्वारा की गयी घटना को भुलाकर सपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अखिलेश यादव को क्‍लीन चिट दे बड़़े दिल का परिचय दे दिया। साथ ही एक दूसरे के कट्टर प्रतिद्वंद्वी रहे दोनों दलों ने साथ-साथ आगे बढ़ते रहने और कांग्रेस का साथ लेने का भी संकेत दिया है।

अर्थपूर्ण प्रेस कांफ्रेंस

इसके साथ ही उस समय लखनऊ के एसएसपी रहे ओ पी सिंह को राज्‍य का पुलिस प्रमुख बनाये जाने पर भी उन्‍होंने सवाल उठाये। सामान्‍य तौर पर यह एक रूटीन प्रेस कांफ्रेस लग सकती है पर इसके निहितार्थ असीम हैं।

इसमें अखिलेश के लिए राजनीतिक सीख है, साथ ही राजा भैया के लिए भी महत्‍वपूर्ण संदेश है। जाहिर है बुआ की सीख बबुआ के काम आ सकती है।

उन्‍होंने साफ किया कि राज्‍यसभा चुनाव में उनके उम्‍मीदवार भीमराव आंबेडकर की हार में दरअसल जीत के बीज छुपे हैं। इसे समय-समय पर पुष्पित और पल्‍लवित किया जाता रहेगा।

बसपा-सपा की दोस्‍ती बनी रहेगी

माया ने साफ कहा कि बीजेपी खुद व सोशल मीडिया के जरिये चाहे जितनी भी खिलाफत कर ले, यह दोस्‍ती हर हाल में जारी रहेगी। वैसे भी यह समय की मांग भी है कि दोनों दल एक साथ रहें। गोरखपुर और फूलपुर के लोकसभा उपचुनावों में भाजपा को इन दोनों दलों ने पटखनी देकर सत्‍तारूढ़ भाजपा को यह संकेत तो दे ही दिया है कि 2019 के चुनाव में उसे आसान जीत नहीं ही मिलने जा रही है।

साथ देने वालों का भी लिया जायेगा साथ

मायावती ने यह भी संकेत दिया कि इस चुनाव में जिसने भी साथ दिया है, उसपर वे मेहरबान रहेंगी। यह महत्‍वपूर्ण संकेत है कि 2019 के चुनाव में वह भाजपा के खेमे में फूट डालकर कई लोगों को अपने पाले में खींच सकती हैं। यह भी संकेत दिया कि दोनों दलों का गठजोड़ सशक्‍त होकर उभरेगा।

गेस्‍ट हाउस कांड से ऐसे बरी हुए अखिलेश

अखिलेश के बुआ ने साफ कहा कि गेस्ट हाउस काण्ड के समय अखिलेश का राजनीति से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था, इसलिए उन्‍हें इसके लिए जिम्मेदार ठहराना गलत है।

राजा भइया पर कटाक्ष

साथ ही कहा कि अखिलेश यादव बहुत समझदार हैं। उन्हें जरूर समझ में आ गया होगा कि उनके साथ धोखा हुआ है। उम्‍मीद है कि वे इससे सीख लेंगे।

कांग्रेस से अच्‍छे संबंध

उन्‍होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी से हमारे अच्छे सम्बन्ध है। मीडिया ने उनके एक विधायक के क्रॉस वोटिंग की गलत खबर दिखाई। यह साफ संकेत है कि आगामी लोकसभा चुनावों में कांग्रेस से उनके संबंध बन सकते हैं।

इवीएम स्लिप बसपा के दबाव में लाया चुनाव आयोग ने

उन्‍होंने साफ कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव हो या 2017 के विस चुनाव इन्होंने इवीएम में गड़बड़ी की थी। और, आज जो स्लिप सिस्टम लाया गया इसका श्रेय बसपा को जाता है।

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उन्‍होंने लगे हाथ पूछ ही लिया कि बैलेट पेपर से चुनाव क्यों नहीं करवाते बीजेपी के लोग। इससे लगता है कि जरूर दाल में कुछ काला है।

मेरी हत्‍या की भी हो सकती है साजिश

माया ने कहा कि जिस पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में गेस्ट हाउस काण्ड कराया गया था, उसको योगी सरकार ने यूपी का डीजीपी पुलिस प्रमुख बनवा दिया। उसने खड़े होकर ये काण्ड करवाया था।

बीजेपी की ओर से सहारनपुर दंगे में उनकी हत्या की साजिश थी, ऐसा वहां के लोगों का कहना था।

क्या आज फिर उस पुलिस अधिकारी को सबसे बड़ा ओहदा देकर बीजेपी मेरी हत्या कराने की फिराक में तो नहीं है ताकि बसपा का मूवमेंट दम तोड़ जाये?

 मायावती जिंदगी भर नहीं भूलेंगी वो ‘काला दिन’

दो जून, 1995 को उत्तर प्रदेश की राजनीति में जो हुआ वह शायद ही कहीं हुआ होगा। मायावती उस वक्त को जिंदगी भर नहीं भूल सकतीं। उस दिन को प्रदेश की राजनीति का ‘काला दिन’ कहें तो कुछ भी गलत नहीं होगा। उस दिन एक उन्मादी भीड़ सबक सिखाने के नाम पर दलित नेता की आबरू पर हमला करने पर आमादा थी। उस दिन को लेकर तमाम बातें होती रहती हैं लेकिन, यह आज भी एक कौतुहल का ही विषय है। मायावती के जीवन पर आधारित अजय बोस की किताब ‘बहनजी’ में गेस्टहाउस में उस दिन घटी घटना की जानकारी तसल्ली से मिलती है।

1993 में हुआ था गठबंधन

दरअसल, 1993 में हुए चुनाव में गठबंधन हुआ था, सपा और बसपा के बीच। चुनाव में इस गठबंधन की जीत हुई और मुलायम सिंह यादव प्रदेश के मुखिया बने। लेकिन, आपसी मनमुटाव के चलते दो जून,1995 को बसपा ने सरकार से किनारा कर लिया और समर्थन वापसी की घोषणा कर दी। इस वजह से मुलायम सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई। सरकार को बचाने के लिए ब बात नहीं बनी तो नाराज सपा के कार्यकर्ता और विधायक लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस पहुंच गए,जहां मायावती कमरा नंबर-एक में ठहरी हुई थीं।

बीजेपी विधायक ने बचाई थी मायावती की इज्जत

बताया जाता है कि,इस मौके पर जब कुछ गुंडों ने बसपा सुप्रीमो को कमरे में बंद करके मारा और उनके कपड़े फाड़ दिए कि तभी अपनी जान पर खेलकर उन गुंडों से अकेले भिड़ने वाले बीजेपी विधायक ब्रम्हदत्त द्विवेदी ने, जिनपर जानलेवा हमला हुआ, गेस्टहाउस का दरवाजा तोड़कर मायावती को सकुशल बचा कर बाहर निकाला। यूपी की राजनीति में इस काण्ड को गेस्टहाउस काण्ड कहा जाता है और ये भारत की राजनीति के माथे पर कलंक है।

बहरहाल जो हो यह तय है कि उत्‍तर प्रदेश में राजनीति की नयी इबारत लिखी जाने वाली है।

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